समुद्री खोजकर्ताओं का मानना है कि हैती के पास मिला मलबा क्रिस्टोफर कोलंबस का ऐतिहासिक जहाज 'सांता मारिया' हो सकता है जिससे उन्होंने अमेरिका की खोज की थी. कुछ वैज्ञानिक अभी इस नतीजे पर पहुंचने को जल्दबाजी मान रहे हैं.
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हैती के उत्तरी तटीय इलाके के पास पानी में मिले एक जहाज के अवशेष इतिहास के सुनहरे पन्नों से निकल के आए लगते हैं. इन्हें ढूंढने वाले खोजकर्ताओं का मानना है कि ये 500 साल पुराने 'सांता मारिया' के बचे हुए हिस्से हैं. क्रिस्टोफर कोलंबस 1492 में 'सांता मारिया' के सहारे स्पेन से एशिया पहुंचने का छोटा रास्ता ढूंढने निकले थे. सांता मारिया कोलंबस के तीन जहाजों के बेड़े में से एक था. कहा जाता है कि बहामास के पास, क्रिसमस के दिन 'सांता मारिया' एक रीफ की तरफ रास्ता भटक गया और चट्टान से टकराकर दुर्घटनाग्रस्त हो गया. मैसाचुसेट्स के समुद्री अन्वेषक बैरी क्लिफोर्ड ने एक प्रेस विज्ञप्ति में कहा, "सभी भौगोलिक, पानी के अंदर इसकी स्थिति और पुरातात्विक प्रमाणों से ये साफ लगता है कि कि ये मलबा कोलंबस के मशहूर बेड़े सांता मारिया के ही है."
माना जाता है कि कोलंबस उस टूटे जहाज 'सांता मारिया' और अपने 39 लोगों को वहीं छोड़ कर स्पेन वापस चले गये. वह एक साल के बाद इस जगह फिर वापस आए लेकिन तब तक 'ला नाविदाद' किला भी नष्ट हो चुका था और उसके दल का कोई भी जिंदा नहीं बचा था. फ्लोरिडा यूनिवर्सिटी के पुरातत्वविज्ञानी कई सालों से दूसरे जहाज के अवशेष ढूंढ रहे थे. पिछले साल इस दल ने बताया था कि उन्हें वहां ऐसी जगह मिली है जो 'आरावाक इंडियन विलेज' रहा होगा.
दूसरी ओर हैती के मानव विज्ञान विशेषज्ञ इस खोज से पूरी तरह सहमत नहीं हैं. नेशनल एथनोलॉजी ऑफिस के निदेशक एरोल जोशुए इसे एक ऐतिहासिक और वैज्ञानिक भूल मानते हैं. उनका कहना है कि सांता मारिया समुद्र में पाया ही नहीं जा सकता. माना जाता रहा है कि जहाज जब टक्कर लगने से दुर्घनाग्रस्त हो गया था तब बचे हुए लोगों ने उसे तोड़ कर उसकी लकड़ी से एक छोटा सा किला बना दिया था. इसी किले को 'ला नाविदाद' के नाम से जाना जाते है और यही नई दुनिया में पहला यूरोपीय बसेरा भी माना गया था.
फेरी दुर्घटनाओं का दर्दनाक सिलसिला
दुनिया के किसी ना किसी हिस्से से बड़ी फेरी दुर्घटनाओं की खबरें आती रहती हैं. आंकड़े बताते हैं कि पिछले दस साल में हर साल 500 से ज्यादा लोग इन दुर्घटनाओं में मारे गए हैं.
तस्वीर: AFP/Getty Images
चीन: जून 2015
चीन के हुबेई प्रांत में यांग्सी नदी पर करीब 450 लोगों वाली एक यात्री नाव पलट गई. 50 से 80 साल की उम्र के यात्रियों को ले जा रही यह नाव चक्रवाती तूफान की चपेट में आ गई थी. चीन सरकार ने दुर्घटना के बचाव अभियान में 3,000 से अधिक अर्द्धसैनिक बल के जवानों और 50 से ज्यादा नावों को तैनात किया है.
