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मिलकर दम लगाएंगे भारत जर्मनी

११ दिसम्बर २०१०

यूरोप में भारत के लिए दोस्त, साझीदार और समर्थक खोजने निकले भारतीय प्रधानमंत्री आज जर्मनी में हैं. स्थायी सीट हो या आतंकवाद से जंग, दोनों देशों को एक दूसरे की जरूरत है इसलिए मनमोहन मैर्केल मुलाकात से बड़ी उम्मीदें हैं.

2007 में भारत आई थीं मैर्केलतस्वीर: AP

आठ-नौ घंटे की छोटी सी यात्रा पर जर्मनी आए भारत के प्रधानमंत्री मनमोहन सिंह के सामने मौका है कि वह संयुक्त राष्ट्र में भारत की दावेदारी को पुख्ता करने के लिए जर्मनी के साथ मिलकर आगे बढ़ें. भारत और जर्मनी दोनों ही यूएन की स्थायी सीट चाहते हैं और जोर शोर से संयुक्त राष्ट्र में सुधारों की मांग कर रहे हैं.

तस्वीर: AP

दोनों देश तीन हफ्ते बाद से संयुक्त राष्ट्र की सुरक्षा परिषद के अस्थायी सदस्य बनने वाले हैं. और ऐसे मौके पर जर्मनी की चांसलर अंगेला मैर्केल की मनमोहन सिंह से मुलाकात अहम मानी जा रही है. नवंबर में भारत दौरे पर आए अमेरिकी राष्ट्रपति बराक ओबामा ने यूएन की स्थायी सीट पर भारतीय दावे का समर्थन किया. हाल ही में फ्रांसीसी राष्ट्रपति निकोला सारकोजी ने भी अपना समर्थन दोहराया. यानी भारत अंतरराष्ट्रीय समर्थन जुटा रहा है और जर्मनी के साथ मिलकर एक ही लक्ष्य की ओर बढ़ना उसके लिए फायदेमंद हो सकता है.

मनमोहन सिंह के जर्मनी दौरे का कार्यक्रम अचानक ही बना है. पिछले दिनों दक्षिण कोरिया की राजधानी सोल में जी20 देशों की बैठक के दौरान भारतीय प्रधानमंत्री ने मैर्केल से मुलाकात की. तभी मैर्केल ने उन्हें जर्मनी आने की दावत दी जिसे सिंह ने स्वीकार कर लिया. इसी हफ्ते सिंह को भारत ईयू शिखर बैठक के लिए बेल्जियम की राजधानी ब्रसेल्स आना था और उन्होंने अपने कार्यक्रम में बर्लिन दौरा भी जोड़ दिया.

यह छोटी सी यात्रा दोनों देशों के लिए बड़ी मंजिलों की ओर बढ़ने का अहम कदम साबित हो सकती है क्योंकि भारत और जर्मनी ऐसे मोड़ पर हैं जहां उन्हें एक दूसरे की जरूरत घर और बाहर के कई मोर्चों पर है. द्विपक्षीय व्यापार की बात हो या आतंकवाद के अंतरराष्ट्रीय सहयोग की, दोनों के लिए एक दूसरे का सहयोग और समर्थन अहम है.

तस्वीर: picture-alliance/ dpa

इसी गठजोड़ को मजबूत करने के लिए मनमोहन सिंह जर्मन चांसलर मैर्केल के अलावा राष्ट्रपति क्रिस्टियान वुल्फ से भी मिलेंगे. दोनों देशों में आतंकवाद से निपटने के लिए सहयोग पर सहमति की उम्मीद है. पिछले दिनों हुई कुछ घटनाओं ने इस सहमति को बेहद जरूरी बना दिया है. हाल ही में पता चला कि आतंकवादी जर्मनी में 26/11 के मुंबई जैसे आतंकवादी हमलों की साजिश रच रहे हैं. इस बात से जर्मनी चिंतित है और कड़े कदम उठा रहा है. आतंकवाद के शिकार भारत के लिए ये कदम अहम हैं क्योंकि वह आतंकवाद को अंतरराष्ट्रीय समस्या बताकर साझा लड़ाई की बात करता रहा है. शुक्रवार को ही उसने यूरोपीय संघ के साथ आतंकवाद पर साझा घोषणा पत्र जारी किया जिसमें आतंकवादियों की खुली आवाजाही रोकने से लेकर उन्हें वित्तीय मदद पर अंकुश लगाने की बात हो चुकी है.

यूरोप के लगभग 25 देशों में वीजा मुक्त आवाजाही है जो आतंकवादियों के लिए संभावित सहूलियत बन सकती है. इसके अलावा कई यूरोपीय देशों पर वित्तीय मदद देने के आरोप भी लगते रहे हैं जो भारत के लिए बड़ी चिंता है.

प्रधानमंत्री मनमोहन सिंह के साथ भारतीय वाणिज्य और उद्योग मंत्री आनंद शर्मा और उच्च स्तरीय व्यापार प्रतिनिधिमंडल भी आया है. जर्मनी दौरे में दोनों देशों के बीच कारोबार बढ़ाने पर भी बातचीत होगी. यूरोप में जर्मनी भारत का सबसे बड़ा कारोबारी साझेदार है. दोनों के बीच 2009-10 में 15.7 अरब डॉलर का कारोबार हुआ है और अब इसे दोगुना करने का लक्ष्य है.

रिपोर्टः अनवर जे अशरफ/बर्लिन

संपादनः वी कुमार

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