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'मेरे लिए 68 गुलाम काम करते हैं'

१२ जून २०१३

क्या मैं गुलामी करवाता हूं? स्लेवरी फुटप्रिंट नाम की वेबसाइट कम से कम यही नतीजा देती है कि हर व्यक्ति दुनिया भर में कई लोगों से गुलामी करवाता है. अगर ये सही है तो इसे रोकने के लिए क्या किया जा सकता है?

तस्वीर: picture-alliance/Godong

पेन, साबुन और नैपी जैसे उत्पाद वेबसाइट पर सबसे ज्यादा अंक पाते हैं, यानी इनमें सबसे ज्यादा गुलामी होती है. जिस कच्चे माल से ये उत्पाद बनते हैं, जैसे कपास, कोयला या फिर कुछ धातु वहां लोग अमानवीय परिस्थिति में काम करते हैं. हो सकता है कि आपके गुलाम चीन, दक्षिण अमेरिका, यूक्रेन, रूस, इंडोनेशिया या भारत में हों.

कैलिफोर्निया की यह वेबसाइट जस्टिन डिलोन ने बनाई है. उनका मानना है कि दुनिया भर में आज भी दो करोड़ सत्तर लाख लोग बिना मजदूरी के काम करने को मजबूर किए जाते हैं. तो यहां गुलामी की बजाए बिना रोजगारी वाला जबरदस्ती का काम भी कहा जा सकता है.

डिलोन ने 400 उत्पाद चुने. जिसमें स्मार्टफोन से लेकर टीशर्ट और कॉफी या अंगूठी भी है. इन सबका औसत निकाल कर वेबसाइट बताती है कि आप कितने लोगों से अमानवीय हालातों में गुलामी करवाते हैं. संगठन चाहता है कि इस दिशा में ज्यादा से ज्यादा लोग सोचें.

कौन हैं आपके गुलामतस्वीर: Screenshot slaveryfootprint.org

और जानकारी

इस वेबसाइट के विषय की आलोचना भी हो रही है. जर्मनी के गैर सरकारी संगठन सूडविंड की सबीने फेरेनशिल्ड को गुलामी शब्द से आपत्ति है. "ये निर्धारित करना मुश्किल है कि कौन सा काम गुलामी जैसी स्थिति में करवाया जा रहा है या उन्हें पैसे दिए जा रहे हैं या नहीं, लेकिन यह निश्चित ही कहा जा सकता है कि इन लोगों का शोषण हो रहा है. फेरेनशिल्ड इस आयडिया को कपड़ा उद्योग के लिए अच्छा मानती हैं. लेकिन उनका कहना है कि यहां विस्तृत जानकारी नहीं है. "अगर ये वेबसाइट कुछ और विषयों को शामिल करेगी, अगर वह गायब होते सामाजिक मानक, सम्मानजनक वेतन (जो अक्सर नहीं दिया जाता) जैसे मुद्दों को शामिल करेगी तो वह दिशानिर्देशक भी बन सकेगी.

क्या करें

साफ शब्दों में अगर कहें कि भले ही 68 गुलाम रखने वाली बात इतनी सही नहीं भी हो, तब भी इस कारण समस्या पर ध्यान तो जाता है कि दुनिया में कई लोग अमानवीय परिस्थितियों में काम करने को मजबूर हैं ताकि दुनिया का कोई व्यक्ति अपना स्तर बनाए रख सके. गुलामी रोकने का सबसे अच्छा तरीका है कि लोगों को आधुनिक गुलामी के बारे में जागरूक किया जाए.

प्रति व्यक्ति 68 गुलाम!तस्वीर: Screenshot slaveryfootprint.org

अनजान

कई कंपनियों को भी पता नहीं होता कि उनका कच्चा माल आ कहां से रहा है. बवेरिया की भूगोल विशेषज्ञ सुजाने जॉर्डन को लगता है कि बड़ी कंपनियों को इसमें कोई रुचि भी नहीं होती कि उनका कच्चा माल कहां से आ रहा है. इसलिए सुजाने ने खुद एक साफ सुथरा उत्पादन बनाने की कोशिश की, कंप्यूटर का माउस. इस दौरान उन्हें पता चला कि पूरी प्रक्रिया कितनी जटिल है. डीडबल्यू से बातचीत में उन्होंने बताया कि साफ सुथरे तरीके से बनाना बहुत मुश्किल है. माउस में इस्तेमाल किए जाने वाले उपकरण भी कहां से आते हैं इस बारे में जानकारी जुटा पाना मुश्किल होता है क्योंकि उनको बनाने वाली कंपनियां इस बारे में कोई जानकारी नहीं देती.

चाहे स्मार्ट फोन हो या फिर कोई और उपकरण जिसका रोजमर्रा में इस्तेमाल किया जाता है, उसका साफसुथरा उत्पादन संभव नहीं. क्योंकि उनमें कई और चीजें भी इस्तेमाल की जाती हैं जिनके बारे में जानकारी नहीं होती. इसलिए अप्रत्यक्ष गुलामी या अमानवीय स्थिति में काम खत्म करने के लिए जरूरी पारदर्शिता की जरूरत है ताकि सभी कंपनियां उत्पादन के बारे में पूरी जानकारी दें और इसके लिए राजनीतिक स्तर पर इच्छाशक्ति भी बने.

रिपोर्ट: क्लाउस यानसेन/ आभा मोंढे

संपादन: ईशा भाटिया

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