1. कंटेंट पर जाएं
  2. मेन्यू पर जाएं
  3. डीडब्ल्यू की अन्य साइट देखें

माओवादी हमला: गृह मंत्रालय ने मानी ग़लतियां

१६ फ़रवरी २०१०

केंद्रीय गृह मंत्री पी चिंदबरम ने कहा माओवादियों के ख़िलाफ़ अभियान में कुछ ग़लतियां हुई हैं. सिलदा में सुरक्षाकर्मियों पर हमला करने के बाद माओवादियों ने सरकार को फिर दी ऐसे ही हमलों की चेतावनी.

तस्वीर: picture-alliance/dpa

पश्चिम बंगाल के पश्चिमी मेदिनीपुर ज़िले के सिलदा में सुरक्षा बलों के शिविर पर सरेआम माओवादी हमले ने राज्य सरकार की खुफ़िया एजंसियों की पोल खोल दी है. तमाम बड़े-बड़े दावों के बावजूद इतने बड़े पैमाने पर हुए हमले की पहले से कोई भनक तक नहीं लगी. सवाल यह भी उठ रहा है कि इतनी बड़ी तादाद में माओवादियों को ईस्टर्न फ्रंटियर राइफल्स के सिलदा स्थित शिविर की ओर दिनदहाड़े जाते देख कर भी आसपास के किसी गांव वाले ने पुलिस को कोई सूचना नहीं दी. इससे यह भी साफ है कि माओवादियों को स्थानीय लोगों का समर्थन हासिल है. अब यह बात साफ हो गई है कि माओवादी कम से कम दो हफ्ते पहले से ऐसे किसी बड़े हमले की योजना बना रहे थे.

राज्य में माओवादियों की ओर से सुरक्षा बलों के शिविर पर यह अब तक का सबसे बड़ा हमला था. मंगलवार को मौके का दौरा करने वाले राज्य पुलिस के महानिदेशक भूपिंदर सिंह ने भी माना कि पहले से इस हमले की कोई सूचना नहीं मिली थी. क्या यह ख़ुफ़िया एजेंसियों की नाकामी है, इस सवाल का उन्होंने गोल-मोल जवाब दिया. लेकिन शिविर में मौजूद जवानों ने माओवादियों का मुकाबला क्यों नहीं किया. इस पर उनका कहना था कि पहले तो यह हमला अप्रत्याशित था. उसके बाद यह शिविर भीड़-भाड़ वाले इलाके में है, जवाबी फायरिंग की स्थिति में आम लोगों की जानें भी जा सकती थी. पुलिस महानिदेशक कहते हैं कि माओवादियों के खिलाफ साझा अभियान आपरेश ग्रीन हंट के लिए हमने केंद्र से अतिरिक्त सुरक्षा बल भेजने को कहा है. उनके आने के बाद ही यह अभियान शुरू हो सकता है.

माओवादी इलाकों में सुरक्षाकर्मीतस्वीर: UNI

ध्यान रहे कि माओवादियों ने मंगलवार की शाम को माओवादियों ने पहले ईस्टर्न फ्रंटियर राइफल (ईएफआर) के शिविर में आग लगा दी और फिर शिविर पर चौतरफा हमला बोल दिया. इस अप्रत्याशित हमले के लिए जवान तैयार नहीं थे, हालांकि बाद में उन्होंने भी जवाबी फायरिंग की. लेकिन वे मौके पर मौजूद सौ से भी ज्यादा हथियारबंद माओवादियों का मुकाबला नहीं कर सके. माओवादी शिविर से भारी मात्रा में हथियार व गोला बारूद भी लूट कर ले गए.

दूसरी ओर, मुख्य सचिव अशोक मोहन चक्रवर्ती ने भी इस हमले को दुर्भाग्यपूर्ण करार देते हुए माना है कि पहले से इसकी कोई सूचना नहीं मिली थी. दरअसल, सरकार या ख़ुफ़िया एजेंसियों को इस बात का अनुमान तक नहीं था कि माओवादी भीड़ भाड़ वाले इलाके में बने पुलिस शिविर पर इस कदर सुनियोजित तरीके से हमला करने का दुस्साहस कर सकते हैं. अब इस औचक हमले और जान माल के भारी नुकसान के बाद सरकार व खुफिया एजंसियां एक बार फिर नींद से जागी हैं. इसके बाद ही तय किया गया है कि पुलिस व सुरक्षा बलों के तमाम शिविर अब गांवों और भीड़ भाड़ वाले इलाकों से हटा कर कुछ दूर लगाए जाएं.

करते रहेंगे हमले: माओवादीतस्वीर: AP

पुलिस महानिदेशक की दलील है कि वैसी स्थिति में सुरक्षा बल के जवानों को जवाबी फायर करने में कोई हिचक नहीं होगी. शिविर आबादी से दूर रहने पर गोलीबारी में आम लोगों के मारे जाने का खतरा नहीं होगा.

इसबीच, रेल मंत्री व तृणमूल कांग्रेस की अध्यक्ष ममता बनर्जी ने केंद्र सरकार से इस हमले की जांच कराने की मांग की है. उन्होंने इसके लिए राज्य सरकार की ख़ुफ़िया एजेंसियों की नाकामी को जिम्मेवार ठहराया है. माओवादियों के हमले की निंदा करते हुए ममता ने कहा कि केंद्र को हमले के सभी पहलुओं की जांच करानी चाहिए और हमलावरों को कठोर सज़ा दी जानी चाहिए.

दूसरी ओर, माओवादी नेता किशनजी ने कहा है कि यह हमला केंद्रीय गृह मंत्री पी चिदंबरम के 'ऑपरेशन ग्रीन हंट' का जवाब है. माओवादी नेता ने धमकी दी है कि जब तक केंद्र अमानवीय सैन्य अभियान बंद नहीं करता, हम ऐसे और हमले करते रहेंगे.

केंद्रीय गृह मंत्री ने बीती नौ फरवरी को कोलकाता में माओवाद प्रभावित राज्यों के मुख्यमंत्रियों व आला अधिकारियों के साथ एक बैठक के बाद कहा था कि माओवादी पहले हिंसा की राह छोड़ें, तभी उनसे बातचीत हो सकती है. उन्होंने कहा कि जब तक वे ऐसा नहीं करते, उके खिलाफ अभियान जारी रहेगा. लेकिन माओवादियों की मांग है कि किसी भी बातचीत से पहले इलाके में केंद्र व राज्य का साझा अभियान तुरंत रोक कर सुरक्षा बलों को वापस बुलाया जाना चाहिए. यहां राजनीतिक पर्यवेक्षकों का कहना है कि पुलिस शिविर पर हमले में दो दर्जन से ज्यादा जवानों की जान लेकर माओवादियों ने साबित कर दिया है कि वे फिलहाल झुकने के मूड में नहीं हैं. ऐसे में अब बंगाल में भी माओवाद की समस्या धीरे-धीरे जटिल होती जा रही है.

रिपोर्ट: प्रभाकरमणि तिवारी, कोलकाता

संपादन: ओ सिंह

डीडब्ल्यू की टॉप स्टोरी को स्किप करें

डीडब्ल्यू की टॉप स्टोरी

डीडब्ल्यू की और रिपोर्टें को स्किप करें