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मुर्गी अंधी तो अंडे ज्यादा

१ नवम्बर २०१०

शोध बहुत काम की चीज है. सामाजिक क्षेत्र में शोध भी. और सामाजिक और प्रकृति वैज्ञानिक क्षेत्र के संयुक्त शोध तो उत्पादन के क्षेत्र में भी महत्वपूर्ण होते हैं. मसलन मुर्गे-मुर्गियों के सामाजिक व्यवहार के बारे में शोध.

तस्वीर: DW

बैंगलोर के नेशनल इंस्टिट्यूट ऑफ ऐनिमल न्यूट्रीशन ऐंड फिजियोलॉजी, एनआईएएनपी, के एक अध्ययन से पता चला है कि स्मोकी जोस नाम की एक मुर्गी औसत मुर्गियों की तुलना में कम उम्र से और ज्यादा अंडे देती है. मुर्गियों की यह प्रजाति अंधी होती है.

तस्वीर: AP

सिर्फ इतना ही नहीं. यह भी पता चला है कि उजाले में रहने वाली मुर्गियां धुंधली रोशनी में रहने वाली मुर्गियों के मुकाबले कुछ कम अंडे देती है. उजली रोशनी के बदले अगर लाल रोशनी लाई जाए, तो अंडों का उत्पादन पांच फीसदी और नीली रोशनी में तीन फीसदी बढ़ जाती है.

वैज्ञानिक उत्सुकता का तकाजा है कि पूछा जाए, आखिर क्यों?

मुर्गियां अंडों का उत्पादन नहीं करती हैं, यह उनके प्रजनन आचरण का नतीजा है. यानी यह मानकर चला जा सकता है कि रोशनी और रोशनी के रंग का उनके प्रजनन आचरण पर असर पड़ता है. और बात सिर्फ मुर्गियों की नहीं है, मुर्गों के बारे में भी सोचना जरूरी है. यह शोध हमें शायद उस हद तक ले जा सकता है, कि ऊबी हुई मुर्गियों या मुर्गों के लिए स्पेशल हॉर्मोन चिकित्सा का भी प्रबंध होने लगे?

एनआईएएनपी के तीन वैज्ञानिकों, आईजे रेड्डी, जी रविकिरन और एस मंडल ने इस बारे में शोध किया है. उनके अध्ययन से पता चला है कि प्रकाश के वेव लेंथ का प्रभाव मुर्गे-मुर्गियों की प्रजनन क्षमता पर पड़ता है. कोई अचरज नहीं कि इंसानों के मामले में भी जोड़ों के वेव लेंथ मिलने या न मिलने की बात की जाती है.

सन 2008 के अंत से जुलाई 2010 तक इस सिलसिले में आंकड़े जमा किए गए. इनसे पता चलता है कि घरेलू मुर्गियां साल में लगभग 300 अंडे देती हैं. आम तौर पर वे उजाले में रहती हैं, और उन्हें खुले में घूमने का भी ज्यादा मौका मिलता है. लेकिन औद्योगिक रूप से दड़बे में रह रहे मुर्गे-मुर्गियों के लिए ध्यान बंटाने के ये साधन नहीं होते, इसलिए मुर्गियां ज्यादा अंडे देती हैं. इसके साथ अगर रोशनी कम हो, या लाल-नीली रोशनी हो, तो अंडे देने की उनकी ख्वाहिश और बढ़ जाती है.

इंस्टिट्यूट में यह अध्ययन अभी जारी रहेगा, और एक साल बाद उसके नतीजे केंद्रीय कृषि मंत्रालय को भेजे जाएंगे. माना जा रहा है कि मुर्गी पालन के क्षेत्र में इन जानकारियों से क्रांतिकारी परिवर्तिन आएंगे.

रिपोर्ट: उज्ज्वल भट्टाचार्य

संपादन: वी कुमार

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