मेघालय के ईस्ट खासी हिल्स में जो स्कूली बच्चे खसरा और रूबेला का टीकाकरण नहीं कराएंगे, उन्हें सालाना परीक्षाओं का रिपोर्ट कार्ड नहीं दिया जाएगा.
विज्ञापन
टीकाकरण कार्यक्रम राज्य में 24 सितंबर को आयोजित हुआ था. इस दौरान कई माता-पिता ने आशंका जताई थी कि टीकाकरण उनके बच्चों को बीमार कर देगा. ईस्ट खासी हिल्स के जिला मजिस्ट्रेट पीटर एस दखर ने आईएएनएस को बताया, "मैंने जिला स्कूल शिक्षा अधिकारी से सभी स्कूलों को निर्देश देने के लिए कहा है कि उन छात्रों के वार्षिक परीक्षा परिणाम घोषित न किए जाएं, जिन्होंने टीकाकरण नहीं कराया और नए आवेदनों के लिए भी यही लागू किया जाए."
यह निर्देश जिले में टीकाकरण अभियान में बहुत कम उपस्थिति दर्ज होने के बाद जारी किया गया है क्योंकि कई छात्रों ने स्कूलों में टीकाकरण कराने से इनकार कर दिया था. दखर, जो कि जिला टीकाकरण टास्क फोर्स के अध्यक्ष भी हैं, ने कहा कि परीक्षा परिणाम केवल तब ही प्रकाशित किए जाएंगे, जब माता-पिता लिखित में बताएंगे कि उन्होंने अपने बच्चों को टीका लगवाने की अनुमति क्यों नहीं दी थी.
वहीं, खासी छात्र संघ व खासी जैंतिया व गारो जन संघ ने प्रशासन के इस कदम का विरोध जताया है और इस निर्देश को छात्रों के अधिकारों का उल्लंघन बताया है.
मेघालय में नौ महीने और 15 वर्ष की उम्र के 13 लाख बच्चों में लगभग 4 लाख बच्चों को खसरा और रूबेला का टीका लगाया गया है. 10 जिलों की तुलना में राज्य के केंद्र में स्थित ईस्ट खासी हिल्स में टीकाकरण किए गए बच्चों का सबसे कम प्रतिशत दर्ज किया गया है. स्वास्थ्य और परिवार कल्याण मंत्री एलेक्जेंडर लालू हेक ने माता-पिता से टीकाकरण से न डरने की अपील करते हुए इसे बच्चों की सुरक्षा के लिए जरूरी बताया है.
आईएएनएस/आईबी
पोलियो को हराना इतना मुश्किल क्यों?
पोलियो को हराना इतना मुश्किल क्यों
आज तक पोलियो का कोई इलाज नहीं है. सिर्फ इससे बचने की कोशिश की जा सकती है. जिसके लिए भी बार बार ओरल ड्रॉप्स या इंजेक्शन लगाने पर ही बच्चों को जीवन भर इससे बचाया जा सकता है.
तस्वीर: UNICEF/UNI29868/LeMoyne
साफ पानी नहीं
पोलियो वायरस गंदगी के कारण फैलता है. इंसान के मल से संक्रमित खाने-पीने की चीजों को खाने से वायरस शरीर में पहुंच जाता है. चूंकि अब भी दुनिया भर में पीने का साफ पानी मिलना मुश्किल है, संक्रमण जारी है.
तस्वीर: Fatoumata Diabate
अब भी लाइलाज
पोलियोमाइलिटिस या पोलियो दिमाग और स्पाइनल कॉर्ड की एक बीमारी है जो वायरस से होती है. इससे कुछ ही घंटों के अंदर शरीर में ऐसा लकवा मारता है, जिसे कभी ठीक नहीं किया जा सकता.
तस्वीर: Sajjad Hussain/AFP/Getty Images
छोटी उम्र, खतरा बड़ा
पोलियो सबसे ज्यादा पांच साल से कम उम्र के बच्चों को ही प्रभावित करता है. ऐसे हर 200 में से एक बच्चे के पैरों में जिंदगीभर के लिए लकवा मार जाता है. इनमें से 5 से 10 फीसदी बच्चों की सांस लेने में मुश्किल के कारण मौत हो जाती है.
तस्वीर: Anindito Mukherjee
कम हुए, खत्म नहीं
केवल पाकिस्तान में ही 2016 में पोलियो के 35 मामले दर्ज हुए जबकि 1988 में यह तादाद साढ़े तीन लाख थी. पोलियो के टीके लगाने के प्रयासों को भी पाकिस्तान में इस्लामी आतंकवादियों के कारण गहरा धक्का लगता रहा है.
तस्वीर: picture-alliance/dpa/S. Akber
जानलेवा किस्म
विश्व के तीन देशों पाकिस्तान, अफगानिस्तान और नाइजीरिया में पोलियो की एक विशेष इंडेमिक किस्म पाई जाती है, जिसमें लकवा और मौत तक हो सकती है.
तस्वीर: Getty Images/AFP/P. Utomi Ekpei
एक ही काफी है
जब तक दुनिया में एक भी बच्चा पोलियो वायरस से संक्रमित रहता है, सभी बच्चों पर खतरा बना रहेगा. आज के एक संक्रमित बच्चे से अगले 10 सालों में विश्व भर में पोलियो के दो लाख नए शिकार बन सकते हैं. आरपी/वीके (रॉयटर्स)