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मिस्र के विदेश मंत्री ने इस्तीफा दिया

१७ जुलाई २०११

विरोधियों को शांत करने की कोशिश में मिस्र के प्रधानमंत्री एसाम शराफ ने कैबिनेट में बदलाव के तहत दो मंत्रियों की नियुक्ति की तभी विदेश मंत्री मोहम्मद अल ओराबी ने अपने इस्तीफे का एलान कर दिया.

ARCHIV - Der damalige ägyptische Botschafter Mohamed Al-Orabi kommt am 06.08.2008 in Berlin zur Premiere eines Musicals ins Hotel Estrel. Mohammed al-Orabi, ehemals Botschafter Ägyptens in Berlin, soll neuer ägyptischer Außenminister werden. Dies bericheten Medien in Kairo am Sonntag (19.06.2011). Al-Orabi tritt die Nachfolge von Nabil al-Arabi an, der am 1. Juli den Posten des Generalsekretärs der Arabischen Liga übernimmt. Der künftige Chef der ägyptischen Diplomatie war von 1994 bis 1998 Botschaftsrat an der ägyptischen Botschaft in Israel und von 2001 bis 2008 Botschafter seines Landes in Berlin. Foto: Jens Kalaene dpa/lbn +++(c) dpa - Bildfunk+++
तस्वीर: picture alliance/dpa

इसी साल फरवरी में राष्ट्रपति पद से होस्नी मुबारक की विदाई के बाद बनी कार्यवाहक सरकार का नेतृत्व प्रधानमंत्री एसाम शराफ कर रहे हैं. उम्मीद की जा रही है कि सोमवार तक वह एक नई कैबिनेट का एलान कर देंगे. इसके बाद ही हफ्ते भर से काहिरा में धरने पर बैठे लोगों की वहां से जाने की संभावना बनेगी. एसाम शराफ ने उदारवादी वफ्द पार्टी के नेता और अर्थशास्त्री हाजेम बेबलावी और अली अल सिल्मी को अपना डेपुटी बनाया है. इन दोनों की नियुक्ति के कुछ ही घंटे बाद सरकारी समाचार एजेंसी ने ओराबी के इस्तीफे के एलान की खबर दी.

तस्वीर: picture alliance / dpa

विदेश मंत्री ओराबी ने कहा है कि उन्होंने अपना इस्तीफा सौंप दिया है जिससे कि, "प्रधानमंत्री को मंत्रिमंडल का बदलाव करने में शर्मनाक स्थिति का सामना न करनी पड़े." ओराबी विदेश मंत्री की कुर्सी पर एक महीने से भी कम समय के लिए रहे. उन्होने लोकप्रिय नेता नबील अल अरबी की जगह ली थी जो अरब लीग का नेतृत्व करने के लिए मंत्रालय छोड़ गए.

इस्तीफे और नियुक्ति का एलान होने के बावजूद सैकड़ों प्रदर्शनकारी विरोध के मैदान में डटे हुए हैं. सरकारी समाचार एजेंसी मीना के मुताबिक कुछ प्रदर्शनकारियों ने सैन्य प्रतिनिधियों से बातचीत के बाद अपनी भूख हड़ताल जरूर बंद कर दी है.

तस्वीर: picture alliance / dpa

सत्ताधारी सर्वोच्च सैन्य परिषद ने भी अपने फेसबुक पेज पर शनिवार की शाम एक बयान जारी कर कहा है कि वो सैन्य मुकदमों को बलात्कार, पुलिस पर हमले और हथियारबंद हमलों तक ही सीमित कर रही है. विरोध प्रदर्शन कर रहे लोगों की एक प्रमुख मांग ये भी है कि सामान्य नागरिकों पर सैन्य अदालतों में चल रहे मुकदमों को बंद किया जाए. ये मुकदमे मुबारक की सत्ता से विदाई की बाद शुरू किए गए. हालांकि सेना ने अपने बयान में ये चेतावनी भी दी है कि वह शांतिपूर्ण विरोध प्रदर्शनों का तो सम्मान करेगी लेकिन अगर सरकारी या निजी संपत्तियों को नुकसान पहुंचाया गया तो वो प्रदर्शनकारियों का साथ नहीं देगी. शराफ पर विरोध प्रदर्शनकारी सुधारों को लागू करने में देरी और सैन्य शासन में उनकी कम ताकत के लिए दोषी ठहरा रहे हैं.

रिपोर्टः एजेंसियां/एन रंजन

संपादनः आभा एम

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