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मीठी चीनी की कड़वी लड़ाई में उलझे भारत, ब्राजील

८ मार्च २०१९

दुनिया में चीनी के दो सबसे बड़े उत्पादक देश आपस में भिड़ गए हैं. ब्राजील ने भारत द्वारा गन्ना उत्पादकों और चीनी उद्योग को दी जा रही रियायतों की शिकायत की है.

Symbolbild: Zuckersorten
तस्वीर: Colourbox

विश्व व्यापार संगठन (डब्ल्यूटीओ) ने भारत के खिलाफ दर्ज शिकायतों की जानकारी दी है. ब्राजील का आरोप है कि भारत अपने चीनी उद्योग को जो रियायतें दे रहा है, वे डब्ल्यूटीओ के नियमों का उल्लंघन करती हैं. ब्राजील और भारत दुनिया के सबसे बड़े चीनी उत्पादक हैं.

ब्राजील ने शिकायत में कहा है, "हाल के बरसों में, भारत ने अपनी समर्थन नीति के तहत घरेलू स्तर पर गन्ने और चीनी उद्योग को दी जा रही सहायता में भारी इजाफा किया है." भारत की चीनी मिलों को अनिवार्य रूप से निर्यात कोटा भी रखना पड़ता है. ब्राजील का आरोप है कि सब्सिडी के चलते भारत की चीनी काफी सस्ती पड़ रही है और निर्यात कोटे की वजह से सस्ती भारतीय चीनी को अंतरराष्ट्रीय बाजार में तरजीह मिल रही है. ब्राजील के मुताबिक भारत की चीनी मिलें वैश्विक कीमतों पर दबाव डाल रही हैं.

भारत पर गन्ना उत्पादकों को ज्यादा रियायत देने का आरोपतस्वीर: AP

स्विट्जरलैंड के शहर जेनेवा में डब्ल्यूटीओ ने यह भी कहा कि भारत के खिलाफ ऐसी ही शिकायत ऑस्ट्रेलिया ने भी दर्ज कराई है.

ब्राजील और ऑस्ट्रेलिया का आरोप है कि भारत अपने घरेलू बाजार को डब्ल्यूटीओ द्वारा निर्धारित सीमा से भी ज्यादा रियायत दे रहा है. डब्ल्यूटीओ के नियमों के मुताबिक कोई भी देश अपनी वार्षिक प्रोडक्शन वैल्यू का 10 फीसदी हिस्सा ही सब्सिडी के रूप में दे सकता है.

शिकायतों में यह भी कहा गया है कि भारत निर्यात में भी सब्सिडी दे रहा है. यह डब्ल्यूटीओ के नियमों के विरुद्ध है.

माना जा रहा है कि भारत ब्राजील को पीछे छोड़ दुनिया का सबसे बड़ा चीनी उत्पादक बनने जा रहा है. जर्मनी की वित्तीय राजधानी कहे जाने वाले फ्रैंकफर्ट शहर के कॉमर्जबैंक के खुदरा विश्लेषकों ने यह अनुमान लगाया है.

ब्राजील और ऑस्ट्रेलिया को अब भारत के साथ बातचीत कर इस विवाद को सुलझाने के लिए 60 दिन मिले हैं. अगर विवाद बातचीत से नहीं सुलझा तो डब्ल्यूटीओ हल खोजने के लिए अपनी प्रक्रिया शुरू करेगा.

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ओएसजे/एके (डीपीए)

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