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दम तोड़ता कॉलेज

३० अक्टूबर २०१३

स्वास्थ्य सेवाएं इंसान का मूलभूत अधिकार हैं, इस नारे के साथ क्यूबा में मुफ्त पढ़ाई वाली मेडिकल यूनिवर्सिटी खोली गई. इसे अंतरराष्ट्रीय प्रतिष्ठा भी मिली, लेकिन अब खुद क्यूबा इस यूनिवर्सिटी को बचाने के लिए जूझ रहा है.

तस्वीर: STR/AFP/Getty Images

गरीब अफ्रीकी देश होंडुरास से क्यूबा पढ़ाई करने आए 18 साल के मराडी गोमेज कहते हैं, "मेडिसिन की पढ़ाई करना मेरा ख्वाब था. लेकिन मेरे जैसे गरीब परिवार के लिए ऐसा सोचना नामुमकिन था. यहां मैं अपने सपने को साकार कर रहा हूं और मुझे उम्मीद है कि मैं अपने देश की मदद कर सकूंगा." मराडी उन 13,000 छात्रों में से एक हैं जो क्यूबा के लैटिन अमेरिकन स्कूल ऑफ मेडिसिन (ईएलएएम) में मुफ्त में पढ़ाई कर रहे हैं.

क्यूबा की राजधानी हवाना से करीब 25 किलोमीटर दूर चल रहे इस कॉलेज में 124 देशों के छात्र डॉक्टरी की पढ़ाई कर हैं. ज्यादातर छात्र आर्थिक रूप से पिछड़े परिवारों से ताल्लुक रखते हैं. ईएलएएम का परिसर 120 हेक्टेयर में फैला है. कॉलेज की 28 इमारतें पाम के पेड़ों से घिरी हैं. यहां 130 क्लासरूमों के साथ प्रयोगशालाएं, हॉस्टल, कैंटीन और हॉस्पिटल है.

ईएलएएम उन तीन यूनिवर्सिटियों में से एक है जिन्हें क्यूबा के क्रांतिकारी नेता और पूर्व राष्ट्रपति फिडेल कास्त्रो ने शुरू किया. कास्त्रो चाहते थे कि दुनिया भर के लोग यहां पढ़ें. कास्त्रो मानते थे कि स्वास्थ्य सेवाएं इंसान का मूलभूत अधिकार हैं, इसी वजह से उन्होंने फीस न लेने का फैसला किया. गरीब देश को छात्रों को दाखिले में तरजीह दी गई. विश्व स्वास्थ्य संगठन के मुताबिक स्वास्थ्य सेवाओं के मामले में क्यूबा दुनिया के बेहतरीन देशों में एक है. वहां औसतन 148 लोगों के लिए एक डॉक्टर है. कई मामलों में क्यूबा में पढ़ाई करने वाले डॉक्टर सबसे बेहतर आंके जाते हैं.

फिडेल कास्त्रोतस्वीर: picture-alliance/dpa

संस्थान से अब तक 112 देशों के 24,000 से ज्यादा छात्र पढ़ चुके हैं. 22 साल अमहद वोकोवी चाड से ईएलएएम में पढ़ने आए हैं. वोकोवी कहते हैं, "मुफ्त में मेडिसिन की पढ़ाई करना, ये बड़ा मौका है." 20 साल के डगलस माचेरी जिम्बाब्वे से यहां पहुंचे. वो अपने पिता के पदचिह्नों पर चलना चाहते हैं. उनके पिता ने भी क्यूबा से मेडिसिन की पढ़ाई की थी. पढ़ाई छह साल तक चलती है. इस दौरान छात्रों को हर तरह की मेडिकल जरूरतों का पूरा करना करना सिखाया जाता है.

फिलहाल यहां 13,282 छात्र पंजीकृत है. स्कूल की एक्सटर्नल रिलेशन टीम के विक्टर डियाज कहते हैं, "एक बड़ी सफलता ये है कि हम एक बड़े परिवार की तरह हैं, इससे कोई फर्क नहीं पड़ता कि हम किस संप्रदाय, संस्कृति, नस्ल या राजनीतिक पृष्ठभूमि से आते हैं."

क्यूबा वामपंथी देश है. कई आलोचक कहते हैं कि क्यूबा ईएलएएम का इस्तेमाल दुनिया भर के मेडिकल समुदाय में वामपंथ का प्रभाव बढ़ाने के लिए कर रहा है. ईएलएएम की उप निदेशक हाइडी सोका इससे इनकार करती हैं. वह कहती हैं, "स्कूल में कोई पॉलिटिक्स नहीं. यहां हम इंसानियत और भाईचारे के साथ मेडिकल की पढ़ाई करते हैं. ये दूसरे देशों की तरह नहीं है जहां मेडिकल की पढ़ाई करोबारी शिक्षा समझी जाती है. हमारे छात्र अक्सर उन जगहों पर जाते हैं जहां स्थानीय डॉक्टर नहीं जाना चाहते और उनकी वैज्ञानिक और तकनीकी समझ को पूरी दुनिया पहचानती है."

स्वास्थ्य सेवाओं में अव्वल क्यूबातस्वीर: Reuters

हाइडी के मुताबिक स्वास्थ्य सेवाओं को कारोबार समझने वाले उनके छात्रों का स्तर देखकर झल्लाते हैं और इस तरह के आरोप लगाते हैं. अंतरराष्ट्रीय व्यापार में क्यूबा की अनदेखी की वजह से अब देश की अर्थव्यवस्था बुरे दौर में है. इसके चलते ईएलएएम भी मुश्किल घड़ी देख रहा है. ऐसे में संस्थान खुद को बचाए रखने के तरीके ढूंढ रहा है. हाइडी कहती हैं, "आर्थिक रूप से देश की चुनौतियां किसी से छुपी नहीं हैं और हमें भी आय के नए जरिए तलाशने हैं." संस्थान मेडिकल के ही भीतर खास तरह पढ़ाई करने वाले छात्रों से फीस लेने जा रहा है.

क्यूबा अब कई देशों के साथ ऐसे समझौते कर रहा है जिसके तहत वो साझेदार देशों के छात्रों को ईएलएएम में पढ़ाएगा. फीस साझेदार देश चुकाएंगे. क्यूबा को उम्मीद है कि कई देशों के पिछड़े इलाकों में हजारों लोगों की जान बचाने वाला ईएलएएम मुश्किल हालत में खुद को बचाने में समर्थ होगा.

ओएसजे/एमजे (एएफपी)

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