उत्तर प्रदेश के मुजफ्फरनगर जिले के गौड़ीय मठ में रह रहे बच्चों के साथ शारीरिक प्रताड़ना और यौन शोषण का मामला सामने आया है. पुलिस ने इस मामले में मठ के मालिक समेत दो लोगों को गिरफ्तार किया है.
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मुजफ्फरनगर के भोपा थाने में स्थित गौड़ीय मठ के मठाधीश भक्ति भूषण गोविंद महराज और उनके शिष्य अखिलेश दास को पुलिस ने नाबालिग बच्चों के साथ यौन उत्पीड़न के मामले में गिरफ्तार किया है. इन दोनों पर आरोप है कि इन्होंने 9 से 12 साल के चार बच्चों के साथ यौन शोषण और मारपीट की. फिलहाल पुलिस ने भक्ति भूषण और उनके शिष्य को जेल भेजकर आश्रम खाली करा लिया है और सभी बच्चों को वहां से निकाल लिया गया है. पुलिस के मुताबिक गौड़ीय मठ आश्रम में भक्ति भूषण और उनके शिष्य 10 बच्चों को पढ़ाते थे. मुजफ्फरनगर की जिलाधिकारी सेल्वाकुमारी जे ने बताया, "ये सभी बच्चे नॉर्थ-ईस्ट राज्यों, खासकर मिजोरम और त्रिपुरा और असम के हैं. मेडिकल रिपोर्ट में चार बच्चों के साथ यौन शोषण की पुष्टि हुई है. इसके अलावा अन्य बच्चों ने मारपीट की भी शिकायत की है. सभी आरोपों की जांच की जा रही है.”
स्थानीय पुलिस के मुताबिक भक्ति भूषण पर आईपीसी की धारा 377 (अप्राकृतिक शारीरिक संबंध) और कुछ अन्य धाराओं के अलावा पॉक्सो ऐक्ट के तहत भी मुकदमा दर्ज किया गया है. पुलिस के मुताबिक यह आश्रम 2008 से चल रहा था. आश्रम में दो क्लासरूम, ब्लैकबोर्ड और दो लैपटॉप हैं. आश्रम परिसर में रसोई घर भी है जहां बच्चों के लिए खाना बनता है. आश्रम में एक बड़ा हॉल है जहां सभी बच्चे रहते थे. फिलहाल इसे सील कर दिया गया है. पुलिस के मुताबिक ज्यादातर बच्चों की उम्र 10 से 15 साल के बीच है, जबकि एक की उम्र 18 साल है.
बच्चों को यौन दुर्व्यवहार से बचाएं
बाल दिवस यानि 14 नवंबर 2012 को भारत में लागू हुए पॉक्सो (POCSO) कानून में बच्चों से यौन अपराधों के मामले में कड़ी सजा का प्रावधान है. बच्चों को पहले से सिखाएं कुछ ऐसी बातें जिनसे वे खुद समझ पाएं कि उनके साथ कुछ गलत हुआ.
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सबसे ज्यादा शिकार बच्चे
भारत में हुए कई सर्वे में पाया गया कि देश के आधे से भी अधिक बच्चे कभी ना कभी यौन दुर्व्यवहार का शिकार हुए हैं. इससे भी ज्यादा चिंता की बात यह है कि इनमें से केवल 3 फीसदी मामलों में ही शिकायत दर्ज की जाती है.
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बच्चों को समझाएं
बच्चों को समझाना चाहिए कि उनका शरीर केवल उनका है. कोई भी उन्हें या उनके किसी प्राइवेट हिस्से को बिना उनकी मर्जी के नहीं छू सकता. उन्हें बताएं कि अगर किसी पारिवारिक दोस्त या रिश्तेदार का चूमना या छूना उन्हें अजीब लगे तो वे फौरन ना बोलें.
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बच्चों से बात करें
बच्चों को नहलाते समय या कपड़े पहनाते समय अगर वे उत्सुकतावश बड़ों से शरीर के अंगों और जननांगों के बारे में सवाल करें तो उन्हें सीधे सीधे बताएं. अंगों के सही नाम बताएं और ये भी कि वे उनके प्राइवेट पार्ट हैं.
