सस्ते कच्चे तेल की मार रिसाइक्लिंग उद्योग पर पड़ने लगी है. नया प्लास्टिक ज्यादा सस्ता हो चुका है और इसकी मार आखिरकार पर्यावरण को चुकानी पड़ रही है.
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जर्मनी रिसाइक्लिंग के मामले में आदर्श माना जाता है लेकिन सस्ता कच्चा तेल अब मुश्किल खड़ी कर रहा है. कच्चे तेल की सफाई के दौरान ही प्लास्टिक और मोम जैसे उत्पाद भी मिलते हैं. यही वजह है कि सस्ते दाम की वजह से नया प्लास्टिक बनाना ज्यादा किफायती हो चुका है. प्लास्टिक की रिसाइक्लिंग तुलनात्मक रूप से महंगी हो गई है.
जर्मनी में प्लास्टिक की रिसाइक्लिंग करने वाली कंपनियां दबाव महसूस करने लगी हैं. महंगे होने के कारण रिसाइकिल्ड प्लास्टिक की मांग कम हो रही हैं. जर्मनी के कचरा, जल और कच्चा माल प्रबंधन उद्योग संघ के प्रमुख पेटर कुर्थ के मुताबिक हालात गंभीर हो रहे हैं. रिसाइक्लिंग से जुड़ी कंपनियों को बहुत कम ग्राहक मिल रहे हैं.
यूरोप में बेल्जियम, आयरलैंड और जर्मनी रिसाइक्लिंग के चैंपियन माने जाते हैं. इन देशों में सरकारें भी रिसाइक्लिंग उद्योग की मदद करती है. जर्मनी में कुल प्लास्टिक उत्पादन का 36 फीसदी हिस्सा रिसाइकिल्ड होना अनिवार्य है. अब सरकार इस सीमा को बढ़ाकर 72 फीसदी करना चाहती है. पेटर कुर्थ इसे पर्यावरण और रिसाइक्लिंग उद्योग के लिए जरूरी मान रहे हैं.
बाजार की प्रतिस्पर्धा के चलते उत्पादकों पर सस्ते प्रोडक्ट पेश करने का दबाव बना रहता है. सामान सस्ता करने के लिए उन्हें सस्ते कच्चे माल की जरूरत पड़ती है. फिलहाल सस्ता हुआ प्लास्टिक यही कर रहा है. लेकिन पर्यावरण के लिए इसके नतीजे घातक होंगे. दुनिया के ज्यादातर देशों में कचरे का सही प्रबंधन न होने की वजह से प्लास्टिक जमीन, नदी, झीलों और महासागरों का दम घोंट रहा है.
एलन मैकआर्थर फाउंडेशन की रिपोर्ट में कहा गया है कि प्लास्टिक के निपटारे के लिए क्रांतिकारी कदम तुरंत उठाए जाने चाहिए. अगर ऐसा नहीं किया गया तो 35 साल बाद महासागरों में मछलियों से ज्यादा प्लास्टिक होगा. रिपोर्ट के मुताबिक हर साल कम से कम 80 करोड़ टन प्लास्टिक समंदर में जा रहा है, यानि हर मिनट करीब एक ट्रक प्लास्टिक महासागरों में समा रहा है.
रिसाइक्लिंग की मजेदार दुनिया
इस्तेमाल की गई चीजों के दोबारा इस्तेमाल को लेकर बहस लंबे वक्त से चल रही है. सही तरीके से करें तो यह तकनीक काफी काम आ सकती है. तस्वीरों में देखते हैं कि आखिर रीसाइक्लिंग की जरूरत क्या है और उनसे क्या कुछ तैयार हो सकता है.
तस्वीर: picture-alliance/dpa
सुंदर थैला
प्लास्टिक के दोबारा इस्तेमाल को लेकर सबसे ज्यादा परेशानी होती है. लेकिन अगर इसका सही इस्तेमाल कर लिया जाए, तो इस तरह के खूबसूरत थैले बन सकते हैं, जैसे कि जमाइका की एक महिला ने बना डाले.
तस्वीर: DW/N.Davis
जर्मनी की मिसाल
रिसाइक्लिंग को लेकर जर्मनी बेहद संजीदा मुल्क है. यहां काफी अर्से से कचरे को फेंकने की खास व्यवस्था है. खास तरह का कूड़ा खास बक्से में जाता है. पीला प्लास्टिक का, नीला कागज का और इसी तरह दूसरे रंगों के बक्से.
तस्वीर: Imago
बोतल दो, पैसे लो
रिसाइक्लिंग को लेकर जो कुछ समझदारी वाले कदम हैं, उनमें बोतलों की खरीद के साथ कुछ डिपॉजिट ले लिया जाता है. इस पैसे को उस वक्त वापस किया जाता है, जब बोतल खास बक्सों में वापस किए जाएं.
तस्वीर: picture-alliance/dpa
कचरे की छंटाई
जर्मनी जैसे कुछ चुनिंदा देशों में कचरे को लेकर अहम कदम उठाए जाते हैं. इनमें कचरों की छंटाई भी जरूरी है, इसके बाद अलग अलग कचरों को रिसाइक्लिंग के लिए अलग अलग जगहों पर भेजा जाता है.
तस्वीर: DW
हजारों साल बेकार
अगर प्लास्टिक को बिना सोचे समजे फेंक दिया जाए, तो यह हजारों साल तक यूं ही पड़ी रहती है. लेकिन अगर इसका सही इस्तेमाल कर लिया जाए, तो इस तरह के कटोरे भी तैयार हो सकते हैं.
तस्वीर: GAFREH
प्लास्टिक ही प्लास्टिक
मौजूदा वक्त में बिना प्लास्टिक के काम नहीं चल सकता. लेकिन भारत और चीन जैसे देशों में इसके निपटारे की सही व्यवस्था नहीं हो पाई है. नतीजा, कई जगहों पर प्लास्टिक के ऐसे ढेर जमा हैं. अगर इनकी सही ढंग से रिसाइक्लिंग की जाए, तो हल निकल सकता है.
तस्वीर: picture-alliance/dpa
अपसाइक्लिंग
और सिर्फ रिसाइक्लिंग ही क्यों, अब तो अपसाइक्लिंग का चलन है. यूक्रेन के एक कलाकार ने बेकार कागजों से रोशनी की कुछ ऐसी तस्वीर बना डाली.
तस्वीर: Alina Kopytsya
गत्ते की साइकिल
अगर थोड़ी क्रिएटिविटी दिखाई जाए, तो क्या कुछ नहीं हासिल हो सकता. इस्राएल के इस कलाकार ने गत्ते से पूरी साइकिल तैयार कर दी.