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मेरी टीचर, मेरी फेसबुक फ्रेंड

३० जुलाई २०१३

क्या एक टीचर और उसका छात्र फेसबुक पर दोस्त हो सकते हैं. क्या उन्हें एक दूसरे के जीवन में क्या हो रहा है, इसकी पूरी जानकारी होनी चाहिए.

तस्वीर: picture-alliance/dpa

जर्मन राज्य बाडेन व्युर्टेमबर्ग की सरकार के आदेश साफ हैं, दफ्तर के काम के लिए अध्यापक और बच्चे फेसबुक, ट्विटर और सोशल मीडिया का इस्तेमाल नहीं कर सकेंगे. अब फेसबुक पर न तो टीचर बच्चों से बात कर सकेंगे और न ही आपस में. इससे पहले बवेरिया और उत्तरी राज्य श्लेसविग होलश्टाइन में यह कानून लागू कर दिया गया था. बाडेन व्युर्टेमबर्ग का संस्कृति मंत्रालय का तर्क है कि हर व्यक्ति का अपना एक निजी जीवन होता है जिसे बचाकर रखने और जिसकी इज्जत करने की जरूरत है.

अगर फेसबुक में इनका आपसी संपर्क रोका जाए, तो तय किया जा सकता कि टीचर और बच्चे एक दूसरे के बारे में क्या और कितना जानते हैं. जर्मन शिक्षा संघ के प्रमुख रोल्फ बुश कहते हैं कि जर्मनी की कई स्कूलों में बच्चों और शिक्षकों की निजी जानकारी को सुरक्षित नहीं किया जाता लेकिन इसका मतलब नहीं कि शिक्षक को इसकी सजा दी जाए.

तस्वीर: picture-alliance/dpa

आजकल फेसबुक और सोशल मीडिया के बिना बच्चे रह नहीं पाते. कई बार टीचर के साथ भी उनकी बातचीत यहीं होती है. ईमेल या टेलीफोन के मुकाबले फेसबुक से जानकारी आसानी से दी और ली जा सकती है. शिक्षकों को भी उससे फायदा मिल रहा है. पहले वे नोटिस बोर्ड में नई क्लास के बारे में बताते थे अब वे फेसबुक पर पोस्ट कर देते हैं. "बारिश की वजह से आज स्पोर्ट्स क्लास स्पोर्ट्स हॉल में होगी," इस तरह के नोटिस फेसबुक के पेज पर डाल दिए जाते हैं.

लेकिन सवाल यह है कि क्या अध्यापक और छात्र फेसबुक में एक दूसरे के फ्रेंड हो सकते हैं. डॉयचे वेले के साथ बातचीत में बाडेन व्युर्टेम्बर्ग के छात्र सलाहकार संघ के सलमान ओजन का मानना है कि कभी न कभी तो संस्कृति मंत्रालय को इस सवाल से जूझना पड़ेगा.

ओजन का कहना है कि दूसरी तरफ अगर स्कूल के बारे में जानकारी केवल फेसबुक में शामिल होने से मिले और जो छात्र इसमें आना नहीं चाहते, उन्हें अलग रखा जाए, तो यह गलत है. शिक्षकों को भी दिक्कत होती है. इसके लिए कोई मानक नहीं है कि फेसबुक में कौन सा संदेश दफ्तर वाला है और कौन सा निजी. इससे शिक्षकों को भी दिक्कत हो सकती है.

संस्कृति मंत्रालय का कहना है कि फेसबुक और सोशल मीडिया के बजाय ईमेल का इस्तेमाल किया जाए. लेकिन फिर परेशानी यह है कि हर शिक्षक के पास दफ्तर की ईमेल आईडी नहीं है और अगर है भी तो वह पूरी तरह सुरक्षित नहीं है. इसके लिए भी मानक तैयार करने होंगे. सलमान ओजन मानते हैं कि सबसे आसान और अच्छा तरीका है कि टीचर बच्चों को क्लास में या नोटिस बोर्ड के जरिए जानकारी बता दें, अगर बच्चों को अपने दोस्तों को बात बतानी है तो वे इसे फेसबुक पर सार्वजनिक कर सकते हैं.

रिपोर्टः राहिल बेग/एमजी

संपादनः ए जमाल

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