मुश्किल समय में अच्छा चुनाव हैं उर्सुला फॉन डेय लाएन
इनेस पोल
१७ जुलाई २०१९
आखिर तक साफ नहीं था कि उर्सुला फॉन डेय लाएन को संसद में बहुमत मिलेगा या नहीं. लेकिन वे आयोग की अध्यक्ष चुनी गईं. डॉयचे वेले की मुख्य संपादक इनेस पोल का कहना है कि उनका भाषण और विकल्पों का अभाव उनकी जीत का कारण बना.
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आज के इंटरनेट युग में भी ऐसे क्षण आते हैं जिसमें बोले हुए शब्दों का असर होता है. इसका प्रदर्शन उर्सुला फॉन डेय लाएन ने मंगलवार को श्ट्रासबुर्ग में यूरोपीय संसद में किया. भले ही संसदीय प्रक्रिया में 'पारलारे' यानि भाषण सबसे बड़ी कला हो, लेकिन आम तौर पर पहला भाषण दिए जाने से पहले ही बहुमत के हिसाब से फैसले तय होते हैं. यह एक ऐसा दिन था जब जर्मन उम्मीदवार के लिए कुछ भी हो सकता था, जीत भी और हार भी. सालों से जर्मनी की रक्षा मंत्री रहीं फॉन डेय लाएन को यूरोपीय संसद के बड़े और उलझे मंच पर कामयाब होना था. उन्हें समर्थकों को मजबूत करना था, संशय करने वालों का समर्थन जीतना था और अच्छी दलीलों से विरोधियों की हवा निकालनी थी. उन्हें यूरोपीय एकता को एक पल के लिए उकसाना था.
फेमिनिस्ट, सामाजिक और ग्रीन
उर्सुला फॉन डेय लाएन को ये सब करने में सफलता मिली, भले ही ये सफलता सिर्फ 9 वोटों का बहुमत पाने की रही हो. फेमिनिस्ट फॉन डेय लाएन ने संसद में खुद को ऐसे सामाजिक और पर्यावरण सरोकारों वाले नेता के रूप में पेश किया जो शायद उनके कंजरवेटिव साथियों को उतना पसंद नहीं आया होगा. इसके अलावा उन्होंने आत्मविश्वास के साथ महिला होने का कार्ड भी इस्तेमाल किया.
शायद उनका तुरुप का पत्ता तीन भाषाओं में भाषण देना रहा. नए नए यूरोपीय संघ और नए जोश तथा नागरिकों की भागीदारी के लिए फ्रांसीसी, तथ्यों नई आर्थिक सत्ता के लिए करों की मांग और सचमुच की लैंगिक समानता के लिए अंग्रेजी. जर्मन का इस्तेमाल उन्होंने अंत में भावनात्मक संवेदनशीलता जगाने के लिए किया जिसमें ब्रसेल्स में जन्मीं राजनेता ने अपनी बायोग्राफी को पद के योग्य बताया.
पहला चुनाव नहीं
यह बात किसी से छिपी नहीं है कि उर्सुला फॉन डेय लाएन इस पद के लिए दूसरा विकल्प थीं. उन्हें पता था कि वाक्पटुता, उदारता और कौशल से इस कमजोरी की भरपाई करनी होगी. वे हार भी सकती थीं. लेकिन उन्होंने आश्चर्यचकित किया और अपनी कमजोरियों को फायदे में बदल दिया. उन्होंने यूरोप विरोधियों को नजरअंदाज किया और उकसावों से आराम से निबटीं. उन्हें इस राह पर चलते रहना होगा और दाएं किनारे को सुरक्षित करना होगा. इतने पर भी आयोग की अध्यक्षता की गारंटी नहीं है, लेकिन यूरोपीय संसद के लिए यह एक अच्छा दिन था जहां सचमुच का चुनाव हुआ.
इस चुनावी दिन सबसे बड़ी हार जर्मनी के सोशल डेमोक्रैट सांसदों की हुई. सिद्धांत का वास्ता देकर वे आखिरी वक्त तक लीड उम्मीदवार को आयोग का अध्यक्ष बनाने की जिद पर अड़े रहे. उन्होंने इस बात को नजरअंदाज कर दिया कि उसके लिए बहुमत नहीं जुटाया जा सका था. उन्होंने इस बात की भी चिंता नहीं की कि यदि फॉन डेय लाएन हार जाती तो यूरोपीय संघ गंभीर संकट में फंस जाता. अब संसद ने फैसला सुना दिया है. संसद ने बहुमत से फैसला किया है कि राजनीति आखिरकार संभाव्य की कला है.
यूरोप में इस नाम पर इन दिनों खूब चर्चा चल रही है. यह नाम शायद इतिहास बना सकता है. जर्मनी की उर्सुला फॉन डेय लाएन यूरोपीय आयोग की पहली महिला अध्यक्ष बन सकती हैं.
