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मृत्युदंड पर बहस के दिन कसाब की सजा पर रोक

१० अक्टूबर २०११

मुंबई के आतंकवादी हमलों में शामिल रहे पाकिस्तानी नागरिक अजमल आमिर कसाब की मौत की सजा को स्थगित कर दिया गया है. कसाब मुंबई आतंकवादी हमलों का अकेला दोषी है. उसे विशेष अदालत ने मौत की सजा सुनाई थी.

तस्वीर: AP

निचली अदालत की सुनाई सजा के खिलाफ कसाब ने सुप्रीम कोर्ट में अपील दाखिल की है. सुप्रीम कोर्ट ने सजा पर रोक लगा दी है.

मौत की सजा पर यह फैसला 10 अक्टूबर को आना संयोग ही है क्योंकि इस दिन को मृत्युदंड के विरोध दिवस के तौर पर मनाया जा रहा है. और इस दिन मौत की सजा पर बहस हो रही है. भारत ही नहीं पाकिस्तान में भी इस वक्त मौत की सजा पर बहस हो रही है.

पंजाब के गवर्नर सलमान तासीर के हत्यारे मुमताज कादरी को मिली मौत की सजा ने पाकिस्तान में मौत की सजा खत्म करने पर बहस तेज कर दी है. 10 अक्टूबर को एमनेस्टी इंटरनेशनल मौत की सजा के विरोध दिवस के रूप में मनाता है.

"मेरे ख्याल से मुमताज कादरी ने तीव्र भावुकता से भरे लम्हों में यह हरकत की थी और उसे मौत की सजा नहीं दी जानी चाहिए." कराची में एक धार्मिक कॉलेज बिनोरिया यूनिवर्सिटी इंटरनेशनल की स्थापना करने वाले मुफ्ती मोहम्मद नईम का मानना है. मुमताज कादरी ने इसी साल जनवरी में पंजाब के गवर्नर सलमान तासीर की गोलियों से भून कर हत्या कर दी थी. इसके लिए उसे मौत की सजा सुनाई गई है. मुमताज कादरी सलमान तासीर के सुरक्षाकर्मी के रूप में तैनात था. नईम मानते हैं, "कादरी को कानून अपने हाथ में नहीं लेना चाहिए था", पर साथ ही कहते हैं, "पैगम्बर मोहम्मद को लेकर उनकी भक्ति किसी भी दूसरे मुसलमान जैसी ही है."

तस्वीर: DW

मौत की सजा के विरोध में दिन

आज 10 अक्टूबर को दुनिया भर में मौत की सजा के विरोध दिवस के रूप में मनाया जाता है और इसी वक्त मुमताज कादरी को मिली मौत की सजा के औचित्य पर भी बहस छिड़ गई है. पाकिस्तान दुनिया के उन 23 देशों में शामिल है जहां आज अब भी मौत की सजा दी जाती है. एमनेस्टी इंटरनेशनल के मुताबिक पिछले साल पाकिस्तान में कुल 365 लोगों को मौत की सजा सुनाई गई. हालांकि यहां दिसंबर 2008 से ही मौत की सजा पर अनाधिकारिक तौर पर एक तरह से रोक लगी हुई है. इस साल 10 अक्टूबर को पाकिस्तान के लिए 1040वां ऐसा दिन होगा जो बिना किसी मौत की सजा दिए बगैर बीतेगा.

मुमताज कादरी के मामले में जज सैयद परवेज अलीशाह ने कादरी की इस दलील को नहीं माना कि उसने गवर्नर की हत्या उसके ईशनिंदा से जुड़े बयानों की वजह से की. रावलपिंडी की अदियाला जेल में मुकदमे की सुनवाई हुई. इस सजा पर पाकिस्तान में अलग अलग तरह से प्रतिक्रियाएं सामने आई हैं. मशहूर स्टैंडअप कॉमेडियन सामी शाह ने ट्विटर पर लिखा है, "यह अजीब है कि जब मौत की सजा का एलान हुआ तो मुझे खुशी हुई और उम्मीद बंधी." उधर मानवाधिकारों के लिए काम करने वाली पत्रकार बीना सरवर ने भी ट्विटर पर ही लिखा है, "मैं मौत की सजा के खिलाफ हूं और नहीं चाहती कि मुमताज कादरी को फांसी दी जाए. लेकिन यह जरूरी है कि उसे दोषी मान कर सजा दी जाए."

