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मिलेनियम प्रोजेक्ट ने सौरी गांव की शक्ल बदल दी

२८ सितम्बर २०१६

विश्व भर में जारी मिलेनियम विलेज प्रोजेक्ट के तहत अफ्रीका से एक अच्छी खबर आई है. लंबे समय तक तमाम बुनियादी चीजों की कमी से जूझ रहे केन्या के सौरी गांव में मिलेनियम प्रोजेक्ट वरदान सरीखा साबित हुआ.

DW Global 3000 Millenniums-Dorf Sauri
तस्वीर: DW

सौरी में अब जेनिफर ओवीनो को लगभग हर कोई जानता है. वे कामयाब हैं. उनकी कामयाबी मिलेनियम विलेज प्रोजेक्ट के वॉलंटीयर्स के साथ आई. वह बताती हैं, "मुझे पता चला कि सिर्फ एक फसल जरूरी नहीं है. यहां के लोग सिर्फ मक्का उगाते थे. मक्का और उसके बाद फिर मक्का. जब मैंने खेती करनी शुरू की तो उनसे सीखा कि आप दूसरी फसल भी उगा सकते हैं."

ट्रेनिंग के अलावा जेनीफर ओवीनो प्रोजेक्ट के शुरू में मुफ्त बीज और खाद भी मिला. इसके अलावा ग्रीनहाउस के लिए सस्ता कर्ज भी. अब वह मक्के के अलावा कई फल और सब्जियां उगाती हैं. इस तरह खराब फसल का जोखिम कम हो जाता है. साथ ही फल और सब्जियों से अनाज के मुकाबले ज्यादा कमाई होती है. जेनीफर ओवीनो का फार्म अब इतना बड़ा हो गया है कि उन्होंने चार लोगों को फुलटाइम काम पर लगाया है. बीज और खाद वह पिछले दो सालों से खुद खरीद रही हैं.

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लेकिन मिलेनियम प्रोजेक्ट का फायदा सिर्फ किसानों को नहीं हुआ है. लंबे समय तक सौरी के स्कूल में हर चीज की कमी थी. अक्सर बच्चे क्लास में आते ही नहीं थे. मिलेनियम प्रोजेक्ट के साथ यहां टेक्स्ट बुक और कंप्यूटर आए और साथ ही बच्चों को रोजाना खाना भी मिलने लगा. यही वजह है कि पिछले दो सालों में स्कूली बच्चों की तादाद दोगुनी हो गई है. लेकिन साल के अंत में सहायता राशि मिलनी बंद हो जाएगी. तब शायद बच्चों को दोपहर का मुफ्त खाना भी बंद हो जाएगा. केन्या की सरकार से मिलने वाली मदद काफी नहीं है. स्कूल प्रिंसिपल फ्रांसिस ओकोको कहते हैं कि मेरी अपील होगी कि इस प्रोजेक्ट को और तीन साल के लिए बढ़ा दिया जाए. फिर वे इस संस्थान के साथ जुड़े अपने सपनों को पूरा कर पाएंगे. 

मिलेनियम प्रोजेक्ट से जेनीफर ओवीनो जैसे किसानों की फसल तो बेहतर हुई ही है, बिक्री भी बढ़ी है. प्रोजेक्ट की पहल पर इलाके में एक सर्विस सेंटर बनाया गया है जहां किसान अपना माल कमीशन पर बेच सकते हैं. दस प्रतिशत कमीशन सेंटर के पास रह जाता है. जेनीफर का मानना है कि डील फिर भी फायदेमंद है. वह कहती हैं, "अब एक इंसान सारा काम कर रहा है. दस लोगों को बाजार में नहीं रहना पड़ता. एक ही व्यक्ति सारा सामान बेच सकता है."

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जेनीफर का कहना है कि उनके लिए मिलेनियम प्रोजेक्ट वरदान सरीखा था. लेकिन कुछ विकास विशेषज्ञ इसे अभिशाप मानते हैं. उनका कहना है कि अरबों की निजी मदद से नई निर्भरताएं पैदा की गई हैं और सरकारों को जिम्मेदारी से छूट मिल गई है. इसके विपरीत केन्या की प्रोजेक्ट लीडर का कहना है कि मदद का फायदा बाद में भी दिखेगा. मिलेनियम प्रोजेक्ट की प्रमुख जेसिका मासिरा कहती हैं, "मदद का स्तर इस समय के मुकाबले अलग रहेगा लेकिन मैं खुश हूं कि कम से कम कुछ तो हुआ है. लोगों का सशक्तीकरण हुआ है, वे अब सरकार से मांग कर सकते हैं. क्योंकि हमने सरकार का विकेंद्रीकरण किया है."

जेनीफर ओवीनो को पता है कि सौरी के सभी किसान उनकी तरह कामयाब नहीं हैं. उसके लिए मदद से ज्यादा जरूरी है सही रवैया और बहुत सारा अनुशासन. वह कहती हैं कि लोगों को सीखना होगा कि आप बैठकर सिर्फ ये नहीं कह सकते हैं, मुझे दो मुझे दो. आप सुस्त हो जाते हैं, बैठे रहते हैं और दिन बदलता है तो करने के लिए कुछ नहीं होता है जबकि मैं जब सुबह में तैयार होती हूं तो पता होता है कि दिन व्यस्त होगा.

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जेनीफर ने अपनी संभावनाओं का फायदा उठाया है. आम किसान से वह कृषि उद्यमी बन गई हैं.

एमजे/वीके

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