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माओवादियों ने कमांडो को बनाया बंधक

चारु कार्तिकेय
७ अप्रैल २०२१

छत्तीसगढ़ में सुरक्षाबलों के 22 जवानों को मार देने के बाद माओवादियों ने एक कमांडो को बंधक बना लेने का दावा किया है. उन्होंने शर्त रखी है कि वो कमांडो को तभी रिहा करेंगे जब सरकार बातचीत करने के लिए वार्ताकार नियुक्त करेगी.

Indien Westbengalen Jhargram | Central Reserve Police Force
तस्वीर प्रतीकात्मक है.तस्वीर: DW/P. Tewari

सीआरपीएफ के 210वें कोबरा बटालियन के जवान राकेश्वर सिंह मन्हास तीन अप्रैल को हुई उसी मुठभेड़ के बाद से लापता हैं जिसमें माओवादियों ने 22 जवानों को मार गिराया था. अब प्रतिबंधित संगठन सीपीआई (माओवादी) के एक प्रवक्ता ने एक बयान में दावा किया है कि मन्हास उनके संगठन के पास बंधक हैं. संगठन ने मांग की है कि सरकार अगर उन्हें छुड़वाना चाहती है तो वो माओवादियों से बातचीत करने के लिए कुछ वार्ताकार नियुक्त करे.

हालांकि यह अभी तक स्पष्ट नहीं हुआ है कि माओवादियों की शर्तें क्या हैं. मन्हास करीब 2,000 जवानों की उस टुकड़ी में शामिल थे जो दो अप्रैल को बीजापुर और सुकमा के बीच स्थित जंगलों में माओवादियों के खिलाफ एक अभियान पर गई थी. शनिवार तीन अप्रैल को इस टुकड़ी और बड़ी संख्या में आए माओवादियों के बीच भारी मुठभेड़ हुई जिसमें सुरक्षाबलों के 22 जवान मारे गए और 31 घायल हो गए.

छत्तीसगढ़ का दांतेवाड़ा इलाका.तस्वीर: Imago/Hindustan Times

सुरक्षाबलों ने दावा किया है कि मुठभेड़ करीब चार घंटों तक चली थी और उसमें कम से कम 12 माओवादी भी मारे गए थे. माओवादियों ने अपने बयान में दावा किया है कि सुरक्षाबलों के 24 जवान और सिर्फ चार माओवादी मारे गए थे. इसके अलावा उन्होंने 14 बंदूकें, 2,000 कारतूस और अन्य सामान हथिया लेने का भी दावा किया है. मीडिया में आई कुछ खबरों में दावा किया गया है कि छत्तीसगढ़ पुलिस ने माओवादियों ने मन्हास के बंधक बनाए जाने की जानकारी की पुष्टि की है.

उन्हें छुड़ा लेने की भी कोशिशें चल रही हैं. यह हमला सुरक्षाबलों पर हुए एक और घातक हमले के ठीक 11 साल बाद हुआ है. छह अप्रैल 2010 को छत्तीसगढ़ के दांतेवाड़ा में जवान माओवादियों द्वारा बिछाए गए एक योजनाबद्ध जाल में फंस गए थे जिसके बाद उनपर अंधाधुंध गोलीबारी की गई. हमले में 75 जवान मारे गए थे.

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