1. कंटेंट पर जाएं
  2. मेन्यू पर जाएं
  3. डीडब्ल्यू की अन्य साइट देखें

मुआवजे के लिए दावा ठोकेंगे गोपाल दास

१५ अप्रैल २०११

पाकिस्तान की जेल में 27 साल गुजारने के बाद पिछले हफ्ते भारत पहुंचे गोपाल दास भारत सरकार पर मुआवजे के लिए दावा ठोंकने की तैयारी कर रहे हैं. 52 साल के गोपाल दास की जिंदगी के सुनहरे साल जेल के अंधेरों में गुम हो गए.

25 साल की उम्र में ही पाकिस्तान की जेल में कैद हो गए गोपाल दास चाहते हैं कि भारत सरकार उन्हें उनकी जिंदगी को हुए नुकसान के लिए मुआवजा दे. समाचार एजेंसी पीटीआई से बातचीत में गोपाल दास ने कहा, "मैं केंद्र सरकार के खिलाफ मुआवजे के लिए केस दायर करूंगा. मैं अपने वकीलों से बात करूंगा जो कोर्ट में इस मामले को उठाएंगे." गोपाल दास ने कहा कि वकीलों से बात करने के बाद ही वह सारी जानकारी देंगे.

सीमा पार कर गए 52 साल के गोपाल दास को पाकिस्तान की अदालत ने जासूसी के आरोप में सजा सुनाई थी. मोहाली में क्रिकेट मैच देखने के लिए जब मनमोहन सिंह का न्यौता पहुंचा तो अपनी तरफ से मानवीय आधार पर राष्ट्रपति आसिफ अली जरदारी ने गोपाल दास की रिहाई के आदेश दे दिए. भारत की सुप्रीम कोर्ट ने पाकिस्तान सरकार से गोपाल दास को रिहा करने की अपील की थी. लाहौर की जेल से रिहा होने के बाद गोपाल दास सात अप्रैल को अटारी पहुंचे और फिर वहां से अपने घर चंडीगढ़.

वापस लौटने के तुरंत बाद उन्होंने कहा कि उनकी पूरी जिंदगी तो पाकिस्तान की जेलों में खत्म हो गई. गोपाल दास ने सरकार से पूछा कि आखिरकार वह 27 सालों तक खामोश क्यों रही. उन्होंने कहा, "मुझे भारत के नेताओं से बहुत शिकायत है जिन्होंने कभी भी पाकिस्तान की जेलों में बंद भारतीय लोगों की परवाह नहीं की. पाकिस्तान की जेल में 32 ऐसे भारतीय अब भी बंद हैं जिनकी सजा पूरी हो चुकी है पर उन्हें रिहा नहीं किया जा रहा. यह सब भारत सरकार की तरफ से कदम न उठाए जाने के कारण हो रहा है."

गोपाल दास ने बताया कि उन्हें खुफिया एजेंसी रॉ के अधिकारी हर बार पाकिस्तान जाने के बदले 500 रूपये देते और यह भरोसा भी कि अगर उन्हें कुछ हो गया तो उनके परिवार की देखरेख सरकार करेगी. 25 साल के गोपाल दास अधिकारियों के कहने में आ गए, तब उनकी शादी भी नहीं हुई थी. पाकिस्तानी रेंजरों ने उन्हें 1984 में जासूसी के आरोप में पकड़ लिया. गोपाल दास को उम्र कैद की सजा सुनाई गई और इसी साल के अंत में उनकी सजा पूरी होने वाली थी.

रिपोर्टः एजेंसियां/एन रंजन

संपादनः ए कुमार

इस विषय पर और जानकारी को स्किप करें

इस विषय पर और जानकारी

डीडब्ल्यू की टॉप स्टोरी को स्किप करें

डीडब्ल्यू की टॉप स्टोरी

डीडब्ल्यू की और रिपोर्टें को स्किप करें

डीडब्ल्यू की और रिपोर्टें