यूरोप और अमेरिका की गलबहियां दोस्ती में दरार पड़ती दिख रही है. ट्रंप के राष्ट्रपति बनने से पश्चिम समेत दुनिया में उथल पुथल मचनी तय है.
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जर्मनी के अखबार बिल्ड और ब्रिटिश अखबार द टाइम्स ऑफ लंदन को दिये साझा इंटरव्यू में अमेरिका के नवनिर्वाचित राष्ट्रपति डॉनल्ड ट्रंप ने कई मुद्दों पर बात की. जर्मन चांसलर अंगेला मैर्केल की शरणार्थी नीति की कड़े शब्दों में आलोचना करते हुए ट्रंप ने कहा, "मुझे लगता है कि मैर्केल ने एक विनाशकारी गलती की है, इन सब अवैध लोगों को लेकर, आपको पता है, सब लोगों को लेना चाहे वो कहीं से भी आएं. कोई नहीं जानता कि वे कहां से आते हैं. इसीलिए मुझे लगता है कि उन्होंने एक विनाशकारी गलती की है."
2015 में जर्मन चांसलर ने शरणार्थियों के लिए देश के दरवाजे खोल दिये थे. साल भर के भीतर करीब 9 लाख शरणार्थी जर्मनी आए. इनमें ज्यादातर सीरिया के थे. तब जर्मनी में "रिफ्यूजी वेलकम" का नारा सुनाई दे रहा था. मैर्केल ने भी कहा कि "हम यह इंतजाम कर सकते हैं." लेकिन अब माहौल बदल चुका है.
अरबपति कारोबारी ट्रंप ने कहा कि दिसंबर 2016 में बर्लिन के क्रिसमस मार्केट पर हुए ट्रक हमले के बाद जर्मनी को साफ अंदाजा हो चुका है कि मैर्केल की नीति का क्या नतीजा है. इस आलोचना के बावजूद ट्रंप ने मैर्केल को "एक जबरदस्त नेता" बताया और कहा कि वह उनकी "कद्र" करते हैं, लेकिन शायद यह भरोसा ज्यादा लंबा न चले.
यूके, जीबी, ब्रिटेन और इंग्लैंड में फर्क
कभी यूके, कभी ग्रेट ब्रिटेन तो कभी इंग्लैंड, आखिर ये चक्कर क्या है. चलिए इस समझते हैं ताकि आगे ये कंफ्यूजन न रहे.
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यूनाइटेड किंगडम (यूके)
असल में इसका पूरा नाम यूनाइटेड किंगडम ऑफ ग्रेट ब्रिटेन एंड नॉदर्न आयरलैंड है. यूके में इंग्लैंड, स्कॉटलैंड, उत्तरी आयरलैंड और वेल्स आते हैं. इन चारों के समूह को ही यूके कहा जाता है.
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ग्रेट ब्रिटेन
इंग्लैंड, स्कॉटलैंड और वेल्स के संघ को ग्रेट ब्रिटेन कहा जाता है. तीनों अलग अलग प्रांत हैं. तीनों प्रांतों की अपनी संसद है लेकिन विदेश नीति और सुरक्षा जैसे मुद्दों पर फैसला ग्रेट ब्रिटेन की संघीय संसद करती है. तस्वीर में बायीं तरफ इंग्लैंड का झंडा है, दायीं तरफ स्कॉटलैंड का. बीच में ग्रेट ब्रिटेन का झंडा है.
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ब्रिटेन
यह नाम रोमन काल में इस्तेमाल हुए शब्द ब्रिटानिया से आया है. ब्रिटेन इंग्लैंड और वेल्स को मिलाकर बनता है. हालांकि अब सिर्फ ब्रिटेन शब्द का इस्तेमाल कम होता है. यूरो 2016 में इंग्लैंड बनाम वेल्स का मैच.
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इंग्लैंड
इंग्लैंड एक देश है. जिसकी राजधानी लंदन है. स्काटलैंड और वेल्स की तरह इंग्लैंड की अपनी फुटबॉल और क्रिकेट टीम हैं. इन टीमों में दूसरे प्रांतों के खिलाड़ी शामिल नहीं होते हैं.
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राजधानियां
उत्तरी आयरलैंड की राजधानी बेलफास्ट है. स्कॉटलैंड की राजधानी एडिनबरा है और वेल्स की राजधानी कार्डिफ है.
