आत्माओं की आवाज सुनाने वाली मशीन
८ मार्च २०१५फोनोग्राफ और बिजली से जलने वाले बल्ब के आविष्कारक एडिसन मरे हुए लोगों की आवाज सुनना चाहते थे. किताब के मुताबिक एडिसन के इस लक्ष्य के बारे में बहुत कम पता था. एडिसन ने अपने इन प्रयासों के बारे में अपनी डायरी में विस्तार से लिखा था. डायरी के अंतिम अध्याय को 1948 में प्रकाशित भी किया गया. लेकिन अंग्रेजी भाषा में छपे संस्करण में इस बारे में कुछ नहीं लिखा है.
अमेरिका में कुछ लोगों का मानना है कि यह एडिसन का मजाक रहा होगा. क्योंकि आत्माओं को सुनने में सक्षम किसी स्पिरिट फोन के बारे में कोई डिजाइन आज तक सामने नहीं आया है. फ्रांस में एडिसन की इस डायरी का 1949 में किया गया अनुवाद अब भी सुरक्षित रखा गया है.
अब उनकी डायरी के इस अध्याय को एक किताब के रूप में पढ़ा जा सकेगा जिसमें उन्होंने बात करने वाली मशीन के बारे में लिखा है. इस किताब का नाम 'ले रोयॉम डे इयॉ देला' है, जिसका अर्थ है 'मौत के बाद का साम्राज्य'.
एडिसन का यह काम फ्रांसीसी रेडियो प्रस्तुतकर्ता और दार्शनिक फिलिप बोद्यॉं की मदद से प्रस्तुत किया गया है. उन्होंने बताया, "बात करने वाली मशीन के बारे में इतिहास में ज्यादा कुछ नहीं है, लेकिन रेडियो प्रस्तुतकर्ता होने के नाते मुझे इसमें दिलचस्पी हुई."
अध्याय में पता चलता है कि कैसे 1870 में एडिसन ने स्पिरिट फोन बनाने के लिए आधार तलाशने की कोशिश की. वह इस रिसर्च में फोनोग्राफ, ग्रामोफोन और रिकॉर्ड प्लेयर की मदद लेना चाहते थे. बोद्यॉं के मुताबिक एडिसन ने साथ में काम कर रहे इंजीनियर विलियम वॉल्टर डिनविडी के साथ यह तय कर लिया था कि दोनों में से जो भी पहले मरेगा वह दूसरे को संदेश भेजेगा.
एडिसन मानते थे कि आत्माएं होती हैं और वे बातें भी करती हैं. बोद्यॉं ने बताया, "वह आत्माओं की आवाज रिकॉर्ड करना चाहते थे और उसे सुनने लायक बनाना चाहते थे, जिसे वैसे सुना नहीं जा सकता."
एसएफ/आरआर (एएफपी)