चर्चा के लंबे दौर के बाद आखिरकार रूस के राष्ट्रपति पुतिन ने संघर्ष विराम को हरी झंडी दे दी, लेकिन इसके बाद भी एक अविश्वास का माहौल बना हुआ है, ऐसा कहना है डॉयचे वेले के इंगो मनटॉयफल का.
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मिंस्क में जर्मन चांसलर अंगेला मैर्केल और रूस, फ्रांस और यूक्रेन के राष्ट्रपति पुतिन, ओलांद और पोरोशेंको की यूक्रेन वार्ता भले ही रात भर चली लंबी चर्चा के बाद खत्म हुई हो, लेकिन इसके बाद भी बहुत सी बातें साफ नहीं हुईं. सबसे पहले तो रूसी राष्ट्रपति पुतिन ने वार्ता खत्म होने के बाद एक छोटी सी प्रेस कॉन्फरेंस में इस बात की घोषणा की कि 15 फरवरी से पूर्वी यूक्रेन में युद्ध विराम पर सहमति बन गयी है. बाद में जर्मन चांसलर मैर्केल और फ्रांसीसी राष्ट्रपति ओलांद ने भी इसकी पुष्टि की.
पूर्वी यूक्रेन में संघर्ष और हत्याओं का खत्म होना बेशक एक सुखद नतीजा है. लेकिन मौजूदा समझौते पर जितनी कम जानकारी दी गयी है, उसके मद्देनजर अविश्वास का माहौल पैदा होता है. हो सकता है कि यह नया समझौता पिछली बार सितंबर 2014 में मिंस्क में हुए समझौते से ज्यादा कुछ भी ना हो. वहां भी युद्ध विराम की और भारी हथियारों को हटाने की बात कही गयी थी. लेकिन युद्ध विराम के फैसले पर कभी भी पूरी तरह अमल नहीं किया गया था. इस बीच रूस से सहायता प्राप्त करने वाले विद्रोही कई जगहों को अपने कब्जे में लेने में कामयाब रहे हैं. संघर्ष का केंद्र है डोनेत्स्क शहर का डेबाल्तसेवे जंक्शन जिसे अलगाववादियों ने कथित रूप से घेरा हुआ है. लेकिन जाहिर तौर पर यूक्रेन की सेना बिना लड़े इसे उनके हाथों में नहीं सौंप देगी.
इसलिए समझौते की इतनी कम जानकारी को देखते हुए इस ओर शक पैदा होता है कि 15 फरवरी की निर्धारित तारीख से क्या सच में युद्ध विराम का पालन किया जाएगा. क्योंकि आखिरकार सच्चाई यह है कि युद्ध विराम का कोई भी समझौता तभी सफल हो पाता है, जब संघर्ष से जुड़े दोनों ही पक्षों पर कोई स्वतंत्र रूप से नजर रख सके और इस बात का ध्यान रखे कि वे हथियार त्याग दें. नहीं तो सैन्य संघर्ष के बरकरार रहने की संभावना बहुत ज्यादा बढ़ जाती है.
इस बात की उम्मीद की जा सकती है कि फ्रांस के राष्ट्रपति ओलांद और जर्मन चांसलर मैर्केल ब्रसेल्स में होने वाले यूरोपीय संघ के शिखर सम्मलेन में यूरोप के अन्य देश प्रमुखों से पुतिन और पोरोशेंको के साथ हुए समझौते के मुख्य बिंदुओं को साझा करेंगे. अगर यह शक यकीन में तब्दील हो जाता है कि मिंस्क में हुआ यह समझौता भी खून खराबे को नहीं रोक पाया है, तो इस बात से इंकार नहीं किया जा सकता कि लंबी राजनयिक प्रक्रिया के बाद भी एक बार फिर से अन्य प्रतिबंध लगाने और यूक्रेन को हथियार मुहैया कराने के मुद्दों पर चर्चा शुरू करनी होगी.
