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मिस्र ने कहा, महज माफी काफी नहीं

२१ अगस्त २०११

इस्राएली सुरक्षाकर्मियों की कार्रवाई में मिस्र के पांच सुरक्षाकर्मियों की मौत से गर्म दोनों देशों के रिश्ते में आया तनाव अभी कायम है. मिस्र ने कहा है कि इस्राएल का सिर्फ माफी मांग लेना ही काफी नहीं है.

तस्वीर: picture alliance/dpa

दोनों देशों के रिश्ते में तनाव अब इस कदर बढ़ गया है कि काहिरा में एक प्रदर्शनकारी इस्राएली दूतावास पर लगे झंडे को मिस्र के राष्ट्रध्वज से बदल कर जनता के सामने हीरो बन गया. रविवार सुबह हजारों लोग मिस्र के सुरक्षाकर्मियों का विरोध करने के लिए इस्राएली दूतावास के सामने प्रदर्शन कर रहे थे. इसी दौरान एक प्रदर्शनकारी 17 मंजिली इमारत पर चढ़ गया और ऊपर लगे इस्राएल के झंडे को हटा कर मिस्र का झंडा लहरा दिया.

नीचे आने पर लोगों ने उसे कंधे पर उठा लिया और किसी विजेता की तरह उसका सम्मान किया. लोगों के विरोध के कारण सैन्य पुलिस उसे गिरफ्तार भी नहीं कर सकी. लोग उसके साथ खुशी से झूमते गाते रहे और कार के हॉर्न बजा कर उसका इस्तकबाल करते रहे.

संयुक्त जांच का स्वागत

इस बीच मिस्र ने इस्राएल की तरफ से सुरक्षाकर्मियों की मौत की संयुक्त जांच के प्रस्ताव का स्वागत किया है. हालांकि उनका यह भी कहना है कि इस्राएल की तरफ से आई प्रतिक्रिया इस घटना की गंभीरता के लिहाज से संतोषजनक नहीं है. शनिवार को मिस्र के सरकारी टेलिविजन ने खबर दी कि मिस्र ने इस्राएल से अपना राजदूत वापस बुलाने के एलान किया. हालांकि इस्राएल का कहना है कि अभी तक उसे राजदूत वापस बुलाए जाने की आधिकारिक जानकारी नहीं मिली है.

तस्वीर: picture-alliance/dpa

विदेश मंत्रालय के प्रवक्ता ने कहा, "मिस्र के राजदूत को वापस बुलाने के बारे में आधिकारिक रूप से इस्राएल को कोई जानकारी नहीं मिली." अगर मिस्र अपने राजदूत को वापस बुला लेता है तो दोनों देशों के बीच शांति समझौते के बाद दूसरी बार ऐसा होगा. 2000 में फलीस्तीनी विद्रोह को दबाने के लिए इस्राएल की तरफ से हुई कार्रवाई के जवाब में मिस्र ने अपना राजदूत वापस बुला लिया था.

मिस्र का कहना है कि इस्राएली सीमा पर कार्रवाई में मिस्र के सुरक्षाकर्मियो की मौत 1979 में हुए शांति समझौते का उल्लंघन है. मिस्र के विदेश मंत्री ने बाद में इस्राएली राजदूत को बुला कर विरोध जताया और इस घटना की संयुक्त जांच कराने की मांग की. 1979 में मिस्र अरब का पहला ऐसा देश बना जिसने इस्राएल के साथ शांति समझौता किया.

उधर इस्राएली रक्षा मंत्री एहुद बराक ने आधिकारिक जवाब में कहा है कि इस्राएल सुरक्षाकर्मियों की मौत पर माफी मांगता है. इस घटना के बाद सीमावर्ती इलाके में हिंसा भड़क उठी है जिसमें अब तक 8 लोगों की मौत हो चुकी है. मिस्र के राष्ट्रपति पद से होस्नी मुबारक की विदाई के बाद दोनों देशों के रिश्तों में पहली बार इतनी ज्यादा कड़वाहट आई है. बराक ने कहा कि उन्होंने इस्राएली सेना को मिस्र के साथ मिल कर मामले की संयुक्त जांच करने के आदेश दिए हैं.

