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मानव तस्करी में बुरे रूस चीन

२० जून २०१३

मानव तस्करी और बंधुआ मजदूरी के मामले में सबसे खराब हालत रूस और चीन की है. अमेरिकी विदेश विभाग की सालाना रिपोर्ट में इस बात के सामने आने के बाद अमेरिका इन देशों पर प्रतिबंध भी लगा सकता है.

तस्वीर: imago/EQ Images

यह रिपोर्ट कहती है कि रूस तस्करी के पीड़ितों की सुरक्षा के लिए तंत्र बनाने में नाकाम रहा. चीन के बारे में कहा गया है कि हर तरह की तस्करी को कानूनी अपराध बनाने और दोषियों को सजा देने के लिए बहुत कम काम हुआ है. अमेरिका ने इन देशों को उत्तर कोरिया और ईरान जैसे देशों के दर्जे में डाल दिया है. अमेरिकी विदेश विभाग मानव तस्करी से जूझने की कोशिशों के आधार पर दुनिया के देशों की श्रेणियां तैयार करता है. रूस, चीन और उज्बेकिस्तान तीनों सबसे निचले स्तर टायर 3 में आ गए हैं.

रूस के विदेश मंत्रालय ने बयान जारी कर कहा है कि रिपोर्ट ने, "अस्वीकार्य तरीकों" का इस्तेमाल कर देशों का दर्जा अमेरिका से सद्भाव के आधार पर तय किया है. बयान में कहा गया है, "संगठित अपराध से लड़ने में रूसी प्रशासन कभी भी दूसरे देश के तय किए तरीकों का इस्तेमाल नहीं करेगा, चेतावनी के रूप में दिए निर्देशों की तो बात ही छोड़िए." रूस ने यह भी कहा है कि अगर प्रतिबंध लगे तो वह जवाबी कार्रवाई करेगा. उधर बीजिंग में विदेश मंत्रालय की प्रवक्ता हुआ चुनयिंग ने कहा है कि वॉशिंगटन को, "चीन की कोशिशों के बारे में निष्पक्ष विचार रखने चाहिए और चीन के बारे में इकतरफा और निरंकुश फैसला देना बंद करना चाहिए. चीन घरेलू और अंतरदेशीय तस्करी के साथ लड़ाई में काफी आगे बढ़ा है."

तस्वीर: AP

अमेरिकी रिपोर्ट ने चीन के कुछ कदमों का जिक्र किया है लेकिन इसके साथ ही कहा है कि वह अपने ही सैकड़ों संस्थाओं के साथ इस समस्या को जारी रखे हुए है. रिपोर्ट में कहा गया है कि चीन की एक बच्चा नीति और बेटों के लिए प्राथमिकता ने देश में महिलाओं की संख्या घटा दी है जिसके कारण औरतों की दुल्हन या सेक्स वर्कर के रूप में मांग बढ़ गई है.

रिपोर्ट बढ़ाएगा तनाव

इस रिपोर्ट से अमेरिका और इन दो देशों के बीच विवाद और बढ़ने की संभावना है जिनमें पहले से ही सीरिया के गृह युद्ध और दूसरे मुद्दों पर तनाव है. तुरंत तो यह नहीं पता चल सका कि ओबामा प्रशासन इन देशों का दर्जा गिरने के बाद क्या कदम उठाएगा लेकिन कुछ अमेरिकी सांसदों ने पाबंदी और विदेशी सहायता रोकने जैसे कुछ कठोर कदमों की मांग की है. न्यू जर्सी के रिपब्लिकन सांसद क्रिस स्मिथ ने कहा है, "चीन सेक्स और मजदूरी के लिए तस्करी के मामले में दुनिया की राजधानी बन गया है. बीजिंग के गंभीर और लगातार कोशिशों के बगैर यह और खराब ही होगा." अमेरिकी कानून के मुताबिक टायर थ्री के देशों पर ऐसे प्रतिबंध लगाए जा सकते हैं जिनसे कारोबार या मानवीय सहायता पर असर न पड़ता हो.

रिपोर्ट में कहा गया है कि इस तरह के अपराधों से लड़ने के लिए शपथ लेने के बावजूद दुनिया के देश करोड़ों पीड़ितों को पहचानने में नाकाम रहे. रिपोर्ट में दुनिया के 188 देशों का दर्जा बांटा गया है. रिपोर्ट के मुताबिक पिछले साल "आधुनिक गुलामी" के केवल 40 हजार पीड़ितों की ही पहचान की जा सकी. अनुमान है कि 2012 में दुनिया भर के 27 लाख महिलाओं, पुरुषों और बच्चे इस संगठित अपराध के शिकार बने. ज्यादातर शिकार महिलाएं और बच्चे होते हैं लेकिन पुरुषों की तादाद भी कम नहीं है. मानव तस्करी में वेश्यावृत्ति से लेकर बंधुआ मजदूरी और घरेलू कामकाज तक शामिल है. दोषियों को पकड़ना मुश्किल है. 2012 में कुल 7,705 लोगों पर अभियोग लगे इनमें से 4,746 को दोषी ठहराया गया. बीते साल के मुकाबले यह संख्या थोड़ी ज्यादा है.(मानव तस्करी के खिलाफ लड़ाई)

राष्ट्रपति बराक ओबामा ने पिछले साल मानव तस्करी के खिलाफ अमेरिकी कोशिशों को तेज करने के लिए कदम उठाने की शपथ ली थी. कुछ देशों ने इस मामले में प्रगति भी की है. इमें रिपब्लिक ऑफ कांगो, इराक और अजरबायजान शामिल हैं.

एनआर/एमजे (रॉयटर्स)

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