मीडिया में मीटू के शोर और मशहूर लोगों के सामने आते नामों का यह मतलब नहीं कि किसी और ग्रह की बात हो रही है, ताकझांक बंद कीजिए और गौर से देखिए हमारे आस पास कोई तकलीफ में हैं.
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सुबह-सुबह का वक्त था और मैं साढ़े छह साल की उम्र के अपने जुड़वां बच्चों, बेटे और बेटी को, स्कूल के लिए तैयार कर रही थी. बेटे को तैयार कर चुकी थी और बिटिया की स्कर्ट में बेल्ट डालने में उसकी मदद कर ही रही थी कि उसने अपनी सहज (और करीब करीब निर्विकार) बोली में कहा, "स्कर्ट के नीचे साइकलिंग शॉर्ट्स डाल दो मम्मा. सीढ़ियां चढ़ते हुए बच्चे नीचे से झांकते हैं और मजाक उड़ाते हैं.” उस रोज मेरे भीतर का सारा हौसला पस्त हो गया था. जिस लड़ाई को लड़ते-लड़ते मेरी आधी उम्र निकल गई, वही लड़ाई अब बच्चों के सामने थी. मुझे ज्यादा तकलीफ इस बात से हो रही थी कि इत्ती-सी उम्र में ही मेरी बेटी ने अपने सम्मान की इस लड़ाई के सच को बड़ी आसानी से न सिर्फ समझ लिया था, बल्कि स्वीकार भी कर लिया था और अपने तरीके से अपने डिफेंस के बारे में सोचने भी लगी थी.
मीटू कैंपेन पर बात करते हुए इस वाकये का जिक्र जरूरी हो जाता है. ये छोटी-सी घटना सिर्फ इतना बताती है कि जिस वर्कप्लेस हैरेसमेंट यानी काम-काज की जगह पर होनेवाले उत्पीड़न के इतने किस्से अगर सामने आ रहे हैं तो उसका बीज दरअसल होता कहां है. दिन और रात, जात और पात की तरह ही लिंगभेद और उत्पीड़न हमारे समाज का परम सत्य है.
किसी भी गांव, किसी भी शहर की लड़की या औरत को रोक कर पूछ लीजिए-घर में रिश्तेदारों की लंबी फौज के बीच से हो कर गुजरकर अपने लिए एक सुरक्षित कोना तलाशते हुए, स्कूल के लिए रिक्शा पकड़ते, कॉलेज के लिए ऑटो लेते, ट्रेन में अकेले सफर करते, पब्लिक स्पेसों में छेड़खानी और उत्पीड़न का एक न एक तजुर्बा सबके पास होगा. इस देश की हर बच्ची, हर लड़की, हर औरत का (और अनगिनत अनरिपोर्टेड मामलों में तो लड़कों का भी) पाला किसी न किसी रूप में लैंगिक भेदभाव और यौन उत्पीड़न से पड़ चुका है.
बड़े नामों की फेहरिस्त बना #MeToo
सोशल मीडिया के #MeToo अभियान ने भारत में कई नामी लोगों को गिरफ्त में लिया है. महिलाओं का यौन शोषण करने के आरोपों से घिरी इन हस्तियों में से कुछ ने माफी मांगी हैं तो कुछ आरोप लगाने वालों पर कानूनी कार्रवाई कर रहे हैं.
तस्वीर: Getty Images/AFP
बिनी बंसल
वॉलमार्ट के स्वामित्व वाली भारतीय ऑनलाइन रिटेल कंपनी फ्लिपकार्ट के सीईओ बिनी बंसल ने यौन दुर्व्यवहार का आरोप लगने के बाद अपने पद से इस्तीफा दे दिया. फ्लिपकार्ट के ई-कॉमर्स ऑपरेशन को संभालने वाले कल्याण कृष्णमूर्ति अब कार्यवाहक सीईओ होंगे. वॉलमार्ट ने आरोप के बारे में विस्तार से नहीं बताया लेकिन कहा कि बिनी के लिए यह दुर्भाग्यपूर्ण और चुनौतीपूर्ण स्थिति है.
