मेडिकल दस्ताने बनाने वाली नामी कंपनी में कर्मचारियों की कमी
१ अप्रैल २०२०
मेडिकल दस्ताने बनाने वाली सबसे बड़ी कंपनी कोरोना संकट के इस समय कर्मचारियों की कमी से जूझ रही है. कंपनी के पास दुनिया भर से ऑर्डर आ रहे हैं क्योंकि कई देशों में दस्ताने और मास्क जैसी चीजों की भारी कमी हो गई है.
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जिन देशों में दस्ताने और मास्क जैसी रक्षात्मक चीजों की कमी है उनमें अमेरिका और भारत भी शामिल हैं. दुनिया भर में इस्तेमाल किए जाने वाले पांच में से एक दस्ताने को मलेशिया की टॉप ग्लव कॉर्प, बीएचडी कंपनी बनाती है. कंपनी के सामने कम से कम 700 नए कर्मचारियों की भर्ती करने की चुनौती है क्योंकि पिछले कुछ हफ्तों में कंपनी को मिलने वाला ऑर्डर सामान्य से दुगुना हो गया है. कंपनी पहले ही कह चुकी है कि उसके लिए सारी मांगों को पूरा कर पाना संभव नहीं होगा. इस वक्त कंपनी कर्मचारियों की नियुक्ति जैसे मसले से जूझ रही है और इतनी जल्दी उत्पादन की सुविधा बढ़ाना तो और भी मुश्किल है.
मलेशिया में एक महीने के लिए हर तरह की यात्रा पर पाबंदी लगा दी गई है. कंपनी में काम करने के लिए ज्यादातर लोग नेपाल जैसे देशों से आते हैं लेकिन फिलहाल हवाई यात्रा पर प्रतिबंध की वजह से वह भी संभव नहीं है. पड़ोसियों की तुलना में मलेशिया औद्योगिक रूप से ज्यादा विकसित है लेकिन वह दक्षिण एशिया से आने वाले मजदूरों पर बहुत ज्यादा निर्भर है. कंपनी के एग्जिक्यूटिव चेयरमैन लिम वी चाई का कहना है, "हम इस साल की शुरुआत से ही मजदूरों की कमी का सामना कर रहे हैं, मलेशिया में यात्रा पर रोक लगने के बाद से यह समस्या और ज्यादा गंभीर हो गई है.”
लिम वी चाई ने यह भी बताया कि मांग बढ़ने के कारण कंपनी को अकुशल मजदूरों की भी बहुत जरूरत है. खासतौर से माल को पैक करने और उनकी क्वालिटी चेक करने के लिए ताकि तैयार माल को जितनी जल्दी हो सके ग्राहकों तक भेजा जा सके. कोरोना वायरस के कारण लगी रोक के बावजूद यह माल अप्रैल के मध्य तक चल जाएगा. कंपनी ने पिछले महीने 300 कर्मचारियों की भर्ती की थी. साथ ही उसने कर्मचारियों की भर्ती करने वाली एजेंसियो को इस काम में मुस्तैदी से जुटने का आग्रह किया है. कंपनी अब मलेशियाई लोगों को भर्ती कर रही है और इसके लिए व्हाट्सऐप पर वीडियो कॉल के जरिए इंटरव्यू ले रही है.
मेडिकल दस्ताने बनाने वाली कंपनी में फिलहाल 18,000 लोग काम करते हैं और तीन देशों में फैली इसकी 44 फैक्ट्रियों में हर साल 73.8 अरब दस्ताने तैयार होते हैं. दुनिया भर में इसकी बढ़ी जरूरतों को देखते हुए कंपनी इस क्षमता को बढ़ाना चाहती है.
अमेरिका में मेडिकल उपकरणों के आपातकालीन भंडार में मास्क, रिस्पाइरेटर, ग्लव, गाउन और फेस शील्ड जैसी चीजें अब खत्म होने की कगार पर हैं. अमेरिकी सरकार हर वक्त इस भंडार को सुरक्षित रखती है.
