मालदीव में विपक्षी उम्मीदवार इब्राहिम मोहम्मद सोलीह ने राष्ट्रपति चुनाव में मौजूदा राष्ट्रपति अब्दुल्ला यामीन को शिकस्त दे दी है. भारत और श्रीलंका ने सोलीह को जीत पर बधाई दी है.
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भारत और श्रीलंका जैसे पड़ोसियों की तरफ से बधाई संदेश मिलने के बाद मालदीव के विदेश मंत्रालय ने एक बयान में कहा, "मालदीवियन डेमोक्रेटिक पार्टी के उम्मीदवार.. माननीय सोलीह ने 134,616 वोट पाकर चुनाव जीत लिया है." मालदीवियन डेमोक्रेटिक पार्टी पूर्व राष्ट्रपति नशीद की पार्टी है जो अभी श्रीलंका में निर्वासित जीवन बिता रहे हैं.
राष्ट्रपति यामीन ने रविवार को हुए चुनाव नतीजों के बारे में निजी रूप से अभी कोई टिप्पणी नहीं की है. चुनाव से पहले उनके मुख्य राजनीतिक प्रतिद्वंद्वी या तो जेल में थे या फिर निर्वासन में. आलोचक उन पर मीडिया को अपने पक्ष में करने का आरोप भी लगाते हैं.
चुनाव आयोग की तरफ से जारी परिणाम बताते हैं कि कमजोर समझे जा रहे विपक्ष के साझा उम्मीदवार सोहील 58.33 प्रतिशत वोटों के साथ स्पष्ट विजेता हैं. दूसरी तरफ यामीन को 41.7 प्रतिशत वोट यानी 96,132 मत मिले हैं. चुनाव आयोग ने कहा है कि आधिकारिक नतीजों का एलान सात दिन बाद होगा. लेकिन सरकारी मीडिया में भी सोलीह को अपनी जीत की घोषणा करते हुए दिखाया गया है जबकि चुनाव से पहले उसने सोहील को ज्यादा कवरेज नहीं दी थी.
आप मालदीव को कितना जानते हैं?
हिंद महासागर में बसा देश मालदीव इन दिनों संकट में घिरा है. मालदीव क्षेत्र और आबादी के लिहाज से बहुत छोटा है लेकिन रणनीतिक रूप से काफी अहम है.
मालदीव दक्षिण एशिया का सबसे छोटा देश है जिसका क्षेत्रफल 298 वर्ग किलोमीटर है. इसका मतलब है कि भारत की राजधानी दिल्ली क्षेत्रफल में मालदीव से पांच गुना बड़ी है.
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आबादी
प्राकृतिक रूप से बेहद सुंदर मालदीव 1200 द्वीपों पर बसा है. हालांकि इनमें से ज्यादातर पर कोई नहीं रहता. देश की लगभग सवा तीन लाख की आबादी में लगभग 40 फीसदी लोग राजधानी माले में रहते हैं.
तस्वीर: NASA/GSFC/METI/ERSDAC/JAROS, and U.S./Japan ASTER Science Team
मुस्लिम देश
मालदीव एक मुस्लिम बहुल देश है, जहां 98.4 फीसदी लोग मुसलमान हैं. देश की आधिकारिक भाषा धिवेही है, जो श्रीलंका में बोली जाने वाली सिंहला भाषा के करीब है. लेकिन इसे अरबी की तरह दांए से बाएं लिखा जाता है.
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कब मिली आजादी
मालदीव को 1965 में ब्रिटेन से आजादी मिली. 1968 में मालदीव में एक जनमत संग्रह के बाद सुल्तान मोहम्मद फरीद दीदी को सत्ता से हटाकर इब्राहिम नासिर पहले राष्ट्रपति बने. वह दस साल तक पद पर रहे.
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गयूम का मादलीव
इब्राहिम नासेर के बाद देश की बागडोर मामून अब्दुल गयूम के हाथों में आई जो लगातार तीस साल तक राष्ट्रपति बने रहे. 1980 के दशक में तीन बार उनके तख्तापलट की नाकाम कोशिशें भी हुईं. लेकिन अक्टूबर 2008 में हुए राष्ट्रपति चुनाव में उन्हें शिकस्त झेलनी पड़ी.
