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मुल्लाह उमर पर अमेरिकी नजर से हलकान क्वेटा

१४ मई २०११

अल कायदा प्रमुख ओसामा बिन लादेन को मारने के बाद अमेरिका ने साफ कर दिया है कि आतंकवादियों पर सीधी कार्रवाई जारी रहेगी और उनके अगले निशाने में सबसे ऊपर है तालिबानी नेता मुल्लाह उमर. पाकिस्तानी शहर क्वेटा बना शिकारगाह.

Family members of stranded miners wait outside a coal mine in Sorange near Quetta, Pakistan on Monday, March 21, 2011. Rescue workers used shovels and bare hands to dig out victims buried by explosions in the coal mine but officials said they feared all 52 miners underground at the time of the accident were dead. (AP Photo/Arshad Butt)
तस्वीर: AP

अमेरिका की सैनिक कार्रवाई ने पाकिस्तान में न सिर्फ लोगों का गुस्सा भड़काया है बल्कि सरहदी इलाकों में लोगों को परेशान कर दिया है. ऐसी खबरें आ रही हैं कि पूर्व तालिबानी शासक मुल्लाह उमर सरहदी इलाके के क्वेटा शहर में कहीं रह रहा है. जाहिर है कि अमेरिकी खुफिया एजेंसी शहर की आबोहवा में शिकार की गंध ढूंढ रही है. ऐसे में शहरवासी एबटाबाद जैसे सैनिक हमले की आशंका से कुछ डरे और बेहद नाराज हैं.

"अमेरिका भी आतंकवादी"

क्वेटा के लोग तो अब दोनों ही ताकतों को आतंकवादी कहने लगे हैं. क्वेटा के मुख्य बाजार में एक दवा कंपनी के प्रतिनिधि जुल्फिकार तारीन ने समाचार एजेंसी रॉयटर्स से कहा, "मुझे मुल्लाह उमर से कोई सहानुभूति नहीं लेकिन अमेरिका को लेकर भी मेरे मन में यही विचार हैं. हां तालिबान आतंकवादी हैं लेकिन साथ ही अमेरिका भी."

तस्वीर: picture alliance / dpa

अमेरिका के लिए दशक भर पुरानी अफगानिस्तान जंग का नतीजा तलाशना इस वक्त जरूरी हो गया है और ऐसे में लादेन के बाद मुल्ला उमर की गिरफ्तारी या मौत निर्णायक साबित हो सकती है. पाकिस्तान में मौजूद अरब राजनयिक ने कहा, "अगर वह अफगानिस्तान और पाकिस्तान को स्थिर बनाना चाहते हैं तो उन्हें मुल्लाह उमर के पीछे जाना चाहिए. सबसे अहम वही है. मुझे कोई हैरत नहीं होगी अगर वह अमेरिका का अगला निशाना बने."

पनाहगाह क्वेटा

करीब 25 लाख की आबादी वाले क्वेटा में एक बड़ी तादाद अफगान लोगों की है. बड़े मैदानी इलाके में फैले शहर के चारों तरफ चट्टानों वाले पहाड़ हैं. लंबे समय से यह शहर अफगान शरणार्थियों की और तालिबान से सहानुभूति रखने वालों की पनाहगाह रहा है. करीब 100 किलोमीटर के पहाड़ी इलाके को पार कर जाएं तो अफगानिस्तान के कंधार प्रांत की सीमा आ जाती है. अफगान अधिकारियों का कहना है कि क्वेटा एक तरफ से तालिबान के लिए गुप्त अड्डे का काम करता रहा है जहां उसके लड़ाके आराम फरमाते हैं. यहीं घायलों का इलाज होता है और तालिबानी नेता अपनी योजनाएं बनाते हैं. लंबी दाढ़ी में और भारी साफा पहने पख्तून अजनबियों को संदेह की नजर से देखते हैं.

क्वेटा बलूचिस्तान प्रांत की राजधानी है और यहां सुरक्षा के बड़े व्यापक इंतजाम हैं. जगह जगह चेकपोस्ट और गार्ड नजर आते हैं. क्वेटा में तालिबान और मुस्लिम आतंकवादियों से ज्यादा बड़ी चुनौती अलगाववादी नेता हैं जो ज्यादा स्वायत्तता की मांग कर रहे हैं. शहर के एक होटल में काम करने वाले नासिर खान कहते हैं कि पाकिस्तान को अफगान तालिबान के खिलाफ अमेरिकी जंग से बाहर निकल जाना चाहिए. नासिर के मुताबिक, "मुल्लाह उमर का पाकिस्तान से कोई लेना देना नहीं, वह सिर्फ अफगानिस्तान में अमेरिकियों से लड़ रहा है. वह हमारा दुश्मन नहीं है इसलिए हमें इस झमेले में नहीं पड़ना चाहिए."

आजाद है क्वेटा

तालिबान के गढ़ के रूप में विख्यात होने के बावजूद यहां आतंकवादियों की ज्यादा नहीं चलती. दुकानों में हिंदी फिल्में और गानों की सीडी बिकती है. साथ ही बाजार में महिलाओं की चहलकदमी हर जगह दिखती है. क्या सचमुच ऐसे माहौल में मुल्लाह उमर का ठिकाना इस शहर में हो सकता है? सुरक्षा अधिकारी भी परेशान हैं. खुफिया एजेंसी के एक वरिष्ठ अधिकारी ने पहचान जाहिर न करने की शर्त पर बताया, "यह एक पेचीदा मसला है. अगर आप हमसे पूछेंगे तो हम यही कहेंगे कि मुल्लाह उमर क्वेटा में नहीं है. हमारे पास ऐसी कोई जानकारी नहीं जिसके आधार पर हम उसके होने का दावा कर सकें." हालांकि उनका यह भी कहना है कि ऐसी खबरें आने के बाद हमने अपने अधिकारियों को चौकस कर दिया है लेकिन अभी तक कोई पुख्ता जानकारी नहीं मिल सकी है.

लादेन की पाकिस्तान में मौजूदगी और फिर उसका अमेरिकी कार्रवाई में मारा जाना पाकिस्तान के लिए घरेलू और अंतरराष्ट्रीय दोनों मोर्चों पर मुसीबतें बढ़ा गया है. एक तरफ उसे देश में कट्टरपंथियों और आम लोगों की नाराजगी झेलनी पड़ रही है तो दूसरी तरफ अमेरिका का संदेह उसके हलक का पानी सोख रहा है.

रिपोर्टः एजेंसियां/एन रंजन

संपादनः वी कुमार

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