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पत्रकारों पर मुकदमा

२० फ़रवरी २०१४

मिस्र की अदालत में अल जजीरा के पत्रकारों पर सुनवाई हो रही है. इन पर आरोप है कि वह मुस्लिम ब्रदरहुड का समर्थन करते हैं. पत्रकारों की गिरफ्तारी के बाद मिस्र के सैन्य शासन पर सेंसरशिप के आरोप लग रहे हैं.

Kenia Protest gegen Inhaftierung von Journalist Peter Greste
तस्वीर: Simon Maina/AFP/Getty Images

कतर में स्थित अल जजीरा के पत्रकारों पर मुकदमा ऐसे समय में चलाया जा रहा है जब दोहा और काहिरा के बीच रिश्ते ठीक नहीं है. कतर कभी राष्ट्रपति मोहम्मद मुर्सी का समर्थक हुआ करता था, लेकिन मिस्र की सेना ने मुर्सी को सत्ता से बेदखल कर दिया. मिस्र में मुस्लिम ब्रदरहुड प्रतिबंधित संगठन है. अभियोजन पक्ष का आरोप है कि बचाव पक्ष, ने फुटेज के साथ छेड़छाड़ की और ब्रदरहुड का समर्थन किया. आरोपियों में पुरस्कृत ऑस्ट्रेलियन पत्रकार पीटर ग्रेस्ट और मिस्र-कनाडाई मोहम्मद फादेल फहमी शामिल हैं.

काहिरा में कुल 20 पत्रकारों पर सुनवाई हो रही है, लेकिन इनमें से केवल आठ हिरासत में हैं. अभियोजन पक्ष का कहना है इन लोगों ने मिस्र में "गृहयुद्ध" की झूठी तस्वीर पेश की. शायद चैनल के उस कवरेज की ओर इशारा किया जा रहा है जिसमें सड़क पर हुई झड़पों में 1,000 से ज्यादा मुर्सी समर्थक मारे गए थे.

अल जजीरा के पत्रकार मोहम्मद फादेल फहमीतस्वीर: Mohamed Fahmy

प्रेस की आजादी नहीं

मानवाधिकार संगठन ह्यूमन राइट्स वॉच का कहना है कि अंतरिम सरकार का यह कदम विरोधियों पर कार्रवाई का एक हिस्सा है, "मिस्र प्रशासन ने हाल के महीनों में किसी भी प्रकार के विरोध पर लगभग शून्य सहिष्णुता का प्रदर्शन किया, पत्रकारों को गिरफ्तार कर मुकदमा चलाया गया, शांति के साथ अपने विचार व्यक्त करने वाले प्रदर्शनकारियों और शिक्षाविदों पर कार्रवाई की गई." मिस्र की सरकार ब्रदरहुड को आतंकी संगठन घोषित कर चुकी है हालांकि इसने मुर्सी के सत्ता से हटने के बाद हुए बम धमाकों में संलिप्तता से इनकार किया है. अल जजीरा ने कहा है कि बचाव पक्ष के सिर्फ नौ पत्रकार उसके कर्मचारी हैं और उन्होंने आरोपों से इनकार किया है. बीबीसी के पूर्व पत्रकार ग्रेस्ट और सीएनएन के लिए काम कर चुके फहमी को दिसंबर में काहिरा के एक होटल से गिरफ्तार किया गया था. बाकी के विदेशी पत्रकार मिस्र में मौजूद नहीं हैं और उन पर अनुपस्थिति में ही मुकदमा चलाया जाएगा.

पत्रकारों की रिहाई की मांग

अमेरिका, प्रेस की स्वतंत्रता से जुड़े समूहों और सैकड़ों पत्रकारों ने गिरफ्तारी का विरोध किया है. इंटरनेशनल प्रेस इंस्टिट्यूट ने भी कोर्ट से पत्रकारों की रिहाई की मांग की है. इंस्टिट्यूट के तथ्य खोजने वाली टीम ने कहा, "पत्रकारों को डराने की कोशिश में सेना व्यवस्थित ढंग से पत्रकारों पर आतंकियों की मदद की असमर्थित और झूठी खबर फैलाने का आरोप लगा रही है. यह स्वतंत्र रूप से समाचार इकट्ठा करने में बाधा पहुंचाने की कोशिश है." ग्रेस्ट ने जेल में रहते हुए एक खत लिखा था जसे अल जजीरा ने पिछले महीने प्रकाशित किया था. इस खत में ग्रेस्ट ने मिस्र में प्रेस स्वतंत्रता की कमी के बारे में लिखा है, "सरकार मुस्लिम ब्रदरहुड या किसी और आलोचनात्मक आवाज को बर्दाश्त नहीं करेगी. जेलों में ऐसे लोगों की भीड़ बढ़ रही है जो सरकार का विरोध या फिर सरकार को चुनौती दे रही है." गिरफ्तार किए गए पत्रकार प्रेस अधिकृत नहीं हैं. मिस्र का कहना है कि वह अधिकृत विदेशी पत्रकारों का स्वागत करता है.

एए/एमजी(एपी, एएफपी)

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