भाषा
अंग्रेजी भाषा होने के बावजूद इंग्लैंड, स्कॉटलैंड, उत्तरी आयरलैंड और वेल्स में लहजे का फर्क है. आम तौर पर मजाक में लोग एक दूसरे इलाके के लहजे का मजाक भी उड़ाते हैं.
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खासियत
स्कॉटलैंड के लोगों को अपनी विश्वप्रसिद्ध स्कॉच पर गर्व है. बैगपाइपर का संगीत स्कॉटलैंड की पहचान है. वहीं आयरलैंड के लोग आयरिश व्हिस्की और बियर का गुणगान करते हैं. इंग्लैंड मछली और चिप्स के लिए मशहूर है.
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मतभेद
राजस्व के आवंटन के अलावा ग्रेट ब्रिटेन (इंग्लैंड, वेल्स और स्कॉटलैंड) के प्रांतों के बीच विदेश नीति को लेकर भी मतभेद रहते हैं. यूरोपीय संघ की सदस्यता को लेकर मतभेद सामने भी आ चुके हैं. अगर ग्रेट ब्रिटेन यूरोपीय संघ से निकला तो स्कॉटलैंड स्वतंत्र देश बनने का एलान कर चुका है.
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ईयू से मतभेद
यूरोपीय संघ के आलोचकों का कहना है कि ईयू की सदस्यता से ब्रिटेन को आर्थिक और सामाजिक क्षति पहुंची है. तटीय इलाकों में रहने वाले मछुआरे करीब करीब बर्बाद हो चुके हैं. बड़ी संख्या में पोलैंड से आए प्रवासियों का मुद्दा भी समय समय पर उठता रहा है.
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राजनैतिक खींचतान
यूरोपीय संघ की नीतियां सदस्य देशों को लागू करनी पड़ती हैं. चाहे वह बजट का वित्तीय घाटा हो, शरणार्थियों का मुद्दा हो या फिर मार्केट रेग्युलेशन. ब्रिटिश प्रधानमंत्री डेविड कैमरन इसे राजनीतिक हस्तक्षेप करार दे चुके हैं.
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ब्रेक्जिट को "एक जबरदस्त कदम" साबित करने के लिए ट्रंप ने यूके के साथ नई कारोबारी डील करने का वादा किया, "हम इसे फटाफट करने और अच्छे से करने के लिए तेजी से बहुत कड़ी मेहनत करेंगे. यह दोनों पक्षों के लिए अच्छा रहेगा." ब्रिटेन की प्रधानमंत्री थेरेसा में कह चुकी हैं कि ब्रेक्जिट काफी "झटकेदार" होगा. ब्रिटेन ने पिछले साल यूरोपीय संघ के अलग होने का फैसला किया था. ब्रेक्जिट की प्रक्रिया मार्च 2017 से शुरू होनी है.
और टूटेगा यूरोपीय संघ
ट्रंप ने चेतावनी देते हुए कहा कि आप्रवासन के मुद्दे पर 28 देशों का यूरोपीय संघ और टूटेगा, "लोग, देश अपनी पहचान चाहते हैं और यूनाइटेड किंगडम भी अपनी पहचान चाहता था. अगर यूरोप के अलग अलग हिस्सों में शरणार्थी लगातार उमड़ते रहे, तो मुझे लगता है ऐसे में हर चीज को साथ रखना बहुत मुश्किल होगा क्योंकि लोग इससे नाराज हैं."
अमेरिका के नए राष्ट्रपति ने शरणार्थी संकट को भी ब्रेक्जिट का एक अहम कारण बताया, "अगर उन्हें शरणार्थियों को लेने के लिए बाध्य नहीं किया गया होता, तो शायद मुझे लगता है कि ब्रेक्जिट नहीं होता. यह आखिरी बोझ था जिसने ऊंट की कमर तोड़ दी." जर्मनी की आलोचना करते हुए ट्रंप ने कहा कि यूरोपीय संघ "जर्मनी के लिए गाड़ी" बन चुका है.
नाटो की उम्र कितनी?
एक्जिटः टूटता संसार
1990 में पश्चिमी और पूर्वी जर्मनी का एकीकरण एक अद्भुत घटना थी क्योंकि उसके बाद दुनिया बस टूट ही रही है. सोवियत संघ टूटा. और भी कई देशों का जन्म हुआ. ब्रिटेन के ईयू से अलग होने के मौके पर ऐसे ही देशों की चर्चा.
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1990 - नामीबिया
21 मार्च 1990 को नामीबिया ने दक्षिण अफ्रीका से आजादी हासिल की और एक आजाद देश बन गया.