तस्वीर: picture-alliance/epa/Jagadeesh Nv
नाना पाटेकर
मीटू में सबसे पहला नाम अभिनेता नाना पाटेकर का आया, जिन पर अभिनेत्री तनुश्री दत्ता ने गंभीर आरोप लगाए. पूर्व मिस इंडिया तनुश्री का कहना है कि 10 साल पहले नाना पाटेकर ने एक फिल्म के सेट पर उनके साथ अभद्र व्यवहार किया था.
तस्वीर: Gety Images/AFP
एमजे अकबर
पत्रकार से केंद्रीय मंत्री तक का सफर तय करने वाले एमजे अकबर पर करीब 10 महिलाओं ने यौन शोषण और अभद्र व्यवहार का आरोप लगाया है. अकबर ने इन आरोपों को खारिज करते हुए इन महिलाओं के खिलाफ अदालत का रास्ता अपनाया है.
तस्वीर: imago/Hindustan Times/Manoj Verma
आलोक नाथ
लेखिका और निर्माता विनता नंदा ने फेसबुक पोस्ट में लिखा कि बॉलीवुड में "संस्कारी" कहे जाने शख्स ने उनके साथ 19 साल पहले दुष्कर्म किया. उनके आरोप अभिनेता आलोक नाथ पर थे. नंदा के बाद अभिनेत्री संध्या मृदुल और दीपिका अमीन ने भी आलोक नाथ पर संगीन आरोप लगाए हैं.
तस्वीर: Getty Images/AFP
विनोद दुआ
पत्रकार विनोद दुआ पर फिल्म निर्माता निष्ठा जैन ने यौन शोषण के आरोप लगाए हैं. जैन ने कहा कि 1989 में जब वह दुआ के पास जॉब इंटरव्यू के लिए गईं थीं तो उन्होंने बेहद ही अभद्र कमेंट पास किया. जैन ने लिखा कि दूसरी जगह नौकरी लगने के बाद भी दु्आ उन्हें परेशान करते रहे.
तस्वीर: Getty Images/AFP/P. Singh
विकास बहल
चर्चित फिल्म 'क्वीन' फिल्म के डायरेक्टर विकास बहल पर फिल्म प्रॉडक्शन कंपनी फैंटम से जुड़ी एक महिला ने यौन शोषण का आरोप लगाया है. इस मामले के बाद क्वीन की अभिनेत्री रही कंगना रनौत ने भी अपने साथ हुए घटना के बारे में बताया था.
तस्वीर: Imago/Hindustan Times
कैलाश खेर
कैलाश खेर पर एक पत्रकार और गायिका सोना महापात्रा ने यौन शोषण का आरोप लगाया है. एक अन्य महिला ने यूट्यूब पर वीडियो अपलोड कर बताया था कि वह कैलाश खेर को अपना गुरू मानती थी लेकिन उन्होंने उसके साथ गलत व्यवहार किया.
तस्वीर: AP
अभिजीत
अपने विवादित बयानों के चलते चर्चा में रहने वाले गायक अभिजीत भट्टाचार्य पर एक महिला ने पब में छेड़छाड़ करने का आरोप लगाया है. इंडियन एक्सप्रेस के मुताबिक यह महिला एक फ्लाइट अटेंडेंट हैं जिसके साथ यह वाकया 20 साल पहले कोलकाता के एक पब में हुआ था.
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साजिद खान
फिल्म डायरेक्टर साजिद खान के लिए मीटू में आरोपों का सिलसिला थम ही नहीं रहा है. खान के साथ बतौर असिस्टेंट डायरेक्टर काम कर चुकी सलोनी अरोड़ा ने उन पर अश्लील व्यवहार का आरोप लगाया है. अभिनेत्री बिपाशा बासु के अलावा कई महिलाओं ने भी साजिद के खराब व्यवहार पर खुलकर बोला है.
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रघु दीक्षित
गायक और संगीतकार रघु दीक्षित पर भी अभद्र व्यवहार के आरोप लगे हैं. गायिका चिन्मई श्रीपदा ने एक महिला द्वारा लगाए आरोपों को ट्विटर पर शेयर किया. महिला का आरोप है कि जब वह रिकॉर्डिंग के लिए गई थी तो रघु ने उसे जबरदस्ती किस करने की कोशिश की.