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क्या सही, क्या गलत
ना तो बच्चों को और लोगों के सामने नंगा करें और ना ही खुद उनके सामने निर्वस्त्र हों. बच्चों को नहलाते या शौच करवाते समय हल्की फुल्की बातचीत के दौरान ही ऐसी कई बातें सिखाई जा सकती हैं जो उन्हें जानना जरूरी है.
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बात करें
बच्चों के साथ बातचीत के रास्ते हमेशा खुले रखें. उन्हें भरोसा दिलाएं कि वे आपसे कुछ भी कह सकते हैं और उनकी कही बातों को आप गंभीरता से ही लेंगे. मां बाप से संकोच हो तो बच्चे अपनी उलझन किसी से नहीं कह पाएंगे.
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चुप्पी में छिपा है राज
बच्चों का काफी समय परिवार से दूर स्कूलों में बीतता है. बच्चों से स्कूल की सारी बातें सुनें. अगर बच्चा बेवजह गुमसुम रहने लगा हो, या पढ़ाई से अचानक मन उचट गया हो, तो एक बार इस संभावना की ओर भी ध्यान दें कि कहीं उसे ऐसी कोई बात अंदर ही अंदर सता तो नहीं रही है.
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सही गलत की सीख दें
बच्चों को बताएं कि ना तो उन्हें अपने प्राइवेट पार्ट्स किसी को दिखाने चाहिए और ना ही किसी और को उनके साथ ऐसा करने का हक है. अगर कोई बड़ा उनके सामने नग्नता या किसी और तरह की अश्लीलता करता है तो बच्चे माता पिता को बताएं.
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आश्रम में यौन शोषण की जानकारी चाइल्ड हेल्पलाइन पर पिछले हफ्ते आई एक फोन कॉल से हुई. इसके बाद बाल कल्याण समिति के सदस्य और पुलिस की टीम ने आश्रम में छापेमारी की और अभियुक्तों को गिरफ्तार किया गया. बताया जा रहा है कि चाइल्ड हेल्पलाइन पर फोन बच्चों ने ही किया था. बच्चों के साथ बाल कल्याण समिति ने पूछताछ की, तो कई चौंकाने वाली बातें सामने आईं. भोपा थाने के इंस्पेक्टर संजीव कुमार का कहना है कि समिति के सदस्यों से बच्चों ने उन्हें प्रताड़ित करने और बेगारी कराने जैसी बातें बताईं. बच्चों का कहना था कि मठ में उनसे बर्तन साफ करने, गोबर उठाने, झाड़ू लगाने और पशुओं को चारा देने जैसे काम कराए जाते थे.
यही नहीं, बच्चों का आरोप है कि उन्हें अश्लील वीडियो दिखाकर उनका यौन शोषण भी किया जाता था. स्थानीय पत्रकार दीपक सिरोही के मुताबिक आश्रम में मुख्य रूप से गोविंद महाराज और उनके शिष्य अखिलेश दास रहते थे और इस काम में दोनों की पूरी सहभागिता रहती थी. दीपक सिरोही बताते हैं कि इस बात की आशंका लंबे समय से जताई जा रही थी लेकिन इससे पहले किसी बच्चे ने कोई शिकायत नहीं की, तो लोगों को कुछ पता भी नहीं चल सका. बच्चों का आरोप है कि गोविंद महराज और उनके शिष्य की बात नहीं मानने पर उन्हें भूखा रखा जाता था और बेरहमी से पिटाई भी की जाती थी. बाल समिति के सदस्यों से बातचीत में चार बच्चों ने अपनी चोटों के निशान भी दिखाए.
मुजफ्फरनगर की डीएम सेल्वाकुमारी जे ने मीडिया से बातचीत में कहा कि बच्चों से जुड़ा यह मामला बेहद गंभीर है. उनका कहना था, "मुक्त कराए गए बच्चों ने जो आरोप लगाए हैं, प्रारंभिक जांच में उनकी पुष्टि हुई है. मेडिकल चेकअप भी कराया गया. पीड़ित बच्चों के मजिस्ट्रेट के सामने बयान दर्ज कराए गए हैं. मुख्य अभियुक्त मठ संचालक के खिलाफ कार्रवाई की जा रही है.” स्थानीय मीडिया के मुताबिक मुजफ्फरनगर के शुकतीर्थ में भक्ति भूषण गोविंद महाराज ने 2008 में मठ बनाया था और 2019 में मठ में एक स्कूल खोला था. गोविंद महराज ने मिजोरम और त्रिपुरा में कुछ लोगों से संपर्क किया और उनके माध्यम से यह कहकर बच्चों को बुलाया गया कि उन्हें न सिर्फ मुफ्त शिक्षा दी जाएगी, बल्कि भोजन और रहने का खर्च भी आश्रम उठाएगा.
