माओवादी हिंसा और विदेशी आतंकवाद की चुनौती बरकरार
१ फ़रवरी २०११मंगलवार को नई दिल्ली में आंतरिक सुरक्षा पर मुख्यमंत्रियों के एक सम्मेलन का उद्घाटन करते हुए मनमोहन सिंह ने कहा कि आतंकवाद और सांप्रदायिक हिंसा को रोकने के सरकारी प्रयासों में ढील नहीं दी जा सकती.
प्रधानमंत्री ने कहा, "हमें इस बात का अहसास होने की जरूरत है कि मुख्यतः वामपंथी अतिवाद, सीमापारीय आतंकवाद, धार्मिक कट्टरपंथ और सांप्रदायिक हिंसा से गंभीर चुनौतियां और खतरे अभी भी मौजूद हैं."
मनमोहन सिंह ने कहा कि जहां तक वामपंथी अतिवाद का सवाल है तो 2010 में एक साल पहले के मुकाबले हमलों और हताहत होने वाले सुरक्षा बलों की संख्या में कमी आई, हालांकि मरने औऱ घायल होने वाले आम लोगों की संख्या बढ़ी.
भारतीय प्रधानमंत्री ने कहा कि छत्तीसगढ़, बिहार, पश्चिम बंगाल और झारखंड हिंसा के स्तर को देखते हुए चिंता का विषय है. उन्होंने कहा, उड़ीसा और महाराष्ट्र की समस्या भी अत्यंत गंभीर है.
प्रधानमंत्री सिंह ने मुख्यमंत्रियों से केंद्रीय सुरक्षा बलों की मदद से विभिन्न प्रांतों के साझा ऑपरेशंस की संख्या बढ़ाने पर विचार करने को कहा. उन्होंने कहा कि माओवादियों के खिलाफ संघर्ष में केंद्रीय और प्रांतीय पुलिस के संसाधनों और जवाब में अधिक समन्वय की जरूरत है.
रिपोर्ट: एजेंसियां/महेश झा
संपादन: ओ सिंह