तस्वीर: Getty Images/A.P. Gupta
सुभाष घई
राजकपूर के बाद बॉलीवुड के दूसरे शोमैन कहे जाने वाले सुभाष घई पर एक महिला ने रेप का आरोप लगाया है. महिला ने कहा कि उसे घई ने नशीला पदार्थ दिया और फिर उसका रेप किया. पीड़िता के साथ बातचीत के स्क्रीन शॉट्स लेखिका महिमा कुकरेजा ने सोशल मीडिया पर शेयर किए थे.
तस्वीर: picture-alliance/AP Photo
सुहेल सेठ
सेलेब्रिटी कंसल्टेंट और लेखक सुहेल सेठ पर चार महिलाओं ने गलत और अभद्र व्यवहार के आरोप लगाए हैं. इनमें से दो महिलाओं ने सेठ पर यौन शोषण के आरोप लगाए हैं.
तस्वीर: Imago/Hindustan Times
चेतन भगत
मीटू मूवमेंट में लेखक चेतन भगत का भी नाम सामने आया था, जिसके बाद उन्होंने सार्वजनिक तौर पर माफी भी मांग ली. हालांकि अब भगत ने एक स्क्रीनशॉट ट्वीट करते हुए अपने ऊपर लगे आरोपों को गलत बताया. उन्होंने लिखा है कि महिला ने उन्हें "किस यू मिस यू" लिखा था.
तस्वीर: PRAKASH SINGH/AFP/Getty Images
रजत कपूर
अभिनेता रजत कपूर पर एक महिला पत्रकार ने अभद्र व्यवहार का आरोप लगाया था. इस आरोप के बाद कपूर ने अपने ट्वीट में लिखा, "पूरी जिंदगी मैंने एक अच्छा इंसान बनने की कोशिश की है. अगर मेरे शब्दों या हरकत से किसी को भी दुख पहुंचा हो तो मैं पूरे दिल से माफी मांगता हूं."
तस्वीर: imago/Hindustan Times/S. Bate
सीपी सुरेंद्रन
पत्रकार और लेखक सीपी सुरेंद्रन पर भी अभद्र व्यवहार के आरोप लग रहे हैं. न्यूजपोर्टल स्क्रॉल ने अपनी एक रिपोर्ट में 11 पीड़िताओं की आपबीती बयान करते हुए लिखा है कि सुरेंद्रन उन्हें गलत ढंग से छूते थे और भद्दे कमेंट करते थे.
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और भी कई नाम
न्यूज पोर्टल द क्विंट के पत्रकार मेघनाद बोस, हिंदुस्तान टाइम्स के पत्रकार प्रशांत झा के अलावा, कमेडियन तन्मय भट्ट, गुरुशरण खंभा और महिला कमेडियन अदिति मित्तल का नाम भी मीटू मूवमेंट में सामने आया है.
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फिर वर्कप्लेस यानी काम-काज की जगह पर हुए उत्पीड़न को लेकर इतना शोर आखिर क्यों है? इसलिए क्योंकि वर्कप्लेस (और ज्ञानोपार्जन के संस्थान) वो पुनीत स्थान होते हैं जो मेरिटोक्रैसी पर चलते हैं. दफ्तर या काम करने की जगह वो स्पेस होती है जिसकी दहलीज पर हम अपनी-अपनी विविध पहचानों को छोड़कर साझा जज्बे के साथ एक दिशा में काम करने के लिए एकत्रित हुआ करते हैं. ऐसे किसी स्पेस की तो नींव में ही बराबरी, समावेशन और एक-दूसरे के लिए सम्मान की अपेक्षा की जाती है. लेकिन कड़वी सच्चाई तो सिर्फ इतनी-सी है कि सम्मान, समावेशन और बराबरी हमारे डीएनए से ही गायब है.