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पहले लोकतांत्रिक चुनाव
मालदीव के इतिहास में 2008 में पहली बार लोकतांत्रिक रूप से राष्ट्रपति चुनाव हुआ और देश की बागडोर युवा नेता मोहम्मद नशीद के हाथों में आई. लेकिन 2012 में हफ्तों तक चले सरकार विरोधी प्रदर्शनों के बाद नशीद को इस्तीफा देना पड़ा.
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फिर संकट
2018 के शुरू होते ही मालदीव में फिर संकट की आहट सुनाई देने लगी. राजनीतिक कैदियों को रिहा करने के सुप्रीम कोर्ट के फैसले को राष्ट्रपति अब्दुल्ला यामीन ने मानने से इनकार कर दिया और जजों को गिरफ्तार कराया गया.
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दखल की अपील
सरकार ने पूर्व राष्ट्रपति मामून अब्दुल गयूम को भी गिरफ्तार किया. पूर्व राष्ट्रपति नशीद ने भारत से दखल देने की अपील की. हालांकि भारत ने अब तक सीधे सीधे दखल देने का कोई संकेत नहीं दिया है.
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समंदर में कैबिनेट बैठक
मालदीव दुनिया के उन इलाकों में शामिल हैं जिन पर समुद्र के बढ़ते जलस्तर के कारण खतरा मंडरा रहा है. 2009 में राष्ट्रपति नशीद ने दुनिया का ध्यान इस तरफ खीचने के लिए कैबिनेट की बैठक पानी के अंदर की.
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अर्थव्यवस्था
पर्यटन देश की अर्थव्यवस्था का मुख्य आधार है. कई द्वीपों को खास तौर से पर्यटन के लिए तैयार किया गया है जहां सैलानियों के लिए हर सुविधा है. पर्यटन कंपनियां मालदीव को एक ट्रॉपिकल स्वर्ग की तरह पेश करती हैं. यहां की मुद्रा मालदीवियन रुफिया है.
अमेरिकी विदेश विभाग ने यामीन से कहा है कि वह "लोगों की इच्छा का सम्मान करें." भारत सोलीह को बधाई देने वाला पहला देश था. क्षेत्र में अपना प्रभाव कायम करने के लिए भारत और चीन में प्रतिद्ंवद्विता है. यामीन का झुकाव चीन की तरफ ज्यादा था जबकि सोलीह को भारत समर्थक बताया जाता है.
लगभग सवा चार लाख की आबादी वाला मालदीव दक्षिण एशिया का सबसे छोटा देश है और उसका क्षेत्रफल लगभग तीन सौ वर्ग किलोमीटर है. लेकिन अपने नीले पानी वाले तटों की वजह से मालदीव दुनिया भर के सैलानियों को अपनी तरफ खींचता है. हालांकि राजनीतिक स्थिरता के लिहाज से मालदीव में पिछले कुछ साल बेहद उथल पुथल वाले रहे हैं.
सोलीह ने अपनी जीत की घोषणा करते हुए कहा, "यह खुशी का पल है, उम्मीद का पल है और इतिहास का पल है. हममें से बहुत से लोगों के लिए यह मुश्किल सफर था. सफर जो हमें जेल की कोठरियों या फिर निर्वासन में ले गया."
54 साल को सोलीह को दो मुख्य राजनीतिक पार्टियों और जेल की सजा काट रहे पूर्व राष्ट्रपति अब्दुल गयूम का समर्थन हासिल था. पूर्व राष्ट्रपति और फिलहाल श्रीलंका में रह रहे एमडीपी पार्टी के नेता मोहम्मद नशीद ने भी सोलीह को बधाई संदेश भेजा है.
एके/एनआर (एपी, डीपीए)
खतरनाक हवाई अड्डे
दुनिया भर में हवाई परिवहन लोकप्रिय हो रहा है. लेकिन कुछ हवाई अड्डे ऐसे भी हैं जो उड़ान और लैंडिंग के लिए खतरे से खाली नहीं हैं. कहीं छोटी उड़ान पट्टी तो कहीं खतरनाक ढलान.
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सिंट मार्टेन, कैरीबिक
प्रिंसेस जूलियाना एयरपोर्ट अपनी सनसनीखेज तस्वीरों के लिए मशहूर है. समुद्री बीच और सड़कों से कुछ ही मीटर की ऊंचाई पर विमान उड़ते हैं. विमान से निकलने वाली तेज हवा गाड़ियों के शीशे को नुकसान भी पहुंचा सकती हैं. उड़ान के समय लोग बाड़े पर खड़े होते हैं.
