1. कंटेंट पर जाएं
  2. मेन्यू पर जाएं
  3. डीडब्ल्यू की अन्य साइट देखें

मिस्र में और तेज प्रदर्शनों की आशंका

२८ जनवरी २०११

शुक्रवार को मिस्र में और बड़े विरोधी प्रदर्शन बुलवाए गए हैं. इंटरनेट और ब्लैकबैरी सेवाओं में बाधाएं आ रही हैं. सरकार प्रदर्शनकारियों से नियंत्रण में रहने की सलाह दे रही है. इस बीच अल बारादेई विरोध का प्रतीक बन गए हैं.

सुएज में प्रदर्शनतस्वीर: ap

ऑस्ट्रिया की राजधानी वियेना में पत्रकारों से बात करते हुए अंतरराष्ट्रीय परमाणु एजेंसी आईएईए के पूर्व प्रमुख और नोबेल शांति पुरस्कार से सम्मानित अल बारादेई ने कहा कि अगर उनसे पूछा गया तो वह मिस्र में 'बदलाव' का नेतृत्व करने को तैयार हैं. उन्होंने कहा, "अगर लोग, और खास कर अगर युवा चाहते हैं कि मैं इस बदलाव का नेतृत्व करूं, तो मैं उन्हें निराश नहीं करूंगा. इस वक्त मैं एक नया मिस्र देखना चाहता हूं और एक नया मिस्र, शांतिपूर्ण बदलाव से. मैं उम्मीद करता हूं कि बदलाव की इस प्रक्रिया को एक सुलझे ढंग से निबटाया जाएगा. मैं उम्मीद करता हूं कि सरकार भी ऐसा सोचेगी. मुझे आशा है कि शासन लोगों को रोकना, उनपर हिंसा का प्रयोग करना और उनपर जुल्म करना बंद करेगा."

तस्वीर: picture-alliance/dpa

बदलाव की चाह

उधर मिस्र की सबसे बड़ी विपक्षी पार्टी, द मुस्लिम ब्रदरहुड अपने सदस्यों को विरोधी प्रदर्शनों में हिस्सा लेने का बुलावा भेज रही है. शांति के लिए नोबेल पुरस्कार विजेता अल बारादई ने मिस्र लौटने पर कहा कि वह शुक्रवार को साप्ताहिक नमाज के बाद लोगों का विरोधी प्रदर्शनों में साथ देंगे. हालांकि देश के गृह मंत्रालय ने चेतावनी दी है कि वह सरकार विरोधी प्रदर्शनकारियों के खिलाफ 'निर्णायक कार्रवाई' करेगा. वहीं मिस्र में सत्ताधारी नेशनल डेमोक्रेटिक पार्टी के महासचिव सौफत अल शरीफ ने कहा, "हमनें युवाओं के साथ कई बैठकें की हैं, लेकिन भविष्य में हम अपने तरीके को लेकर और संवेदनशील रहेंगे ताकि वे भी इन फैसलों में हिस्सा ले सकें."

ट्यूनेशिया के 'जास्मीन रेवल्यूशन' के बाद मिस्र में भी शासन के खिलाफ प्रदर्शन हो रहे हैं. अब तक कुल सात लोगों की मौत हो गई है और 100 से ज्यादा घायल हैं. एक हजार से ज्यादा लोगों को पुलिस हिरासत में ले लिया गया है. चश्मदीदों के मुताबिक सिनाई शहर में भी एक प्रदर्शनकारी पुलिस की गोलियों का शिकार बना. गुरुवार को राजधानी काहिरा में प्रतिबंधों की वजह से प्रदर्शनकारी जमा नहीं हो सके, लेकिन सुएज और इस्माइलिया शहरों में से झड़पों की खबरे आई हैं. हालांकि अप्रैल 6 मूवमेंट की युवा शाखा ने कहा कि वह प्रतिबंधों के बावजूद सड़कों पर उतरेंगे.

अमेरिका की परेशानी

उधर अमेरिकी राष्ट्रपति बराक ओबामा ने भी प्रदर्शनकारियों का पक्ष लेते हुए कहा है कि हिंसा मिस्र में परेशानियों को सुलझाने का कोई तरीका नहीं है. यूट्यूब वेबसाइट में सवालों के जवाब देते हुए उन्होंने कहा कि मिस्र में विरोधी प्रदर्शन दशकों से 'जमा हो रहे' गुस्से का नतीजा है. उन्होंने कहा कि राष्ट्रपति हस्नी मुबारक को भी हमेशा उनकी यही सलाह रही है कि मुबारक मिस्र में अहम राजनीतिक सुधार करें. ओबामा सरकार के लिए मिस्र में राजनीतिक स्थिति एक मुश्किल बन गई है. फलिस्तीन और इस्राएल के बीच संबंधों में मध्यस्थता करने के अलावा अमेरिका मानता है कि मिस्र मध्यपूर्व में ईरान के प्रभाव को भी कम करने में मदद करता है. इन आंदोलनों से अगर मुबारक वाकई शासन से हाथ धो बैठते हैं तो अमेरिका को डर है कि उनकी जगह अमेरिका विरोधी इस्लामी पार्टियां ले लेंगी.

रिपोर्टः एजेंसियां/एमजी

संपादनः आभा एम

इस विषय पर और जानकारी को स्किप करें

इस विषय पर और जानकारी

डीडब्ल्यू की टॉप स्टोरी को स्किप करें

डीडब्ल्यू की टॉप स्टोरी

डीडब्ल्यू की और रिपोर्टें को स्किप करें