सच तो ये है कि इस आंदोलन ने एक बार फिर हमें हमारी निजी, पारिवारिक और सामाजिक संरचनाओं को नजदीक से देखने पर मजबूर किया है. घर की चहारदीवारी के भीतर हम जिस लिंगभेद को जाने-अनजाने हवा देते रहते हैं, पैदाइश से ही अपने लड़कों को ‘सेन्स ऑफ एन्टाइटलमेंट' देते हुए ‘माचो' बनाते रहते हैं, उसी भेदभाव की चिंगारी फिर बाहर निकलकर बराबरी की हर धारणा को राख करती रहती है. मर्दवादी व्यवस्था एक अमूर्त अवधारणा नहीं है, हमारी रोजमर्रा की आदतें हैं. इसलिए मीटू आंदोलन सिर्फ एक उठता-उतरता ज्वार नहीं, रोज-रोज की बराबरी की लड़ाई है.
लेकिन कोई भी आंदोलन अपने आप में संपूर्ण सत्य नहीं होता. जैसे विमर्श की कई परतें होती हैं वैसे ही इस आंदोलन के भी कई आयाम हैं. मिसाल के तौर पर, दफ्तरों में विशाखा गाइडलाइन्स और इंटरनल कम्पलेंट्स कमेटी के सख्ती से पालन किए जाने की कोशिश के कुछ सटीक और दूरगामी नतीजे दिखाई दिए हैं तो कुछ त्वरित प्रतिक्रियाएं भी सामने आई हैं. इस आंदोलन ने कई आवाजों को हिम्मत दी तो आरोप-प्रत्यारोपों के खतरनाक और परेशान करनेवाले सिलसिले भी शुरू हुए. (वरुण ग्रोवर के ख़िलाफ़ एक अनाम आरोप और फिर वरुण की सफाई इसकी एक मिसाल है).
एक बार में इस आंदोलन के सभी आयामों पर चर्चा मुमकिन नहीं, लेकिन कुछ पहलुओं पर सोचना बेहद ज़रूरी है. इस आंदोलन को लेकर सबसे पहला सवाल ये उठता रहा कि सोशल मीडिया पर मचता ये शोर कहीं एकांगी तो नहीं? तनुश्री दत्ता ने जाने-अनजाने जो बिगुल बजाया, और उसके बाद जितनी भी महिलाओं ने इस आंदोलन को आवाज दी, उनकी प्रोफाइलिंग में एक बात कॉमन थी. ये सारी महिलाएं पढ़ी-लिखी हैं, सफल हैं और एक किस्म के प्रीवीलेज्ड और एलीट तबके से आती हैं. अपने आंदोलन के लिए इन्होंने जिस भाषा को अपना हथियार बनाया है, उस भाषा के पास न सिर्फ़ भारत बल्कि पूरी दुनिया के मीडिया के पास पहुंचने की ताकत है. तो क्या #मीटू सिर्फ एक एलिट कैम्पेन है? दूसरा सवाल ये है कि आखिर क्यों महिलाएं अचानक गड़े मुर्दे उखाड़कर सामने लाने पर आमादा हो गईं? बीस-बीस साल पुराने मामलों को लेकर इतना शोर क्यों मचने लगा?
इसलिए क्योंकि पहली बार इतने बड़े स्तर पर वर्चुअल ही सही, लेकिन वो महफूज जगह मिली जहां अपने-अपने डर के पिशाचों की कहानियां सुनाकर साझा शेयरिंग और साझा हीलिंग की जा सकी है. कॉफी मशीनों के पास और अपने-अपने छोटे समूहों में अपने-अपने साथ हुए हादसों की निजी शेयरिंग तो हम सब करते रहे हैं, लेकिन एक-दूसरे के लिए खड़े होने की हिम्मत कभी नहीं थी हममें (और ऐसा क्यों था, ये अलग बहस का मुद्दा है). सच तो ये है कि मीटू तो पिछले एक साल में ग्लोबल कैम्पेन बना है. #मीटू तो एक साझा और तकलीफदेह तजुर्बे के खिलाफ सदियों से जमा होते रहे आक्रोश का एक मुखर विस्तार भर है.