चीन से दुनिया भर में फैले कोरोना वायरस पर इतनी चर्चा और गहन रिसर्च के बावजूद हम इस खतरनाक वायरस के बारे में कई अहम बातें नहीं जानते हैं. डालते हैं इन्हीं पर नजर:
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किसके लिए घातक
सबसे बड़ा रहस्य यह है कि 80 फीसदी लोगों में इसके लक्षण या तो दिखते ही नहीं या बहुत कम दिखते हैं. दूसरे लोगों में यह घातक न्यूमोनिया की वजह बन उनकी जान ले लेता है. ब्रिटिश जर्नल लांसेट में छपी रिसर्च रिपोर्ट के मुताबिक संक्रमण से सबसे ज्यादा पीड़ित लोगों के नाक और गले में वायरस का जमाव कम पीड़ित लोगों की तुलना में 60 फीसदी ज्यादा होता है.
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और रिसर्च की जरूरत
तो क्या यह माना जाए कि बढ़ती उम्र की वजह से ज्यादा पीड़ित लोगों का प्रतिरोधी तंत्र मजबूती से काम नहीं कर रहा है या फिर वे वायरस के संपर्क में ज्यादा थे? यह सवाल अपनी जगह कायम है. अभी इस बारे में और रिसर्च करने की जरूरत है.
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हवा में वायरस
माना जाता है कि कोरोना वायरस शारीरिक संपर्क और संक्रमित व्यक्ति के खांसने और छींकने से निकलने वाली छोटी छोटी बूंदों से फैलता है. तो फिर यह वायरस मौसमी फ्लू फैलाने वाले वायरस की तरह हवा में कैसे रह सकता है?
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वायरस की ताकत
अध्ययन बताते हैं कि नया कोरोना वायरस लैब मे तीन घंटे तक हवा में रह सकता है. वैज्ञानिक यह नहीं जानते कि इतनी देर हवा में रहने के बाद भी क्या यह किसी को संक्रमित कर सकता है? पेरिस के सेंट अंटोनी अस्पताल की डॉक्टर कैरीन लाकोम्बे कहती हैं, "हम वायरस ढूंढ तो सकते हैं, लेकिन हम यह नहीं जानते कि क्या वायरस तब संक्रमण में सक्षम है."
तस्वीर: Reuters/A. Gebert
असल मामले कितने
दुनिया में जर्मनी और दक्षिण कोरिया जैसे कुछ देश ही सघन जांच कर रहे हैं. ऐसे में दुनिया भर में कोरोना के मामलों की असल संख्या क्या है, यह नहीं पता. ब्रिटिश सरकार ने 17 मार्च को अंदेशा जताया कि 55 हजार लोगों को वायरस लग सकता है जबकि तब तक महज 2000 लोग ही टेस्ट में संक्रमित पाए गए थे.
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नए तरीके की जरूरत
बीमारी से निपटने और इसे रोकने के लिए कुल मरीजों की असल संख्या जानना बहुत जरूरी है ताकि उन्हें अलग रखा जा सके और उनका इलाज हो सके. यह तभी संभव होगा जब ब्लड टेस्ट के नए तरीके विकसित किए जा सकें.
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गर्मी से भागेगा कोरोना?
क्या उत्तरी गोलार्ध में वसंत के गर्म दिनों या गर्मी के आने बाद कोविड-19 बीमारी रुक जाएगी? विशेषज्ञ कहते हैं कि ऐसा संभव है, लेकिन पक्के तौर पर ऐसा कहना मुश्किल है. फ्लू जैसे सांस संबंधी वायरस ठंडे और सूखे मौसम में ज्यादा टिकते हैं इसीलिए वे सर्दियों में तेजी से फैलते हैं.
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चेतावनी
अमेरिका के मेडिकल हावर्ड स्कूल ने चेतावनी दी है कि मौसम में बदलाव होने से जरूरी नहीं है कि कोविड-19 के मामले रुक जाएं. विशेषज्ञों का कहना है कि मौसम से भरोसे रहने की बजाय बीमारी की रोकथाम के सभी प्रयासों को लगातार और तेजी से किए जाने की जरूरत है.
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कोरोना एक पहेली
वयस्कों के मुकाबले बच्चों को कोविड-19 होने का खतरा कम है. जो संक्रमित भी हुए वे ज्यादा बीमार नहीं हुए. बीमार लोगों के साथ रहने वाले बच्चों में भी इस वायरस से लगने की संभावना दो से तीन गुनी कम थी. प्रोफेसर लाकोम्बे कहती हैं, "कोरोना के बारे में बहुत सारी बातें हैं जो हम अब तक नहीं जानते हैं जो इस वायरस से निपटने में बाधा बन रही हैं." रिपोर्ट: एके/एनआर (एएएफपी)