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1991 - यूगोस्लाविया
यूगोस्लाविया एक विशाल देश था. 1991 में यह टूटना शुरू हुआ. सबसे पहले 25 जून 1991 को क्रोएशिया और स्लोवेनिया बने और 1992 में बोस्निया हैर्जेगोविना अलग हुआ.
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1993 - चेकोस्लोवाकिया
1 जनवरी 1993 से चेकोस्लोवाकिया दो हिस्सों में बंट गया. एक हुआ चेक गणराज्य और दूसरा स्लोवाकिया कहलाता है.
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1993 - इरिट्रिया
इरिट्रियाई इलाके पर इथियोपिया का कब्जा था. एक जनमत संग्रह के बाद 1993 में इरिट्रिया एक अलग देश बन गया.
तस्वीर: Reuters/T. Mukoya
2002 - ईस्ट तिमोर
ईस्ट तिमोर को 21वीं सदी का पहला आजाद देश होने का तमगा हासिल है. उसने इंडोनेशिया से अलग होकर अपना वजूद कायम किया.
तस्वीर: AP
2006 - सर्बिया
यूगोस्लाविया से अलग होने के बाद सर्बिया और मोंटेनीग्रो ने संघ बना लिया था. 2006 में यह भी टूट गया. सर्बिया अलग देश बन गया.
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2008 - कोसोवो
2008 तक यह सर्बिया का एक प्रांत था लेकिन फरवरी 2008 में कोसोवो ने अपनी आजादी का ऐलान कर दिया.
तस्वीर: picture-alliance/dpa/Epa/G. Likovski
2011- साउथ सूडान
सूडान का एक हिस्सा अलग होकर साउथ सूडान हो गया. 2011 में हुए जनमत संग्रह के बाद 9 जुलाई 2011 को इसे अलग देश के तौर पर मान्यता मिली.
तस्वीर: picture-alliance/dpa/M. Messara
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ट्रंप ने अमेरिका और उसके सहयोगियों के दशकों पुराने सैन्य संगठन नाटो को भी "जर्जर" करार दिया, "मैंने काफी पहले कहा था कि नाटो में समस्याएं हैं. पहली तो यह कि वह जर्जर है, क्योंकि उसे कई साल पहले बनाया गया था." नाटो को अब भी अहम बताते हुए ट्रंप ने कहा कि नाटो के कुछ सदस्य देश पर्याप्त भुगतान नहीं कर रहे हैं.
उन्होंने कहा, "हमसे देशों को बचाने की उम्मीद की जाती है. लेकिन इनमें से कई देश जितना भुगतान उन्हें करना चाहिए, वह नहीं कर रहे हैं, मुझे लगता है कि यह अमेरिका के प्रति बड़ा अन्याय है. नाटो मेरे लिए बहुत अहम है. फिलहाल पांच ही देश भुगतान कर रहे हैं. पांच, ये काफी नहीं है." नाटो की 70 फीसदी वित्तीय जरूरतें फिलहाल अमेरिका पूरी करता है.
बीएमडब्ल्यू पर टैक्स
ट्रंप ने जर्मन कार कंपनी बीएमडब्ल्यू की गाड़ियों पर 35 फीसदी टैक्सी टैक्स लगाने की भी धमकी दी है. बीएमडब्ल्यू मेक्सिको में एक कारखाना बनाना चाहती है. वहां बनाई गई कारें अमेरिका में बेचे जाने की योजना है. जर्मन अखबार से बात करते हुए ट्रंप ने कहा कि बीएमडब्ल्यू को अपनी कार फैक्ट्री अमेरिका में बनानी चाहिए. बीएमडब्ल्यू की प्रवक्ता के मुताबिक कारखाना मेक्सिको के सान लुइज पोतोसी में ही लगेगा. फैक्ट्री में 2019 से बीएमडब्ल्यू 3 सीरीज का उत्पादन शुरू हो जाएगा.
इसी साल जर्मनी में भी चुनाव होने हैं. चांसलर मैर्केल एक बार फिर चुनाव मैदान में हैं. ट्रंप के इंटरव्यू से ठीक पहले मैर्केल ने भी सख्त लहजे में ट्रंप को संदेश दिया. जर्मन चांसलर ने कहा, "हमारे कुछ पारंपरिक साझेदारों के नजरिये से देखें- और मैं भी यहां ट्रांसअटलांटिक रिश्तों के बारे में सोच रही हूं- हम यूरोपीयनों के साथ गहरी साझेदारी की कोई स्थायी गारंटी नहीं है."