उत्पीड़न उम्र, जाति, शहर और जगह नहीं देखता. वजूद, रसूख और शिक्षा-दीक्षा तक नहीं देखता. सिर्फ शिकार देखता है. इस आंदोलन के ‘एलीट' होने के आरोप से अगर सहमत भी हुआ जाए तो इस बात से इंकार नहीं किया जा सकता कि इस मुट्टी भर आवाज़ों की एक लहर ने इस देश की उन लाखों-करोड़ों दबी हुई आवाज़ों को थोड़ी-सी हिम्मत दी है जो कभी सामाजिक लांछनों तो कभी निजी डर से ये मान बैठती थीं कि बर्दाश्त करना और चुप रहना बचाव का इकलौता रास्ता है. कम से कम पहली बार हमने ये तो स्वीकार तो किया है कि वर्कप्लेस हैरेसमेंट एक सच्चाई है. ये तो माना कि ये एक छोटा-मोटा मुद्दा नहीं बल्कि सुरसा का मुंह है. महिलाएं बराबरी के अधिकारों को लेकर जितना सचेत होती जा रही हैं, उनके सामने की चुनौतियां और बढ़ती जा रही हैं.
इन महिलाओं के साथ ट्रंप ने किया 'यौन दुर्व्यवहार'
डॉनल्ड ट्रंप अमेरिका के सबसे विवादित राष्ट्रपतियों में से एक माने जाते हैं. एक दर्जन से ज्यादा महिलाओं ने उन पर यौन दुर्व्यवहार और बदतमीजी के आरोप लगाए हैं. हालांकि ट्रंप इससे इनकार करते हैं. मिलते हैं इन्हीं महिलाओं से.
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जेसिका लीड्स
न्यूयॉर्क टाइम्स की वेबसाइट पर अक्टूबर 2016 में प्रकाशित एक वीडियो में जेसिका लीड्स ने बताया कि 1980 के आसपास की बात है जब वह फ्लाइट से न्यूयॉर्क आ रही थीं. उस वक्त 38 साल की इस बिजनेसवूमेन को फ्लाइट पर ट्रंप मिले. लीड्स का कहना है कि ट्रंप ने उनके स्तनों को पकड़ा और उनकी स्कर्ट पर अपना हाथ रखने की कोशिश की.
तस्वीर: Getty Images/M. Schipper
रेचेल क्रूक्स
अक्टूबर 2016 में न्यूयॉर्क टाइम्स में छपी रिपोर्ट में रेचेल क्रूक्स ने बताया कि वह ट्रंप टावर में एक रियल एस्टेट कंपनी में रिसेप्शनिस्ट थीं. वह बताती हैं कि ट्रंप ने 2005 में "मुझे सीधे होठों पर किस किया". रेचेल के मुताबिक यह घटना 2005 की है और उस वक्त उनकी उम्र 22 साल थी.
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सैमंथा होलवे
सैमंथा 2006 की मिस नॉ़र्थ कैरोलाइना है और वह मिस यूएसए सौंदर्य प्रतियोगिता में हिस्सा ले चुकी हैं. उन्होंने एनबीसी के "टुडे" कार्यक्रम को बताया कि 2006 में ट्रंप सौंदर्य प्रतियोगिता के ड्रेसिंग रूम में आये और उस वक्त प्रतियोगी नग्न और बाथरोब्स में थीं. होलवे ने सीएनएन को बताया कि ट्रंप ने हर किसी को ऊपर से नीचे तक परखा. "हमें ऐसे देखा गया जैसे हम मांस का लोथड़ा हैं, कोई भोग विलास की चीज हैं."
तस्वीर: Getty Images/M. Schipper
समर जेरवोस
जेरवोस 2006 में ट्रंप के रियलिटी शो "द अप्रेंटिस" की एक कंटेस्टेंट रही हैं. उन्होंने बताया कि 2007 में एक नौकरी के बारे में बात करने के लिए वह ट्रंप से मिलीं तो ट्रंप ने उन्हें अपने साथ बिस्तर पर लिटाने की कोशिश की. जेरवोस कहती हैं कि उन्होंने सिर्फ ट्रंप के साथ बैठना मंजूर किया. "उन्होंने मेरा कंधा पकड़ा और मुझे आक्रामक तरीके से चूमने लगे. उन्होंने अपना हाथ मेरे सीने पर रखा."
