मानवाधिकारः यूरोपीय संघ की खिंचाई
२५ जनवरी २०११ह्यूमन राइट्स वॉच कार्यकारी निदेशक केनेथ रॉथ ने यूरोपीय संघ पर सीधे सीधे आरोप लगाते हुए कहा है, "दमनकारी सरकारों के साथ बातचीत और सहयोग ज्यादातर मामलों में कुछ न करने का अच्छा बहाना बना जाता है. यूरोपीय संघ की 'रचनात्मक बातचीत' दुनिया भर में इस तरह के रवैये का सबसे बुरा उदाहरण है."
ह्यूमन राइट्स ने सोमवार को इस साल के लिए अपनी सालाना रिपोर्ट जारी की. रिपोर्ट में इस बात का जिक्र किया गया है कि यूरोपीय संघ और संयुक्त राष्ट्र संघ जैसे संगठन मानवाधिकारों का उल्लंघन करने वाली सरकारों पर दबाव डालने के बजाय उनके साथ बातचीत और सहयोग के रास्ते पर बढ़ रहे हैं. रिपोर्ट में यह भी कहा गया है कि यूरोपीय संघ की मानवाधिकार के मामलों में विश्वसनीयता इस बात पर निर्भर करेगी कि अपने सदस्य देशों के साथ वह इस मुद्दे पर कैसा रवैया अपनाता है. फ्रांस में रोमाओं को रोमानिया और बुल्गारिया भेजने की कार्रवाई का जिक्र करते हुए कहा गया है कि यूरोपीय संघ के सदस्यों ने मुस्लिमों और रोमाओं के प्रति अनुदार और भेदभावपूर्ण रवैया अपनाया.
ह्यूमन राइट्स वॉच की सालाना रिपोर्ट में कहा गया है कि अमीर और गरीब दोनों तरह के देशों में मानवाधिकारों का उल्लंघन हो रहा है. अंतरराष्ट्रीय संगठन का कहना है कि यूरोपीय संघ बदलाव के लिए दबाव बनाने के बजाय बातचीत का ढुलमुल रवैया अपना रहा है जो ज्यादा तकलीफ देने वाला है. रिपोर्ट में यूरोपीय संघ की तुर्कमेनिस्तान के साथ साझेदारी बढ़ाने के लिए आलोचना की गई है. ह्यूमन राइट्स वॉच ने आरोप लगाया है कि यह साझेदारी मानवाधिकारों की स्थिति में सुधार हुए बगैर की जा रही है.
निशाने पर बान की मून
ह्यूमन राइट्स वॉच ने अमेरिकी राष्ट्रपति बराक ओबामा की भी इस बात के लिए आलोचना की है कि वह दावे तो बड़े बड़े करते हैं लेकिन मानवाधिकारों की रक्षा के लिए बड़े कदम उठाने से उन्होंने भी अभी तक परहेज ही किया है. इसके साथ ही मानवाधिकार संगठन ने संयुक्त राष्ट्र महासचिव बान की मून पर चीन की सरकार के प्रति नरम रुख अपनाने का आरोप लगाया है. संगठन का कहना है कि शांति के लिए नोबेल पुरस्कार जीतने वाले लिउ जियाओबो के मामले में बान की मून ने कुछ नहीं किया.
नाकाम रहा यूएन
सालाना रिपोर्ट में संयुक्त राष्ट्र और ह्यूमन राइट्स काउंसिल के सदस्यों पर उनका कर्तव्य पूरा न करने के आरोप लगाए गए हैं. ह्यूमन राइट्स वॉच ने कहा है कि संयुक्त राष्ट्र महासचिव दमनकारी सरकारों पर दबाव बनाने में नाकाम रहे हैं. इन आलोचनाओं के जवाब में बान की मून ने कहा है कि अक्टूबर में नानजिंग, शंघाई और बीजिंग की यात्रा के दौरान उन्होंने मानवाधिकारों के उल्लंघन का मामला उठाया था. न्यूयॉर्क में बान की मून की प्रवक्ता ने कहा कि वह मानवाधिकारों के कट्टर समर्थक हैं लेकिन उन्होंने एक एक कर इन घटनाओं से निबटने की रणनीति पर चलने का फैसला किया है.
649 पन्नों की इस रिपोर्ट में संयुक्त राष्ट्र की मानवाधिकार परिषद को दमनकारी सरकारों के चंगुल में फंस जाने का आरोप भी लगाया गया है. रिपोर्ट में कहा गया है कि श्रीलंका में गृह युद्ध के दौरान मानवाधिकारों का जबर्दस्त उल्लंघन हुआ इसके बावजूद परिषद ने सरकार की निंदा करने के बजाए उसे बधाई दी. रिपोर्ट के कवर पर 42 साल की आंग सान सू ची की तस्वीर है जिन्हें म्यांमार की सैनिक सरकार ने पिछले छह साल से जेल में बंद कर रखा था.
रिपोर्टः एजेंसियां/एन रंजन
संपादनः वी कुमार