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मूंगफली से बर्बाद हुआ सेनेगल

११ नवम्बर २०१६

सेनेगल दुनिया के सबसे बड़े मूंगफली उत्पादक देशों में शामिल है. लेकिन एक सदी से एक ही फसल उगाने की वजह से जमीन तबाह हो गई.

24.09.2014 DW fit und gesund Erdnuss
तस्वीर: Fotolia

इब्राहिमा सेक कृषि विशेषज्ञ और दूरद्रष्टा हैं. वे अपना ज्यादातर समय सेनेगल के शहर मेखे में गुजारते हैं और लोगों को टिकाऊ खेती के लिए मनाने की कोशिशों में लगे हैं. इस काम का बहुत बड़ा हिस्सा मूंगफलियों से संबंधित है क्योंकि ये यहां की पारंपरिक फसल है. मूंगफली की खेती सेनेगल में फ्रांस लेकर आया था जब सेनेगल उपनिवेश था. पूरे इलाके में उस जमाने में यह एकमात्र फसल हुआ करती थी. उसका असर व्यापक था.

ये सौ साल से भी पहले की बात है. आज भी सेनेगल में खेती की आधी जमीन पर मूंगफली उगाई जाती है, यदि जमीन उगाने लायक हो तो. एक सदी के मोनोकल्चर ने मिट्टी को खराब कर दिया है. भूक्षरण, पोषक तत्वों के विनाश और मरुस्थलीकरण का असर हर कहीं दिखता है. स्थानीय किसान बताते हैं कि मिट्टी पूरी तरह खराब हो चुकी है. उनमें पौधे उगाना मुश्किल होता जा रहा है. इब्राहिमा सेक कहते हैं, "मूंगफलियों के मोनोकल्चर की वजह से जमीन की उर्वरा शक्ति में भयानक ह्रास हुआ है. जैवविविधता के नाश का मतलब है प्राकृतिक संसाधनों का नाश. जमीन, पानी, पेड़, पौधे और झाड़ियां, सब खत्म हो गए."

धीरे धीरे घटती गई पैदावारतस्वीर: DW/M.Gundlach

बंजर जमीन और बर्बाद होते किसान

इसका सबसे ज्यादा असर मूंगफलियों की फसल को हुआ है. और ये मेखे तथा सेनेगल के लोगों की सबसे बड़ी समस्या है क्योंकि किसानों और देश की आय का मुख्य स्रोत मूंगफली ही है. लेकिन फसल की सुरक्षा नहीं रही. अब बहुत कम फसल होती है. गरीबी एक बड़ी समस्या बनती जा रही है. बहुत से किसान साल में 15 हजार रुपये (200 यूरो) तक ही कमा पाते हैं. इसलिए कई किसान दूसरी फसलों की ओर मुड़ रहे हैं जैसे कि कसावा. लेकिन वह भी उन्हें स्थायी कमाई की गारंटी नहीं दे सकता.

सेक के मुताबिक इसके कई दूरगामी नतीजे निकल रहे हैं, "नौजवान लोग यहां रुकना नहीं चाहते. जब वे बड़े और कमाने लायक होते हैं तो गांव छोड़कर चले जाते हैं. पहले वे शहरों की ओर रुख करते हैं और बाद में और आगे यूरोप और अमेरिका की ओर. अक्सर इसका नतीजा अच्छा नहीं होता. नौजवान लोग बेचैन हैं, उम्मीद खो चुके हैं और इस नाउम्मीदी में वे छोटी छोटी नावों में सवार होकर अटलांटिक सागर पार करने की कोशिश करते हैं."

जमीन की उर्वरा शक्ति बेहद कमजोरतस्वीर: Imago/Westend61

पर्यावरण सम्मत खेती

बहुत से किसानों ने मिलकर एक सहकारिता बनाई है जो एक छोटा सा तेल उत्पादन प्लांट चलाती है. मूंगफलियों को छीला जाता है और उसे पेड़कर तेल निकाला जाता है. अपनी जरूरत से ज्यादा तेल सहकारिता के सदस्य बाजार में बेच देते हैं. बड़ी फसल के दिन गुजर गए. लेकिन छोटी वृद्धि भी किसानों की जिंदगी में बहार ला सकती है. इब्राहिमा सेक का मानना है कि यह टिकाऊ और पर्यावरण सम्मत खेती से ही संभव है.

इब्राहिमा सेक कहते हैं, "हमें प्रकृति पर हावी होने के बदले उसके साथ काम करना होगा. हमें खेती के नैतिक रूप से टिकाऊ तरीकों की जरूरत है. यानी ऑर्गैनिक फार्मिंग की. ये खेती किसानी का भविष्य है. सिर्फ सेनेगल में ही नहीं बल्कि पूरी दुनिया में."

लेकिन सेनेगल में ज्यादातर लोगों को ऑरगैनिक खेती के बारे में कुछ भी पता नहीं. इब्राहिमा उसे हकीकत बनाने में जुटे हैं.

(चिंता बनता जा रहा है रेगिस्तानों का विस्तार)

माबेल गुंडलाख/एमजे

 

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