मजबूर बचपन, "मजदूर" बचपन
दुनियाभर में लाखों बच्चे बाल मजदूरी करते हैं. भारत में भी 44 लाख बच्चे काम करते हैं. हालांकि बच्चों से काम कराना कानूनी तौर पर प्रतिबंधित हैं. एक नजर डालते हैं, भारत में बाल मजदूरी पर.
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खेत में काम
कृषि क्षेत्र में बच्चे अपने मजदूर माता-पिता की मदद के लिए काम करते हैं. जितनी देर माता-पिता मेहनत करते हैं उतनी ही देर बच्चे भी काम करते हैं.
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फैक्ट्री में काम
कई बार मजबूरी में माता-पिता अपने बच्चों को काम पर भेज देते हैं. बच्चों से फैक्ट्रियों में जोखिम भरा काम भी लिया जाता है. हालांकि कानूनी सख्ती के बाद यह चलन अब आम नहीं है.
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पत्थर तोड़ने का काम
मां-बाप का हाथ बंटाने के लिए बच्चे पत्थर तोड़ने का काम करते हैं. यह काम बहुत मेहनत भरा होता है और इसमें शारीरिक थकावट भी होती है. छोटे बच्चो द्वारा यह काम कराना भी गैर कानूनी है.
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कार वर्कशॉप में
अगली बार आप किसी कार वर्कशॉप में जाएं तो इस बात का ध्यान रखिएगा कहीं मैकेनिक किसी बच्चे से काम तो नहीं करा रहा है. भारत में कम उम्र से ही बच्चों को स्कूटर और कार की मरम्मत का काम सिखाया जाने लगता है.
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रेलवे स्टेशन पर कचरा इकट्ठा करना
ट्रेन से यात्रा के दौरान आपने कई बार यह देखा होगा कि स्टेशन आते ही बच्चे कचरा उठाने ट्रेन के भीतर आ जाते हैं. यह भी काम बच्चों से जबरन कराया जाता है. कई बार ऐसी जगहों पर रहने वाले बच्चों का यौन शोषण भी होता है.
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सिगरेट और गुटखा बेचते बच्चे
सड़क के किनारे कम उम्र के बच्चे सिगरेट और गुटखा बेचते दिखना भी आम बात है. शिक्षा पाने की जगह उनसे इस तरह के काम कराए जाते हैं. जब तक उन्हें यह बात समझ में आती है उनका बचपना निकल जाता है.
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कूड़ा बीनना
कूड़ा बीनने के लिए भी बच्चों का इस्तेमाल होता है. रिसाइक्लिंग की चीजों को कूड़े की ढेर से अलग करने के लिए बच्चों को काम पर लगाया जाता है. यह काम बेहद खतरनाक होता है क्योंकि कई बार कूड़े की ढेर में कई तरह के केमिकल होते हैं.
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फल बेचना
बच्चों को फल और सब्जी बेचने के काम के लिए भी लगाया जाता है. अंतरराष्ट्रीय श्रमिक संगठन का अनुमान है कि भारत में 5 से लेकर 14 साल की उम्र के करीब 44 लाख बाल मजदूर हैं. दुनिया भर में 15 करोड़ बच्चे मजदूरी करने को मजबूर हैं.
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बाल कल्याण समिति की अध्यक्ष कमलेश वर्मा ने बताया कि बच्चों के परिजनों को यह नहीं मालूम था कि जिस आश्रम में बच्चे जा रहे हैं वहां शिक्षा की कोई व्यवस्था है भी या नहीं. यहां बच्चों से न सिर्फ शारीरिक श्रम कराया जाता था, बल्कि उनका शारीरिक, मानसिक और यौन उत्पीड़न भी होता था. वहीं, आश्रम के मालिक भक्ति भूषण महराज का कहना है कि ये सभी आरोप गलत हैं और स्थानीय लोगों का उनके खिलाफ षडयंत्र का हिस्सा है. उनके मुताबिक, "आश्रम परिसर में सीसीटीवी कैमरे लगे हैं, जिनकी जांच की जा सकती है. ये बच्चे यहां लंबे समय से रह रहे थे. अब स्थानीय लोगों ने इन बच्चों को ये सब कहने के बहकाया है क्योंकि जमीन का एक हिस्सा आश्रम को दान में मिलने के बाद कुछ लोग गुस्से में थे और हम लोगों के लिए परेशानी खड़ा कर रहे हैं.”
