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मुंबई में फाइनल खेलने के रोमांच से भरे तेंदुलकर

३१ मार्च २०११

मुंबई के जिस वानखेड़े स्टेडियम से सचिन तेंदुलकर ने क्रिकेट की दुनिया में कदम रखा उसी जमीन पर वर्ल्ड कप फाइनल खेलने का मौका उनकी रगों में रोमांच का तूफान उठा रहा है. अपने आंगन में महामुकाबला किसी सपने के सच होने जैसा.

तस्वीर: picture alliance / dpa

दो दशकों से टीम इंडिया की हर बड़ी जीत तेंदुलकर की बल्लेबाजी के साए में बनती और संवरती रही है. इतना लंबा समय बीतने के बाद अब वह पल आया है जिसका इंतजार सचिन को शायद तब से रहा होगा, जब उन्होंने क्रिकेट का बल्ला पहली बार अपने हाथों में थामा. रोमांच का सैलाब उफान मार रहा है लेकिन सचिन कहते हैं कि वे शांत रह कर अपने खेल पर ध्यान देंगे, "मुंबई में वर्ल्ड कप का फाइनल खेलना शानदार मौका है. हम सब चाहते हैं कि शांत रह कर अपना सारा ध्यान खेल पर लगाएं." पाकिस्तान के खिलाफ सेमीफाइनल मुकाबले में मैन ऑफ द मैच रहे सचिन में मैच के बाद ये बातें कही.

तस्वीर: DW

सचिन वर्ल्ड कप में अब तक पाकिस्तान के साथ खेले गए हर मैच में टीम का हिस्सा रहे हैं और हर बार टीम जीतती रही. बुधवार को इसमें एक और कड़ी जुड़ गई और सचिन कहते हैं, "ये ऐसी यादें हैं जिनके बार में सोचना हमेशा अच्छा लगता है." सचिन मे इस मौके पर टीम के युवा खिलाड़ियों की जम कर तारीफ की. खास तौर से उन्होंने सुरेश रैना के खेल को बेहद शानदार कहा. रैना के नानबाद 36 रनों की वजह से ही भारत का स्कोर 260 तक पहुंचा. ऐसे वक्त में जब धड़ाधड़ विकेट गिर रहे थे, रैना ने टिक कर बल्लेबाजी की और टीम का स्कोर यहां तक पहुंचाया. सचिन ने कहा, "रैना ने शानदार बल्लेबाजी की. जब हमने बल्लेबाजी शुरु की तब स्कोर के 310-315 तक जाने का अंदाजा लग रहा था. पर स्पिन गेंदबाजों के आते ही मामला उलटने लगा. तब मुझे लगा कि अगर 265-270 तक का स्कोर भी बन गया तो भी हम रक्षात्मक स्थिति में पहुंच जाएंगे."

सचिन के मुताबिक सहवाग की आतिशी पारी ने उन्हें और दूसरे बल्लेबाजों को इतना वक्त दे दिया कि आराम से खेल सकें और सोच सकें कि पारी को कैसे आगे बढ़ाना है. सचिन के मुताबिक, "वीरू के कारण हमें सोचने समझने का वक्त मिल गया. यह एक कठिन विकेट था जिस पर बल्लेबाजी मुश्किल थी और हमें एक अच्छे स्कोर की जरूरत थी. जीत का पूरा श्रेय गेंदबाजों को जाता है जिन्होंने शानदार खेल दिखाया."

कप्तान धोनी ने भी यही कहा कि मैच के आगे बढ़ने के साथ साथ पिच पर बल्लेबाजी मुश्किल होती चली गई, "अगर आप शुरुआती साझेदारी निकाल दें तो 260 अच्छा स्कोर था. शायद हम 20-30 रन और बना लेते." धोनी ने ये भी माना कि पिच को समझने में उनसे गलती हुई, "हमने पिच को गलत समझा, लेकिन हमारे तेज गेंदबाजों ने बहुत शानदार गेंदबाजी की. यही वजह थी कि हमें छठे गेंदबाज की जरूरत नहीं पड़ी. हमारे पास ऐसा कोई गेंदबाज भी नहीं है जो लगातार 140 से तेज रफ्तार पर गेंद फेंक सके. धोनी ने कहा, "हमारे पास जो गेंदबाज है उनमें बदलाव आता रहता है और फिर हमें उसी हिसाब से अपनी योजना बदलनी पड़ती है. आशीष और जहीर काफी अच्छे गेंदबाज हैं और उनकी गेंदाबाजी में बदलाव भी शानदार है. यहां तक कि मुनाफ भी आईपीएल में खेलने के बाद बेहद स्मार्ट हो गए हैं और उनकी गेंदें सीधे विकेट पर जा रही हैं.

रिपोर्टः एजेंसियां/एन रंजन

संपादनः एमजी

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