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क्रिस्टीन एंडरसन
वॉशिंगटन पोस्ट की वेबसाइट पर प्रकाशित एक वीडियो में क्रिस्टीन एंडरसन ने ट्रंप पर आरोप लगाया कि 1990 के दशक में न्यूयॉर्क के नाइट क्लब में ट्रंप ने अपना हाथ उनकी स्कर्ट में डाला. एक वीडियो इंटरव्यू में उन्होंने कहा, "उन्होंने अंडरवियर में से मेरी योनि को छुआ था."
तस्वीर: picture-alliance/S. Moskowitz
लीसा बोयने
"16 महिलाएं और डॉनल्ड ट्रंप" नाम की शॉर्ट फिल्म में लीसा बोयने ने कहा कि वह 1990 के दशक में एक पार्टी में ट्रंप से मिलीं. यह पार्टी न्यूयॉर्क में ट्रंप ने ही दी थी. बोयने के मुताबिक ट्रंप ने अपनी टेबल को कास्टिंग काउच की तरह इस्तेमाल किया. उन्होंने मॉडल बनने आयी महिलाओं से टेबल पर चलने को कहा. उनकी ड्रेसेज के अंदर देखा और फिर जो देखा उस पर चर्चा भी की.
तस्वीर: picture alliance/dpa/F. May
जेसिका ड्राक
वयस्क फिल्मों में काम करने वाली जेसिका ड्राक ने अक्टूबर 2016 में लॉस एंजेलेस में एक प्रेस कांफ्रेस में बताया कि 11 साल पहले उन्हें ट्रंप ने अपने साथ सेक्स करने के लिए मजबूर किया. ट्रंप के प्रचार टीम ने इन आरोपों को पूरी तरह से झूठ बताया था.
तस्वीर: picture-alliance/dpa/M. Nelson
जिल हार्थ
ट्रंप ब्यूटी पेजेंट की बिजनेस एसोसिएट रही जिल हार्थ ने 1997 में ट्रंप के खिलाफ यौन दुर्व्यवहार के लिए 12.5 करोड़ डॉलर के हर्जाने का मुकदमा किया. उनका आरोप था कि 24 जनवरी 1993 को ट्रंप उन्हें फ्लोरिडा के अपने इस्टेट मारा लागो में बेडरूम में ले गये और अनांछित यौन हरकतें कीं. ट्रंप ने इन आरोपों से इंकार किया. 1997 में ये मुकदमा बंद कर दिया गया.
तस्वीर: Getty Images for New York Weddings/L. Busacca
कैथी हेलर
कैथी हेलर का कहना है कि 1997 में ट्रंप ने मारा लागो में एक कार्यक्रम में उन्हें चूमने की कोशिश की. इस कार्यक्रम में हेलर, उनके पति, तीन बच्चे और सास ससुर भी मौजूद थे. उन्होंने बताया कि जब ट्रंप से उनका परिचय कराया गया तो "उन्होंने मेरा हाथ पकड़ा, मुझे खींच लिया और मेरे होठों की तरफ लपके." तभी हेलर ने मुंह फेर लिया और ट्रंप ने उनके मुंह के पास किस किया.
तस्वीर: Getty Images/J. Raedle
निनी लाकसोनन
मिस फिनलैंड रही लाकसोनन ने कहा कि जब वह 2006 में मिस यूनिवर्स प्रतियोगिता में अपने देश का प्रतिनिधित्व कर रही थीं तो ट्रंप ने उनके साथ छेड़खानी की. वह कहती हैं कि ट्रंप ने उन्हें पीछे से पकड़ा. उनके मुताबिक, "उन्होंने मेरे कूल्हों को पकड़ लिया था. मुझे नहीं लगता कि यह किसी ने देखा होगा. लेकिन एक पल के लिए मैं घबरा गई और मैंने सोचा कि यह क्या हो रहा है."
तस्वीर: picture-alliance/dpa/S. Haavisto
मिंडी मैकगिलिवरे
अक्टूबर 2016 में ही मिंडी मैकगिलिवरे ने पाम बीच पोस्ट को बताया कि 24 जनवरी 2003 की बात है. उस वक्त वह मारा लागो में हुए कार्यक्रम में 23 साल की फोटोग्राफर असिस्टेंट के तौर पर मौजूद थीं. वह भी ट्रंप पर अपने कूल्हे पकड़ने का आरोप लगाती हैं.
