मेरे बच्चे मेरे सबसे कड़े आलोचकः शाह रुख
३० अगस्त २०१०एक ब्रिटिश अखबार में लिखे अपने लेख में शाह रुख कहते हैं, "अब मेरे बच्चे हैं. उनके साथ समय बिताना मैं एक्टिंग से भी ज्यादा पसंद करता हूं. लेकिन एक बात पक्की है कि उनकी वजह से ही मैं बेहतर एक्टर बन पाया हूं. वे मेरे सबसे कड़े आलोचक हैं. वह बड़ी ईमादारी से कहते हैं, 'यह ठीक नहीं है. तुम और अच्छा कर सकते थे.' अगर आप उनकी ईमानदारी पर ध्यान दें तो मेरे ख्याल से आप अच्छे अदाकार बन सकते हैं.
शाह रुख अब तक 70 से ज्यादा फिल्में कर चुके हैं. दुनिया भर में उनके करोड़ों चाहने वाले हैं और 13 फिल्म फेयर पुरस्कार भी जीत चुके हैं इनमें सात बार उन्हें बेहतरीन अदाकार चुना गया. इस सबके आधार पर ब्रिटिश अखबार में उन्हें दुनिया का सबसे बड़ा फिल्म स्टार कहा गया है. टीवी पर वह 'कौन बनेगा करोड़पति' शो की मेजबानी कर चुके हैं. साथ ही शाह रुख आईपीएल की कोलकाता नाइट राइडर्स टीम के मालिक भी हैं.
वैसे शाह रुख लिखते हैं कि उन्होंने कभी नहीं सोचा था कि एक्टर बनेंगे. वह कहते हैं, ''मैं फुटबॉल खिलाड़ी बनना चाहता था, लेकिन मुझे चोट लग गई. मेरे पास शाम को कुछ करने को नहीं होता था तो मैंने एक नाटक पर काम शुरू किया. अचानक मेरी जिंदगी बदल गई और मैं थिएटर करने लगा. इसके बाद भारत में टीवी आया. मैंने टीवी धारावाहिकों में काम किया, जो बहुत अच्छा रहा. कॉलेज से अर्थशास्त्र में स्नातक होने के बाद मैं फिल्म स्कूल गया. इसके बाद एक साल के लिए मुंबई चला गया. महज एक बदलाव के तौर पर मैंने फिल्मों में काम करना शुरू कर दिया.''
खुद पर चुटकी लेते हुए शाह रुख कहते हैं, ''बचपन में मैं उससे कहीं ज्यादा मूर्ख था जितना अभी हूं. अपने सामने किसी को कुछ समझता ही नहीं था. इतना ही नहीं, मैंने एक गीत भी लिख डाला जिसका नाम था 'आई एम द बेस्ट.'
अपनी जिंदगी के कुछ अहम पलों को याद करते हुए शाह रुख लिखते हैं, ''अब यह सोचना बड़ा अजीब सा लगता है, लेकिन उस वक्त मैं सोचता था कि मैं नाकाम हो ही नहीं सकता. मैंने अपने माता पिता खो दिए. मेरे पास घर भी नहीं रहा. इससे ज्यादा कोई मुझसे क्या छीन सकता था. इसलिए मैंने हर परेशानी का डटकर मुकाबला किया. जब आपके पास खोने के लिए कुछ न हो, तो इसका मतलब है कि आपके जीतने के लिए बहुत कुछ है.''
शिक्षा की अहमियत पर जोर देते हुए शाह रुख कहते हैं, ''जब मेरी शुरुआत हुई, मेरे पास घर नहीं था. लेकिन मैं पढ़ा लिखा था तो बहुत कुछ कर सकता था. अगर आप कामयाब हो जाते हैं, तो फर्श से अर्श तक पहुंचने की कहानी बहुत अच्छी लगती है. अगर आपकी कहानी वैसे नहीं है तो किसी को पसंद नहीं आती. लेकिन अब मुझे इस बात का गर्व होता है कि मेरे पास अपना घर है जो मैंने अपने बच्चों को दिया है. मुझे पता है कि यह छोटी सी बात है लेकिन मेरे लिए यह बहुत मायने रखती है.''
रिपोर्टः एजेंसियां/ए कुमार
संपादनः ओ सिंह