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मुबारक की रिहाई के आदेश

२१ अगस्त २०१३

मिस्र की राजनीति ने दो साल में करवट बदल ली. देश के पहले लोकतांत्रिक राष्ट्रपति कैद में चले गए और तानाशाह कहे जाने वाले राष्ट्रपति हुस्नी मुबारक की रिहाई के आदेश दे दिए गए. वह जल्द बाहर आ सकते हैं.

तस्वीर: Reuters

सेना ने मुबारक के बाद राष्ट्रपति बने मुहम्मद मुर्सी को सत्ता से हटा कर अनजान जगह पर कैद कर रखा है और इस घटना के सात हफ्ते बाद भी देश में स्थिति ठीक नहीं हो पा रही है. पूरा देश इस मामले में बंटा हुआ है और ऐसे में मुबारक की रिहाई का अदालत का फैसला एक और विवाद खड़ा कर सकता है.
"शायद कल..."
लगभग 30 साल तक मिस्र की सत्ता पर कब्जा रखने के बाद लोगों की विशाल क्रांति की वजह से फरवरी 2011 में उन्हें सत्ता छोड़ देनी पड़ी थी. बाद में उन्हें गिरफ्तार कर लिया गया. न्यायिक और सुरक्षा एजेंसियों के सूत्रों ने इस बात की तस्दीक कर दी है कि मुबारक की रिहाई के आदेश पास कर दिए गए हैं. काहिरा की एक अदालत ने उनकी रिहाई के आदेश दे दिए और उनके वकील दोस्त फरीद अल दीब ने भी इस बात की पुष्टि की. जब उनसे पूछा गया कि मुबारक कब छोड़े जाएंगे, तो उन्होंने कहा, "शायद कल..." हालांकि जानकारों का कहना है कि सरकारी पक्ष की अपील की संभावना के मद्देनजर उन्हें 48 घंटे तक रिहा नहीं किया जा सकता है.
85 साल के मुबारक पर प्रदर्शनकारियों की हत्या न रोक पाने का आरोप था, जिसकी वजह से पिछले साल उन्हें अदालत ने आजीवन कारावास की सजा सुनाई थी. लेकिन इस साल के शुरू में अदालत ने मुबारक की दोबारा विचार करने वाली याचिका स्वीकार कर ली, जिसके बाद मुकदमे की फिर से सुनवाई हुई.
900 लोगों की मौत
बीमार चल रहे पूर्व राष्ट्रपति का राजनीतिक सफर तो खत्म हो गया लगता है लेकिन मिस्र की बहुत बड़ी आबादी इस बात को स्वीकार करने के लिए तैयार नहीं है. मिस्र में ज्यादातर वक्त सेना के पास सत्ता रही और जब पहली बार लोकतांत्रिक सरकार चुनी गई, तो भी सेना ने उसे हटा दिया. पिछले एक हफ्ते में मुर्सी की पार्टी मुस्लिम ब्रदरहुड पर हुई कार्रवाई में 100 सैनिकों सहित 900 लोगों के मारे जाने की रिपोर्ट है, जो हाल के दिनों में मिस्र में सबसे बड़ा खूनखराबा साबित हुआ है. अमेरिका और यूरोपीय संघ ने कहा है कि वह मिस्र को दी जाने वाली सहायता पर फिर से विचार कर रहे हैं और उसके साथ अपने रिश्तों पर भी फिर से सोचना चाहते हैं.
जहां तक मुबारक पर चल रहे मुकदमों का सवाल है, प्रदर्शनकारियों की जान जाने वाले मामले में उनके खिलाफ सुनवाई जारी रहेगी. लेकिन चूंकि मुकदमे के दौरान उन्होंने जेल में रहने की अधिकतम मीयाद पूरी कर ली है, लिहाजा उनकी रिहाई मुमकिन है. उनके खिलाफ भ्रष्टाचार के भी मामले हैं.
पिंजरे जैसी कोठरी में
सत्ता से हटाए जाने के बाद मिस्र के सबसे ताकतवर नेता हुस्नी मुबारक के खिलाफ मुकदमा चलते हुए उन्हें बंद पिंजरे जैसी कोठरी में रहते हुए अपने आरोप सुनने पड़े थे. मुबारक कभी मिस्र की सेना के प्रमुख थे और कई लोगों का मानना है कि इससे सेना की छवि भी धूमिल हुई है.
हालांकि अदालत ने मुबारक की रिहाई के आदेश दे दिए हैं, लेकिन सरकारी पक्ष की ओर से उनकी रिहाई के वक्त के बारे में कुछ नहीं बताया गया है. यह भी साफ नहीं है कि क्या सरकारी पक्ष इसके खिलाफ अदालत में अपील करेगा.
एजेए/आईबी (रॉयटर्स)

अपने ऊपर आरोप सुनते मुबारकतस्वीर: picture-alliance/dpa
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