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मूंछों पर कट्टरपंथ की कैंची

१ नवम्बर २०१३

देखने वाले तो आमतौर पर यही कहते हैं कि मूंछें हों तो मलिक मुहम्मद खान आफरीदी जैसी, लेकिन इन मूंछों को लोगों की तारीफ के साथ तालिबान की धमकियां भी मिल रही हैं.

तस्वीर: DW/M. A. Sumbal

पाकिस्तान के फैसलाबाद शहर में आफरीदी जिस सड़क से गुजर जाते हैं मूंछों की वाहवाही होती है. वह इन मूंछों को 21 साल से बढ़ा रहे हैं और इनकी देखरेख में कोई कसर नहीं छोड़ते. मलिक को मूंछों का शौक है. शुरुआत में उन्हें यह प्रेरणा एक राजनेता की मूंछें देख कर मिली. उन्होंने डीडबल्यू को बताया, "मैं उनकी मूंछों से बेहद प्रभावित हुआ और खुद भी मूंछें बढ़ाने का फैसला किया. वह हमारे इलाके के गवर्नर थे और एक बहादुर इंसान भी. मैं वह सब तो नहीं कर पाया जो उन्होंने किया लेकिन उनसे लंबी मूंछें जरूर उगा सका."

मूंछों की देखभाल

इन मूंछों का ख्याल रखना कोई आसान बात नहीं. आफरीदी इन्हें दिन में दो बार धोते हैं, खास बादाम का तेल लगाते हैं और इनमें ताव बनाए रखने के लिए इनपर जर्मन जेल लगाते हैं. इस बात का भी ख्याल रखना पड़ता है कि दोनो तरफ मूंछ बराबर रहे. हर बार स्टाइल बनाने में ही कम से कम आधा घंटा लगता है, और हर महीने इन पर खर्च करीब दस हजार रुपये.

खतरनाक शौक

आफरीदी बताते हैं कि इन मूंछों का ख्याल रखना आसान ना होते हुए भी वह ऐसा इसलिए कर पाते हैं क्योंकि यह उनका शौक है. इस्लामी कट्टरपंथियों के अनुसार मूंछों की कटाई छंटाई और बनाव सिंगार इस्लामी मान्यताओं के खिलाफ है. क्षेत्रीय कट्टरपंथियों ने 2009 में आफरीदी से इसके बदले 25000 रुपये अदा करने को कहा. मूंछें काटने या उसके बदले रुपये देने से इनकार करने पर उन्हें अगवा कर लिया गया. उनको कई दिनों तक शहर से दूर एक गुफा में रखा गया. आखिरकार आफरीदी ने अपनी मूंछें छोटी कर दीं.

शौक पर संकटतस्वीर: picture-alliance/dpa

इस घटना के बाद आफरीदी अपने परिवार के साथ पेशावर चले गए जहां उन्होंने फिर से मूंछें बढ़ाना शुरू किया. यहां भी उन्हें धमकियां मिलती रहीं और आखिरकार वह फैसलाबाद आ गए. इस तरह की धमकियां पाने वाले वह अकेले नहीं हैं. इलाके में बाल काटने की दुकान वाले भी इस तरह की धमकियों के शिकार हैं.

आफरीदी के गांव के एक नाई ने बताया, "तालिबान मानते हैं कि दाढ़ी काटना गैर इस्लामी है." इलाके के कई दुकानदारों को तालिबान से धमकियों भरे खत मिलते रहे हैं. उन्होंने बताया कुछ दुकानों को बम से उड़ा भी दिया गया.

दूर तक मशहूर

आफरीदी को अभी भी धमकियां मिलना बंद नहीं हुई हैं और ऐसे में उनका फिलहाल घर लौटना संभव नहीं है, लेकिन लोगों से उन्हें मूंछों के लिए खूब तारीफ मिलती है. वह बताते हैं, "लोग मुझे बेहद इज्जत देते हैं. मुझसे हाथ मिलाते हैं और साथ में तस्वीर लेने को कहते हैं. लोगों को अच्छा लगता है कि वे उस इंसान से मिले जिसकी सबसे लंबी मूंछें हैं." आफरीदी को खास कर तब अच्छा लगता है जब विदेश में लोग उन पर ध्यान देते हैं. अफगानिस्तान में भी उनको काफी लोग पहचानते हैं.

उन्होंने बताया, "जब मैं अफगानिस्तान जाता हूं तो मेरे जैसे पठान लोग बहुत खुश होते हैं. वो तस्वीरें लेते हैं, वीडियो बनाते हैं और मुझे बहुत इज्जत देते हैं."

दुबई यात्रा के दौरान कई लोगों ने उनके साथ फोटो खिंचाने के लिए उन्हें पैसे भी दिए. वह कहते हैं, "लेकिन चीन जाकर मैं सबसे ज्यादा खुश हुआ. वहां सिर्फ एक फीसदी लोगों के पास ही मूंछें हैं और मेरी मूंछें देख कर वो खूब हंसे."

मुकाबले को तैयार

इतने लंबे समय से मूंछों की देखरेख कर बढ़ाने वाले आफरीदी अब इसे शौक से ज्यादा मानते हैं. यही अब उनकी पहचान है. अब उनके परिवार वाले और रिश्तेदार भी मानते हैं कि आफरीदी की मूंछें सिर्फ उनका शौक नहीं उनका अभिमान और हिम्मत हैं. आफरीदी कहते हैं कि अगर उन्हें पाकिस्तान सरकार का साथ मिल जाए तो वह अपनी मूंछों को और भी बढ़ाना चाहेंगे. पाकिस्तान सरकार की मदद के साथ वह अंतरराष्ट्रीय मुकाबलों में अपनी मूंछों के बल पर देश का प्रतिनिधित्व करना चाहते हैं. वह मानते हैं इससे उनके देश को फायदा होगा.

वह कहते हैं, "जब दूसरे देशों में इस तरह के मुकाबले होते हैं तो मैं पाकिस्तान की तरफ से उनमें हिस्सा ले सकता हूं और अपने देश के लिए गौरव हासिल कर सकता हूं." उनका कहना है कि उन्हें बस वीजा मिल जाए तो फिर इसके लिए वह खुद अपने खर्चे पर जाने के लिए भी तैयार हैं.

रिपोर्ट: मलिक अयूब सुंबल/ एसएफ

संपादन: एन रंजन

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