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ब्रसेल्स से नाता
उर्सुला फॉन डेय लाएन का जन्म 60 साल पहले बेल्जियम की राजधानी ब्रसेल्स में हुआ. जिंदगी के पहले 13 साल उन्होंने वहीं बिताए. उनके पिता एर्न्स्ट अल्ब्रेष्ट यूरोपीय आयोग में उच्च अधिकारी थे. उनका राजनीतिक सफर 1990 में शुरू हुआ जब वे जर्मनी की क्रिश्चियन डेमोक्रेटिक युनियन (सीडीयू) की सदस्य बनीं.
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मैर्केल की उत्तराधिकारी
फॉन डेय लाएन के करियर में वक्त ऐसा भी आया था जब उन्हें चांसलर अंगेला मैर्केल के उत्तराधिकारी के रूप में देखा जाने लगा था. वे मैर्केल की करीबी हैं और मैर्केल के हर कार्यकाल में उन्हें महत्वपूर्ण मंत्रालय मिले हैं.
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परिवार कल्याण मंत्री
2005 में उन्हें मैर्केल सरकार में अपना पहला मंत्रालय मिला. बतौर परिवार कल्याण मंत्री उन्होंने देश में बड़े बदलाव किए. उनके कार्यकाल में एक नया कानून बनाया गया जिसके तहत माता के साथ पिता को भी बच्चा होने के बाद उसकी देखभाल के लिए वेतन के बड़े हिस्से के साथ लंबी छुट्टी लेने का हक मिला.
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श्रम मंत्री
2009 में जब एक बार फिर मैर्केल चांसलर बनीं तब फॉन डेय लाएन को श्रम मंत्रालय सौंपा गया. मंत्रालय छोड़ने से पहले आखिरी साल में उन्होंने देश में आयकर को और बढ़ाने के प्रस्ताव को नहीं माना. उन्होंने कहा कि जर्मनी के लोग पहले ही इतिहास में सबसे ज्यादा कर चुका रहे हैं.
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रक्षा मंत्री
इसके बाद 2013 में नई मैर्केल सरकार में जब फिर से नया मंत्रिमंडल तैयार हुआ, तो उन्हें रक्षा मंत्री बनाया गया. जर्मनी के लिए यह एक ऐतिहासिक फैसला था क्योंकि ऐसा पहली बार हुआ कि एक महिला रक्षा मंत्री बनीं. मैर्केल के चौथे कार्यकाल में भी उन्हीं को रक्षा मंत्री चुना गया.
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विवादों के घेरे में
बतौर रक्षा मंत्री उनके कई फैसलों पर सवाल उठाए गए. फॉन डेय लाएन ने रक्षा बजट बढ़ाया, सेना में भर्ती भी बढ़ाई और इस बात पर जोर दिया कि नाटो का सदस्य होने के नाते जर्मनी की सेना का मजबूत होना बेहद जरूरी है.
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सात बच्चों की मां
पारंपरिक रूप से जर्मनी में माना जाता था कि महिलाओं का काम तीन चीजों को संभालना है - बच्चे, रसोई और चर्च. यानी पूजा पाठ, खाना बनाना और बच्चों की देखभाल ही उनके जीवन के मुख्य उद्देश्य होने चाहिए. उर्सुला फॉन डेय लाएन ने सात बच्चों के बावजूद एक बेहतरीन करियर बना कर इसे गलत साबित किया.
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पेशे से डॉक्टर
1977 में स्कूल खत्म करने के बाद एक साल के लिए उन्होंने पुरातत्व की पढ़ाई की. फिर वे लंदन स्कूल और इकॉनोमिक्स में अर्थशास्त्र पढ़ने चली गईं. और इसके बाद उन्होंने मेडिसिन की पढ़ाई करने का फैसला किया और स्कूल से निकलने के दस साल बाद 1987 में वे डॉक्टर बनीं.
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पीएचडी पर बवाल
1991 में उन्होंने पीएचडी की और 2015 में यह तब सुर्खियों में आया जब एक वेबसाइट ने फॉन डेय लाएन पर नकल करने का आरोप लगाया. एक साल तक इस पर जांच चली और अंत में हनोवर यूनिवर्सिटी ने कहा कि इसके लिए उनसे पीएचडी की डिग्री छीनी नहीं जाएगी.
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कई भाषाओं का ज्ञान
जर्मन भाषा के अलावा वे अंग्रेजी और फ्रेंच भी अच्छी तरह से जानती हैं. जर्मनी, बेल्जियम और ब्रिटेन के अलावा वे अमेरिका में भी रही हैं. यूरोपीय आयोग के अध्यक्ष के रूप में उनका भाषा ज्ञान काफी मददगार होगा.
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