बहरहाल, आश्रम के संचालक और उनके शिष्य को 14 दिन की न्यायिक हिरासत में जेल भेज दिया गया है और पुलिस पूरे मामले की पड़ताल कर रही है. आश्रमों में इससे पहले भी इस तरह की कई घटनाएं हो चुकी हैं. पिछले साल शाहजहांपुर में पूर्व केंद्रीय मंत्री स्वामी चिन्मयानंद के आश्रम में रहने वाली एक लड़की ने भी लंबे समय से उसके साथ हो रहे यौन शोषण के आरोप लगाए थे. इस मामले में स्वामी चिन्मयानंद को गिरफ्तार भी किया गया था, जो बाद में जमानत पर छूट गए थे. हालांकि बाद में इस मामले में पीड़ित लड़की को भी ब्लैकमेलिंग के आरोप में गिरफ्तार किया गया था.
जिस उम्र में आम बच्चे स्कूल और खेलकूद में व्यस्त रहते हैं, उसी उम्र में दुनिया के करीब 30,000 बच्चे कभी एके-47 जैसे हथियारों से गोलियां चला रहे हैं, तो कभी आत्मघाती हमलावर बनने की तैयारी कर रहे हैं.
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सेंट्रल अफ्रीकन रिपब्लिक
चाइल्ड सोल्जर्स इंटरनेशनल के मुताबिक सीएआर के संघर्ष में 10,000 से ज्यादा हथियारबंद बच्चे सक्रिय हैं. बच्चों को लड़ाके, गार्ड, इंसानी शील्ड, कुली, मैसेंजर, जासूस और कुक के रूप में भर्ती किया जाता है. उनका यौन शोषण भी होता है.
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डेमोक्रैटिक रिपब्लिक ऑफ कॉन्गो
डीआरसी के नाम से भी जाने जाने वाले इस देश में 10,000 से ज्यादा बच्चों को हथियार थमाए गए हैं. कई विद्रोही गुट वहां बच्चियों को भी हथियार दे चुके हैं. बच्चियों को सैनिक और सेक्स ट्रैप के रूप में भी इस्तेमाल किया जाता है. कमांडर और दूसरे सैनिक उनका यौन शोषण भी करते हैं.
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इराक
ह्यूमन राइट्स वॉच के दस्तावेजों के मुताबिक इराक में शिया और सुन्नी मिलिशिया गुटों ने बच्चों को अपनी जमात में शामिल किया है. कुर्दिस्तान वर्कर्स पार्टी पर भी बच्चों को लड़ाई में झोंकने के आरोप लगते रहे हैं.
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म्यांमार
म्यांमार की सेना पर नाबालिगों को भर्ती करने के आरोप लग चुके हैं. 2012 से अब तक वहां सेना के कब्जे से 700 बच्चों को मुक्त कराया जा चुका है. सेना के 382 अधिकारियों पर कार्रवाई भी हुई.
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नाइजीरिया
2016 में आतंकवादी संगठन बोको हराम ने 2000 बच्चों को भर्ती किया. नाबालिग लड़कियों को आत्मघाती हमलावर बनाया गया. बोको हराम बड़ी संख्या में स्कूली बच्चियों को अगवा करने के लिए कुख्यात है.
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सोमालिया
यूएन की 2016 की रिपोर्ट के मुताबिक सोमालिया में 903 बच्चों को आतंकवादी संगठनों ने भर्ती किया. अकेले अल शबाब ने ही इनमें से 555 भर्तियां की. सोमालिया की सेना पर भी 218 बच्चों को भर्ती करने के आरोप लग चुके हैं.
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दक्षिणी सूडान
माना जाता है कि 2013 से अब तक दक्षिणी सूडान में करीब 17,000 बच्चों को विद्रोही संगठन हथियार दे चुके हैं. कोबरा फैक्शन और एसपीएलए जैसे संगठन इन बच्चों को सेना के खिलाफ लड़वाते हैं.