टेलिविजन चैनल डॉन न्यूज के पत्रकार ओसामा बिन जावेद ने लिखा है, "जज और पुलिस स्टेशन की रक्षा कौन कर रहा है." पाकिस्तानी के  मानवाधिकार आयोग के निदेशक आईए रहमान लिखते हैं, "मौत की सजा को खारिज करने का हमारा विचार कुछ सिद्धांतों पर आधारित है और एक दो घटनाओं के लिए उनकी बलि नहीं दी जा सकती." आयोग लंबे समय से मौत की सजा खत्म करने की मांग कर रहा है.

तस्वीर: AP

सजा ही खत्म करो

मौत की सजा का विरोध करने वाली कानूनी जानकार और अमेरिका में एमनेस्टी इंटरनेशनल के लिए काम करने वालीं राफिया जकारिया कहती हैं, "इस या दूसरे मामले में सरकार एक तरह से बदला लेने की प्रक्रिया को संस्थागत करने में भूमिका निभाती है. न्याय के लिए सजा की जरूरत होती है, जवाबी हमले या बदले की कार्रवाई की नहीं." उनका कहना है कि कादरी की हरकत माफी के काबिल नहीं लेकिन इसके लिए आजीवन कारावास पर्याप्त है. उनका यह भी कहना है, "खास मामला जैसी कोई चीज नहीं होती. दरअसल इस तरह की चीजें कानून की सत्ता को कमजोर करते हैं और इस तरह से पाकिस्तान का कानून तंत्र अवैध हो जाता है."

एक तरफ अदालत में मुमताज कादरी की सुनवाई चल रही थी दूसरी तरफ कट्टरपंथी धार्मिक गुट कादरी को हीरो बनाने के लिए अभियान चला रहे थे. हत्या के बाद उस पर फूल बरसाए गए. उसके बचाव के लिए कई वकील खुद सामने आए.

पाकिस्तान के मानवाधिकार आयोग यानी एचआरसीपी ने मौत की सजा को खत्म करने की मांग की है. एचआरसीपी के मुताबिक, "कानून में कई कमियां हैं इसके अलावा न्याय प्रशासन, पुलिस की जांच के तरीकों, भ्रष्टाचार, महिलाओं और अल्पसंख्यकों के प्रति लोगों के पूर्वाग्रह इन सबको ध्यान में रख कर मौत की सजा खत्म करना ही उचित है."

एचआरसीपी कहता है, "दिसंबर 2008 के बाद भले ही मौत की सजा पर अनाधिकारिक रोक लगी हुई है लेकिन दो दर्जन से ज्यादा अपराधों के लिए कानून की किताब में मौत की सजा दर्ज है और अदालतें कमोबेश रोक के लागू होने से पहले की तरह ही मौत की सजाएं सुना रही हैं. एचआरसीपी मांग करता है कि पाकिस्तान में मौत की सजा खत्म की जाए और जब तक ऐसा नहीं होता तब तक मौत की सजा देने पर लगी अनौपचारिक रोक को औपचारिक बना दिया जाना चाहिए."

सत्ता संभालने के बाद प्रधानमंत्री यूसुफ रजा गिलानी ने कहा था कि मौत की सजा को हतोत्साहित करेंगे लेकिन इसके लिए अपराधों की संख्या कम करने के बजाए इसमें साइबर आतंकवाद को भी जोड़ दिया गया है. इस तरह से पाकिस्तान में कुल 28 अपराध ऐसे हैं जिनके लिए मौत की सजा दी जा सकती है.

रिपोर्टः आईपीएस/एन रंजन

संपादनः वी कुमार

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