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मेकअप के सामान में होता है प्लास्टिक

२३ फ़रवरी २०१५

क्रीम, लोशन या मेकअप का कोई भी सामान खरीदने से पहले लोग पैकेट पर यह नहीं पढ़ते कि उसमें क्या क्या मिला है. मेकअप में मिला प्लास्टिक काफी नुकसानदेह हो सकता है.

Symbolbild Aufnahmeprüfungen an deutschen Unis
तस्वीर: Fotolia/igorborodin

क्रीम की डिब्बी पर बना खूबसूरत सा बादाम या एलोवेरा लोगों को यह मानने पर मजबूर कर देता है कि पूरी की पूरी क्रीम इन्हीं प्राकृतिक चीजों से बनी है. लेकिन सच्चाई इससे बहुत दूर है. अक्सर गुलाब या बादाम क्रीम का मात्र एक प्रतिशत ही बनाते हैं. बाकी होते हैं रासायन. यानि बादाम के तेल का जितना फायदा मिलना है उससे कई गुना ज्यादा रसायनों का नुकसान मिल जाता है.

यहां तक कि क्रीम में प्लास्टिक के कण मौजूद होते हैं. इनका इस्तेमाल अधिकतर फेस स्क्रब में किया जाता है. स्क्रब का काम होता है त्वचा से गंदगी हटाना. पैकेट पर दिए चित्र की मानें तो अखरोट और नारंगी के छिलकों से इन्हें बनाया जाता है. पर असल में यह प्लास्टिक होता है. यह त्वचा के अंदर नहीं जाता. ऊपर ऊपर से ही सफाई का काम कर देता है. लेकिन जब यह धुल कर नालियों के रास्ते नदी और फिर समुद्र में पहुंचता है, तो पर्यावरण को भारी नुकसान पहुंचता है.

प्लास्टिक के ये छोटे छोटे कण, जिन्हें नंगी आंखों से नहीं देखा जा सकता, हमेशा के लिए पानी में मिल जाते हैं. यहीं से पीने का पानी भी आता है. ट्रीटमेंट प्लांट भी इन्हें अलग नहीं कर पाता. नतीजतन हम प्लास्टिक वाला पानी पीने पर मजबूर होते हैं. इसके अलावा यही पानी सिंचाई में भी इस्तेमाल होता है और मछलियों का आहार भी बनता है.

जर्मनी, नीदरलैंड्स और अमेरिका में अब कॉस्मेटिक उत्पादों में इनके इस्तेमाल पर रोक लगाने पर विचार चल रहा है. जर्मनी के आल्फ्रेड वेगेनर इंस्टीट्यूट ने पाया कि प्रति घनमीटर पानी में इस तरह के 86 से 714 कण मौजूद होते हैं. प्रति किलोग्राम 24,0000 माइक्रो पार्टिकल को पानी से निकालना नामुमकिन नहीं है लेकिन इस पर भारी खर्चा आ सकता है. इसलिए अब जर्मन सरकार इसके इस्तेमाल पर पाबंदी लगाने पर विचार कर रही है.

आईबी/ओएसजे (डीपीए)


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