संघर्ष और सर्दी की मार
संघर्ष और सर्दी की मार यूक्रेन में डोनेत्स्क के हालात बद से बदत्तर होते जा रहे हैं. यूक्रेनी सेना और रूस समर्थक अलगाववादियों के संघर्ष का डोनेत्स्क के मनोचिकित्सा अस्पताल पर बुरा असर पड़ा है.
तस्वीर: Teo Butturini/TRANSTERRA Media
युद्ध क्षेत्र के करीब
डोनेत्स्क साइकैट्रिक हॉस्पिटल नंबर.1 पेट्रोव्स्की जिले में हैं. इससे कुछ ही दूर यूक्रेन सेनाएं और हथियारबंद रूस समर्थक भिड़ रहे हैं. सेना ने शहर को घेरा है. दिसंबर में तो अस्पताल भी निशाना बना.
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हाड़ कंपाने वाली ठंड
संघर्ष के दौरान हुई गोलीबारी और आगजनी ने अस्पताल को नुकसान पहुंचाया. कई खिड़कियां टूट चुकी हैं. पारा माइनस 25 डिग्री तक जा रहा है. मरीजों और कर्मचारियों को गर्माहट के लिए लकड़ी जलानी पड़ रही है. तस्वीर में लकड़ी काटते दो मरीज.
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तमाम मुश्किलें
अस्पताल में डॉक्टरों का काम सिर्फ इलाज करना ही नहीं है, उन्हें मरीजों और दूसरे कर्मचारियों के साथ मिलकर लगातार इमारत को गर्म रखने का इंतजाम भी करना है. इतनी ठंड बर्दाश्त करना इंसान के बस की बात नही. बहुत सर्दी होने पर सारे मरीज डॉक्टर के स्टोव के आस पास पहुंच जाते हैं.
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बिस्तर और फाइलें
गोलाबारी का निशाना बनने के बाद कई बिस्तरों को डॉक्टरों के ऑफिस में शिफ्ट करना पड़ा. अस्पताल के पास मरम्मत के लिए पैसा नहीं है, इसीलिए खिड़कियों पर कांच की जगह गत्ते लगाए जा रहे हैं. खुली जगहों को पलंग से भी ढका जा रहा है.
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उम्मीद कायम
100 एमएम एंटी टैंक गन का ये खाली कवर अस्पताल के पास ही मिला. अब इसका इस्तेमाल अस्पताल के निदेशक के ऑफिस में गुलदान की तरह किया जा रहा है.
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दोपहर का खाना
कुछ मरीज खाने से भरा बर्तन वॉर्ड में ले जाते हैं. कुछ मरीज, नर्सों के साथ किचन में जाकर लंच लाते हैं. यही मौका होता है जब मरीज वॉर्ड छोड़कर जा सकते हैं.
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खाना
मरीज लंच अपने वॉर्ड के मुख्य कमरे में करते हैं. अब अस्पताल को खाने की सप्लाई की चिंता सता रही है. पैसे की तंगी है. अस्पताल मदद के लिए स्थानीय चर्च और नागरिकों पर निर्भर है.
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घुटन पैदा करते हालात
रोगियों को देखने उनके कमरे में पहुंचे डॉक्टर और नर्स. दिसंबर में अस्पताल की मुख्य इमारत बुरी तरह क्षतिग्रस्त हो गई. उससे पहले अगस्त में किचन की छत ढह गई. इमारत में डॉक्टरों और मरीजों के लिए जगह सिमटती जा रही है.
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मदद करते लोग
एक स्वयंसेवी नाई मदद के लिए अस्पताल पहुंचा. उसने बारी बारी कई मरीजों के बाल काटे.
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स्मोक ब्रेक
बालकनी में सिगरेट पीता एक मरीज. सिगरेट और माचिस नर्स के पास रहती है. निर्धारित समय पर ही नर्स धूम्रपान के आदी रोगियों को ये देती हैं.