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जिब्राल्टर, स्पेन
यह प्रायद्वीप स्पेन जाने वाले पर्यटकों में अत्यंत लोकप्रिय है, लेकिन यहां आना अत्यंत रोमांचक है. जगह की कमी के कारण हवाई अड्डे का रनवे अत्यंत व्यस्त सड़क से गुजरता है, जिसे हर उड़ान और लैंडिंग के लिए रोकना पड़ता है. दुनिया में और कहीं ऐसी क्रॉसिंग नहीं.
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बारा, स्कॉटलैंड
स्कॉटलैंड के बारा द्वीप पर समुद्र की लहरें हवाई परिवहन को तय करती हैं. ज्वार भाटे का पानी आने से उत्तरी अटलांटिक में स्थित हवाई पट्टी डूब जाती है और जहाज का उतरना खतरे से खाली नहीं होता. लेकिन इस द्वीप पर और कोई दूसरा हवाई अड्डा है नहीं.
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माले, मालदीव
जहाज पर बैठ कर हवाई पट्टी को देखें तो तुरंत विश्वास हो जाता है कि मालदीव के समुद्र में डूब जाने का खतरा सच्चा है. माले का रनवे चारों ओर से समुद्र के नीले पानी से घिरा है. हुलहुले एयरपोर्ट राजधानी से दो किलोमीटर दूर एक कृत्रिम द्वीप पर बनाया गया है.
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लुकला, नेपाल
जो एवरेस्ट की चोटी पर चढ़ना चाहता है, उसका लुकला के हवाई अड्डे से बचना मुमकिन नहीं. नहीं तो सात दिन का पैदल सफर. पायलटों को रनवे पर उतरने के लिए पहाड़ की तरफ बढ़ना पड़ता है क्योंकि उसकी ढलान 12 फीसदी है. रनवे के आखिरी छोर पर 600 मीटर की खाई.
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मदेरा, पुर्तगाल
द्वीप की राजधानी सांता क्रूस के निकट दुनिया के सबसे खतरनाक हवाई अड्डों में से एक है. रनवे तट के करीब पहाड़ की चोटी पर है. उतरने के कुछ समय पहले तक पैसेंजरों को लगता है कि वे पहाड़ में टकरा रहे हैं. पायलट अंतिम क्षण में जहाज को मोड़ता है.
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कूर्चेवेल, फ्रांस
कूर्चेवेल के स्की रिजॉर्ट के बीचोंबीच 2007 मीटर की ऊंचाई पर वहां का हवाई अड्डा है, जिसे अल्टीपोर्ट भी कहा जाता है. रनवे सिर्फ 537 मीटर लंबा है और ढलान वाला भी. अब यहां यात्री विमान नहीं आते, सिर्फ शौकिया पायलट निजी विमानों के साथ आते हैं.
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पारो, भूटान
पारो हवाई अड्डा भूटान का अकेला अंतरराष्ट्रीय हवाई अड्डा है. वह एक गहरी घाटी में 2236 मीटर की ऊंचाई पर स्थित है. इसकी वजह से यहां उड़ान भरना या लैंड करना सिर्फ अच्छे मौसम में ही संभव है. 1990 तक रनवे सिर्फ 1400 मीटर लंबा था, अब उसे बढ़कर 1964 मीटर कर दिया गया है.
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तेगुसिगाल्पा, होंडुरास
होंडुरास की राजधानी के हवाई अड्डे पर उतरना तीन तरह से चुनौतीपूर्ण है. एक तो रनवे सिर्फ दो किलोमीटर लंबा है, दूसरे वहां उतरने से पहले पायलट को तीखा मोड़ काटना पड़ता है. उसके पहले उन्हें पहाड़ी इलाके से गुजरना पड़ता है.
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जेएफके न्यूयॉर्क, अमेरिका
न्यूयॉर्क का जेएफके एयरपोर्ट दो दूसरे हवाई अड्डों ला गार्डिया और नेवार्क के बीच है. यहां पायलटों की चुनौती यह होती है कि वे उन हवाई अड्डों की ओर जा रहे दूसरे विमानों के रास्ते में न आएं.