तस्वीर: Imago/Zumapress
नताशा स्टोयनोफ
पेशे से रिपोर्टर स्टोयनोफ ने अपना अनुभव लिखते हुए बताया कि दिसंबर 2005 में मारा लोगो में ट्रंप ने उनकी अनुमति के बिना उन्हें चूमा. वह "पीपल्स" पत्रिका के लिए उस वक्त ट्रंप और उनकी तीसरी पत्नी मेलानिया पर एक लेख पर काम कर रही थीं. स्टोयनोफ लिखती है, "वह मुझे दीवार की तरफ धकेले जा रहे थे और अपनी जीभ को मेरे गले की तरफ पुश कर रहे थे."
तस्वीर: Imago/Zumapress
टेंपल टागार्ट
टेंपल टागार्ट मिस ऊटा रह चुकी हैं. उन्होंने बताया कि जब 1997 में वह मिस यूएसए प्रतियोगिता में हिस्सा ले रही थीं तो ट्रंप ने दो बार उनके होठों को चूमा. उस वक्त वह 21 साल की थीं. वह बताती हैं, "उनकी इस हरकत से मैं इतना घबरा गयी कि मैंने विमान का टिकट खरीदा और वापस आ गयी और किसी को इस बारे में नहीं बताया." टागार्ट ने अक्टूबर 2016 में अपने वकील के साथ प्रेस कांफ्रेंस में यह बात कही.
तस्वीर: Getty Images/M. Coppola
कारेना वर्जीनिया
योग सिखाने वाली कारेना वर्जीनिया ने अक्टूबर 2016 में बताया कि ट्रंप ने 1998 में यूएस ओपन टेनिस टूर्नामेंट के बाहर उन्हें एप्रोच करने की कोशिश की. उस वक्त वर्जीनिया की उम्र 27 साल थी. उनका आरोप है कि ट्रंप ने उनकी टांगों पर टिप्पणी की और इससे पहले कि वह अपनी कार में सवार होकर वहां से निकलतीं, इससे पहले ही ट्रंप ने उनके सीने को छूआ.
तस्वीर: Getty Images/J. Countess
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अपने-अपने स्पेस और अधिकार के लिए लड़ती औरतों के सामने खड़ी इन चुनौतियों के कई रूप हैं. लेकिन इसकी जड़ में एक ही बीज है. हमने आधी आबादी की आवाज़ को मुखर कर दी लेकिन पुरुषों को इस बदलाव के लिए जरा भी तैयार नहीं किया. दरअसल, सामाजिक बदलाव की जरूरत जितनी ही बड़ी होती है, उसके खिलाफ प्रतिरोध उतना ही गहरा, उतना ही गहन होता है. जाहिर है, जिस तबके के पास उत्पीड़न का विशेषाधिकार यानी सेन्स ऑफ एन्टाइटलमेंट है, बदलाव की राह में बाधाएं वहीं से आएंगी. अगर मर्दवादी व्यवस्था एक अमूर्त अवधारणा नहीं है तो जेन्डर इक्वलिटी भी एक आकस्मिक बदलाव नहीं हो सकता.
यानी, अगर वाकई बदलाव चाहिए तो #मीटू आंदोलन ने जो शुरुआत की है उसे बचाए रखने की जरूरत है. जब तक बराबरी के उद्देश्य को संस्थागत बनाकर घर-परिवारों और स्कूल-कॉलेजों की आदत में शुमार नहीं किया जाएगा तब तक किसी भी किस्म के बदलाव की उम्मीद बेकार है. जितना एक उत्पीड़क की नेमिंग और शेमिंग करके उसे पदच्युत किया जाना ज़रूरी है, पीड़ितों के हक में कानूनी ढांचे को मजबूत बनाने की जरूरत है, उतना ही जरूरी अपनी उम्र की लड़कियों की स्कर्ट के नीचे झांकते छोटे-छोटे लड़कों को ये बताना है कि सही क्या है और गलत क्या. सुरक्षा, सम्मान और बराबरी के अवसर- #मीटू इंडिया आंदोलन का लक्ष्य बस इतना ही है.