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मिस्र में सरकार के खिलाफ बड़ा मार्च आज

१ फ़रवरी २०११

मिस्र में लगातार आठवें दिन सरकार विरोधी प्रदर्शनकारियों ने राजधानी काहिरा के केंद्रीय तहरीर चौक को घेर रखा है और आज एक बड़ा मार्च निकालने की तैयारी है जिसे मिलियन्स मार्च का नाम दिया गया है.

"गो मुबारक, गो"तस्वीर: AP

प्रदर्शनकारियों का कहना है कि वे तब तक नहीं हटेंगे, जब तक राष्ट्रपति होस्नी मुबारक अपने पद से नहीं हटते. उनकी यह भी मांग है कि देश में आर्थिक और लोकतांत्रिक सुधारों का रास्ता तैयार किया जाए. तेज होते विरोध प्रदर्शनों और बढ़ते अंतरराष्ट्रीय दबाव के बीच मुबारक ने नए मंत्रिमंडल का गठन किया है. हालांकि इसमें ज्यादातर वही चेहरे शामिल हैं जो शुक्रवार को बर्खास्त मंत्रिमंडल का हिस्सा थे. मुबारक ने अपने वफादार उमर सुलेमान को उप राष्ट्रपति नियुक्त किया गया है. सुलेमान ने राष्ट्रीय टीवी पर कहा कि वह सभी विपक्षी गुटों के साथ भी बातचीत को तैयार हैं.

उप राष्ट्रपति सुलेमान का कहना है कि संसद में पिछले सालों के चुनावों के बाद विवादित सीटों पर चर्चा की जाएगी. तहरीर चौक में जमा हुए प्रदर्शनकारियों का मानना है कि सरकार इस तरह विपक्ष को खुश करने की कोशिश कर रही है. इस बीच मुस्लिम ब्रदरहुड सहित विपक्षी पार्टियों ने एक साथ सामने आने का फैसला किया है और नोबेल शांति पुरस्कार विजेता और आईएईए के पूर्व प्रमुख मोहम्मद अल बारादेई को अपना प्रतिनिधि चुना है. विपक्षी पार्टियां सेना से भी बात करने की योजना बना रही हैं. इससे पहले सेना ने साफ किया कि वह प्रदर्शनकारियों पर बल प्रयोग नहीं करेगी. सेना उनकी मांगों को जायज मानती है.

अल बारादेई के हाथों में विरोध की कमानतस्वीर: dapd

गुरुवार से मिस्र में इंटरनेट सेवाओं में बाधा आ रही हैं. इंटरनेट पर निगरानी रखने वाली कंपनी रेनेसिस का कहना है कि मिस्र में एक मात्र कंपनी नूर ग्रुप, जो इंटरनेट सेवाएं प्रदान कर रही थी, उसने भी अपना काम बंद कर दिया है. मिस्र में रेल यातायात में भी परेशानियां आ रही हैं और माना जा रहा है कि सरकार इस तरह प्रदर्शनकारियों को एक जगह जमा होने से रोकना चाहती है.

अंतरराष्ट्रीय दबाव के बीच राष्ट्रपति होस्नी मुबारक की परेशानियां बढ़ती जा रही हैं. यूरोपीय संघ ने मिस्र में निष्पक्ष चुनावों का आह्वान किया ताकि व्यवस्थित तरीके से सत्ता परिवर्तन हो सके. वहीं प्रदर्शनकारियों का समर्थन कर ही सेना ने लोगों से अपील की है कि वे चोरी और अराजकता पर नहीं उतरें. देश की अर्थव्यवस्था पर विरोध प्रदर्शनों का बुरा प्रभाव पड़ने लगा है. सरकार के खिलाफ बगावत के कारण मिस्र के शेयर बाजार और बैंक बंद हैं. काहिरा के कुछ इलाकों में खाने पीने की चीजों के दाम बढ़ गए हैं.

25 जनवरी से शुरू हुए प्रदर्शनों में अब तक 150 लोग मारे गए हैं.

रिपोर्टः एजेंसियां/एमजी

संपादनः ए कुमार

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