छत्तीसगढ़ में सुरक्षाबलों के 22 जवानों को मार देने के बाद माओवादियों ने एक कमांडो को बंधक बना लेने का दावा किया है. उन्होंने शर्त रखी है कि वो कमांडो को तभी रिहा करेंगे जब सरकार बातचीत करने के लिए वार्ताकार नियुक्त करेगी.
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सीआरपीएफ के 210वें कोबरा बटालियन के जवान राकेश्वर सिंह मन्हास तीन अप्रैल को हुई उसी मुठभेड़ के बाद से लापता हैं जिसमें माओवादियों ने 22 जवानों को मार गिराया था. अब प्रतिबंधित संगठन सीपीआई (माओवादी) के एक प्रवक्ता ने एक बयान में दावा किया है कि मन्हास उनके संगठन के पास बंधक हैं. संगठन ने मांग की है कि सरकार अगर उन्हें छुड़वाना चाहती है तो वो माओवादियों से बातचीत करने के लिए कुछ वार्ताकार नियुक्त करे.
हालांकि यह अभी तक स्पष्ट नहीं हुआ है कि माओवादियों की शर्तें क्या हैं. मन्हास करीब 2,000 जवानों की उस टुकड़ी में शामिल थे जो दो अप्रैल को बीजापुर और सुकमा के बीच स्थित जंगलों में माओवादियों के खिलाफ एक अभियान पर गई थी. शनिवार तीन अप्रैल को इस टुकड़ी और बड़ी संख्या में आए माओवादियों के बीच भारी मुठभेड़ हुई जिसमें सुरक्षाबलों के 22 जवान मारे गए और 31 घायल हो गए.
सुरक्षाबलों ने दावा किया है कि मुठभेड़ करीब चार घंटों तक चली थी और उसमें कम से कम 12 माओवादी भी मारे गए थे. माओवादियों ने अपने बयान में दावा किया है कि सुरक्षाबलों के 24 जवान और सिर्फ चार माओवादी मारे गए थे. इसके अलावा उन्होंने 14 बंदूकें, 2,000 कारतूस और अन्य सामान हथिया लेने का भी दावा किया है. मीडिया में आई कुछ खबरों में दावा किया गया है कि छत्तीसगढ़ पुलिस ने माओवादियों ने मन्हास के बंधक बनाए जाने की जानकारी की पुष्टि की है.
उन्हें छुड़ा लेने की भी कोशिशें चल रही हैं. यह हमला सुरक्षाबलों पर हुए एक और घातक हमले के ठीक 11 साल बाद हुआ है. छह अप्रैल 2010 को छत्तीसगढ़ के दांतेवाड़ा में जवान माओवादियों द्वारा बिछाए गए एक योजनाबद्ध जाल में फंस गए थे जिसके बाद उनपर अंधाधुंध गोलीबारी की गई. हमले में 75 जवान मारे गए थे.
महाराष्ट्र में पिछले 10 सालों में हुए ये नक्सली हमले
महाराष्ट्र का गढ़चिरौली जिला और इसके आसपास का क्षेत्र कई दशकों से नक्सलियों की गतिविधि का केंद्र रहा है. बीते 10 सालों में नक्सलियों ने सुरक्षा बलों और नागरिकों पर कई बार हमले किए हैं.
तस्वीर: Getty Images/AFP/W. Vatsayana
01 मई 2019
महाराष्ट्र दिवस के मौके पर नक्सलियों ने प्रतिष्ठित सी-60 बल के वाहन को आईईडी विस्फोट कर उड़ा दिया. घटना के वक्त जवान कुरखेड़ा उप जिले में थे. इससे पहले बुधवार को ही दादरपुर गांव में नक्सलियों ने दर्जनों भारी वाहनों को जला दिया था.
तस्वीर: IANS
27 मार्च 2012
धनोरा उप जिला क्षेत्र में बारूदी सुरंग विस्फोट में सीआरपीएफ के कॉम्बेट टीम के 12 कमांडो मारे गए और 28 घायल हुए.
तस्वीर: picture-alliance/AP Photo/KK Production
20 अगस्त 2011
मकदछुआ गांव में सीआरपीएफ और नक्सलियों के हमले में कोबरा बटालियन के दो जवानों समेत तीन सुरक्षाकर्मी मारे गए.
तस्वीर: picture-alliance/AP Photo/M Quraishi
19 मई 2011
दो अलग-अलग घटनाओं में नक्सलियों ने बेजुरफटा और नारगोंडा में पुलिस गश्ती दल पर हमला कर चार पुलिसकर्मियों को मार दिया.
तस्वीर: picture-alliance/AP Photo/M. Quraishi
05 मई 2011
नक्सलियों ने गढ़चिरौली जंगल के पास धनोरा में बारातियों पर बारूदी सुरंग विस्फोट किया, जिसमें छह लोग मारे गए.
तस्वीर: picture-alliance/AP Photo/A. Qadri
08 अक्टूबर 2010
नक्सलियों ने सवानगांव में एक स्कूल पर हथगोला फेंका, जिसमें 15 की मौत हो गई. इनमें अधिकतर नाबालिक छात्र शामिल थे.
तस्वीर: IANS
04 अक्टूबर 2010
नक्सलियों ने अहेरी उप जिला के पिरीमिली गांव के करीब एक बारूदी सुरंग विस्फोट किया, जिसमें चार पुलिसकर्मी मारे गए.
तस्वीर: AP
08 अक्टूबर 2009
भामरगड़ उप जिले के लाहेरी में नक्सलियों और पुलिस के बीच मुठभेड़ में 17 पुलिसकर्मी मारे गए.
तस्वीर: AP
21 मई 2009
छापामार तरीके के हमले में नक्सलियों ने धनोरा के मुरुम गांव में एक पुलिस समूह पर हमला किया, जिसमें पांच महिलाओं समेत 16 पुलिसकर्मी मारे गए.
तस्वीर: Getty Images/AFP/N. Seelam
01 फरवरी 2009
नक्सलियों ने धनोरा उप जिला में मोरके गांव के पास घात लगाकर पुलिस गश्ती दल पर हमला किया, जिसमें 15 जवान मारे गए.