तस्वीर: imago/Xinhua/Xiao Yijiu
दक्षिण कोरिया: 2014
दक्षिण कोरिया के दक्षिणी द्वीप के पास यह फेरी दो घंटे तक समुद्री लहरों और हवा के भारी झोंकों से जूझते हुए अंत में डूब ही गई. हादसे के समय फेरी में स्कूली बच्चों और टीचरों समेत 477 यात्री सवार थे जो छुट्टियां मनाने जेजू रिसॉर्ट जा रहे थे.
तस्वीर: Reuters
फिलिपींस: 2013, 2008
2013 में फिलिपींस के सेबू के पास रात के अंधेरे में 200 लोगों को ले जा रही एक फेरी एक कार्गो जहाज से टकराकर डूब गई. इसमें 71 लोग नारे गए. 2008 में एमवी प्रिंसेस नाम के एक बड़े जहाज के तूफान में फंस कर डूबने से 800 जानें गईं.
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तंजानिया: 2012
बचावकर्मी 18 जुलाई, 2012 को तंजानिया मेनलैंड और जंजीबार के बीच उलट गए जहाज से लोगों के शव निकालते हुए. इस फेरी में 290 यात्री और चालक दल के लोग थे जिसमें से कम 144 लोग मृत या लापता हो गए.
तस्वीर: AFP/Getty Images
भारत: 2012
आपदा बचाव दल कर्मी पूर्वोत्तर राज्य असम के पास ब्रह्मपुत्र नदी में दुर्घटनाग्रस्त हुई एक फेरी से लोगों को बचाने की कोशिश में. अचानक आए तेज तूफान में फंसने से फेरी के दो टुकड़े हो गए और इसमें सवार 200 से भी ज्यादा लोगों की डूब कर मौत हो गई.
तस्वीर: AFP/Getty Images
तंजानिया: 2011
जंजीबार के दो द्वीपों के बीच डूब जाने से 'स्पाइसी आइलैंडर' नामकी एक फेरी में सवार 200 से भी ज्यादा लोग मारे गए. इसी फेरी से यात्रा कर रहे अन्य 600 लोगों को बचा लिया गया. बचाए गए यात्री जंजीबार के एक अस्पताल में भर्ती किए गए.
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इंडोनेशिया: 2009, 2006, 2005, 2000
यह द्वीप समूह कई फेरी दुर्घटनाओं का गवाह रहा है. जनवरी 2009 में सुलावेसी द्वीप के पास चक्रवात में फंसी एक फेरी के डूबने से 200 से भी ज्यादा लोगों की जान चली गई. 2006 में जावा के तट के पास एक फेरी डूबने से 400 से भी ज्यादा मौतें हुईं.
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इंडोनेशिया: 2006
दिसंबर, 2006 में सेंट्रल जावा में हुई एक और फेरी दुर्घटना से बचा कर लायी जा रही एक महिला यात्री. काफी लंबे समय तक तूफान के थपेड़े झेलने के बाद डूबने से इस जहाज के 500 से भी ज्यादा यात्री लापता हो गए थे.
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गांबिया: 2002
सेनेगाल में बनी 'जूला' नामकी इस फेरी के डूबने से 1,800 से भी ज्यादा लोग मौत की नींद सो गए. अफ्रीका के पश्चिमी तटीय क्षेत्र से गुजर रही जूला को बेहद अशांत समुद्र ने पूरी तरह पलट दिया था.
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इस जहाज के अवशेष एक रीफ के पास 10 से 15 फीट गहरे पानी में मिले हैं. इसकी कील की लंबाई सांता मारिया से मिलती है जो 115 फुट था. पहली बार क्लिफोर्ड की टीम ने 2003 में इन्हें ढूंढा था लेकिन तब इसे पहचानना संभव नहीं था. बीते दस सालों में कई साक्ष्य जुटाने के बाद इस अन्वेषक दल का मानना है कि हैती के पास मिला मलबा कोलंबस के जहाज का ही है. लेकिन वैज्ञानिकों का मानना है कि अभी ये मान लेना जल्दबाजी होगी और इतिहास में एक मील का पत्थर मान लिए जाने के पहले और जांच किए जाने की जरूरत है.