क्या है सच

घटना के बारे में कई तरह की बातें हुईं. बाद में मिस्र के सूचना मंत्री के हवाले से मीना ने बताया कि शुक्रवार को पांच पुलिसकर्मियों की मौत,"मिस्र की सीमा में हुई है. ये लोग इस्राएली सीमा में मौजूद इस्राएली सैनिकों और हथियारबंद लड़ाकों के साथ गोलीबारी का शिकार हुए." इस्राएली अधिकारी इसके लिए गजा में मौजूद फलीस्तीनी उग्रवादियों को दोषी ठहरा रहे हैं. पुलिसकर्मियों की मौत जहां हुई, वहां गजा की भी सीमा लगती है. इन अधिकारियों का कहना है कि फलीस्तीनी उग्रवादियों ने हमले की योजना बनाई. उग्रवादी मिस्र की तरफ से नेगेव के रेगिस्तान में चुपके से घुस गए और पुलिसकर्मियों को मार दिया. मिस्र ने इस बात से भी इनकार किया है कि इन पुलिसवालों ने अपनी सीमा का उल्लंघन किया.

तस्वीर: picture alliance/dpa

सिर्फ माफी काफी नहीं

मिस्र की सरकारी समाचार एजेंसी मीना ने कहा है, "मिस्र की सरकार संयुक्त जांच को उन परिस्थितियों का पता लगाने की दिशा में एक बड़ा कदम मानती है जिनकी वजह से यह घटना हुई. साथ ही भविष्य में इस तरह के हादसों को रोकने में इससे मदद मिलेगी. मिस्र का खून सस्ता नहीं है और सरकार कभी यह स्वीकार नहीं करेगी कि मिस्र का खून बिना किसी वजह के बहता रहे."

मीना के जरिए सामने आए कैबिनेट की तरफ से जारी संदेश में कहा गया है, "हत्या की संयुक्त जांच एक सकारात्मक कदम है लेकिन इस घटना की गंभीरता के लिहाज से यह काफी नहीं है. खासतौर से ऐसे माहौल में जब मिस्र के लोगों में इस्राएल के प्रति गुस्सा है."

इसके साथ ही कैबिनेट ने कहा है कि मिस्र इस्राएल के साथ शांतिपूर्ण संबंध का हिमायती है और इस्राएल को भी इस शांति को बनाए रखने में अपनी जिम्मेदारी निभानी चाहिए. कैबिनेट ने संयुक्त जांच पूरी करने के लिए एक समयसीमा तय करने की भी मांग की है और कहा है कि आपात बैठकें तब तक चलती रहेंगी जब तक नतीजे सामने नहीं आ जाते. मिस्र की कैबिनेट सैन्य अधिकारियों की मौजूदगी में शुक्रवार से ही आपात बैठकें कर रही है. शुक्रवार को काहिरा में रातोंरात हजारों मिस्रवासी इस्राएली दूतावास के सामने जमा हो गए. इन लोगों ने इस्राएल का झंडा जलाया, बैरियर तोड़ दिए और इस्राएली राजदूत को तुरंत लौटाने की मांग करने लगे. दूतावास के सामने लोगों का प्रदर्शन अब भी जारी है.

सीमा पर तनाव

इस बीच फलीस्तीनी उग्रवादियों ने रविवार को दक्षिणी फलीस्तीन पर कम से कम 12 रॉकेट दागे हैं, इसके बाद दोनों देशों के बीच पिछले तीन दिन से जारी हिंसा के और तेज होने की आशंका बढ़ गई है. एक दिन पहले दक्षिणी शहर बीरशबा में एक इस्राएली नागरिक की मौत हो गई थी. इसके बाद इस्राएली सेना के अधिकारी ने कहा था कि जरूरत पड़ी तो इस्राएल और ज्यादा सख्ती से कार्रवाई करेगा और साथ ही जवाबी कार्रवाई का दायरा बढ़ाया जाएगा. मध्यपूर्व में ताजा हिंसा का दौर गुरुवार को शुरू हुआ. गुरुवार को कुछ बंदूकधारी गजा पट्टी से आए और लाल सागर रिसॉर्ट को पार कर मिस्र की सीमा में घुस गए और गोलीबारी शुरू कर दी जिसमें 8 लोगों की मौत हो गई. इस हिंसा में मिस्र के पांच पुलिसकर्मी और सात बंदूकधारी मारे गए.

रिपोर्टः एजेंसियां/एन रंजन

संपादनः वी कुमार

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