ट्रंप पर क्या बोली दुनिया
अमेरिका में रिपब्लिकन उम्मीदवार डॉनल्ड ट्रंप की जीत पर दुनिया एक अजीब से सदमे में थी. खुशी की लहर तो कहीं नहीं दिख रही है. प्रतिक्रियाएं या तो बुरी हैं या संतुलित.
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इंडोनेशिया
इंडोनेशिया के सोशल मीडिया पर लोग पूछ रहे थे कि अमेरिका ऐसे व्यक्ति को राष्ट्रपति कैसे चुन सकता है. इस्लामिक देश इंडोनेशिया में फेसबुक और ट्विटर समेत तमाम सोशल मीडिया वेबसाइटों पर लोग कयास लगा रहे थे कि चुनाव प्रचार के दौरान जो कुछ ट्रंप ने बोला है, उस पर वह अमल करेंगे या नहीं. कुछ लोगों ने तो यह तक डर जताया कि ट्रंप के प्रशासन में वे अपने रिश्तेदारों से मिलने अमेरिका जा पाएंगे या नहीं.
तस्वीर: Getty Images/M. Wilson
क्यूबा
अमेरिका के साथ संबंध सामान्य करने में जुटे क्यूबा को बराक ओबामा प्रशासन से जिस तरह का समर्थन मिल रहा था, उस पर अब संदेह के बादल नजर आने लगे हैं. ट्रंप ने वादा किया है कि अगर क्यूबा के राष्ट्रपति राउल कास्त्रो ने और ज्यादा राजनीतिक आजादी नहीं दी तो वह संबंधों को बेहतर बनाने वाले फैसले पलट देंगे. कुछ लोगों ने कहा कि उनकी जिंदगी में जो थोड़े बहुत सुधार होने लगे थे, अब क्या पता वे फिर से छिन जाएं.
तस्वीर: Reuters/J. Roberts
चीन
चीन के ब्लॉगर वांग यिमिंग ने उम्मीद जताई है कि एक रिपब्लिकन राष्ट्रपति चीन में अभिव्यक्ति की आजादी के लिए ज्यादा जोर लगाएगा.बीजिंग यूनिवर्सिटी के प्रोफेसर लू बिन कहते हैं कि वह किसी के समर्थक नहीं हैं लेकिन ट्रंप की छवि एक जेंटलमैन की नहीं है और राष्ट्रपति पद पर आप ऐसे व्यक्ति को चाहते हैं जो देश की छवि पेश करे.
तस्वीर: Getty Images/J. Watson
ऑस्ट्रेलिया
ऑस्ट्रेलियाई विदेश मंत्री जूली बिशप ने कहा कि सरकार तो जो बनेगा, उसके साथ काम करेगी. उन्होंने कहा कि अमेरिका हमारा मुख्य सुरक्षा सहयोगी है और सबसे बड़ा विदेशी निवेशक भी.
तस्वीर: Reuters/C. Barria
न्यूजीलैंड
एक बार में अमेरिकी चुनावों के नतीजे देखते वक्त 22 साल की एक स्टूडेंट सारा पेरेरा ने कहा कि वह अमेरिकी संसद में इंटर्नशिप करने जा रही हैं लेकिन ट्रंप की जीत से डर लग रहा है. इसी हफ्ते एक स्कॉलरशिप पर अमेरिका जा रही सारा कहती हैं कि ट्रंप का राष्ट्रपति बनना अमेरिका के अंतरराष्ट्रीय संबंधों के लिए विनाशकारी हो सकता है.
तस्वीर: Getty Images/S. Platt
जापान
जापान के विशेषज्ञों को लग रहा है कि अमेरिका की जापान नीति में बड़ा बदलाव हो सकता है. लेकिन सरकार ने कहा है कि वह अमेरिका-जापान रणनीतिक संबंधों की बेहतरी के लिए काम करती रहेगी.
तस्वीर: Reuters/A. Wroblewski
भारत
भारत में डॉनल्ड ट्रंप की जीत की उम्मीद की जा रही थी. वहां उन्हें बड़ी संख्या में समर्थक मिले थे. इसलिए एक तरह की खुशी देखी जा रही है. भारत के जाने माने पत्रकार प्रभु चावला ने ट्वीट किया है कि उदारवादियों ने कहा था, मोदी जीते तो देश छोड़ जाएंगे. अब वे अमेरिका भी नहीं जा सकते जो हमेशा उनका नेचुरल हैबिटैट रहा है.
तस्वीर: Getty Images/S. Platt
जर्मनी
जर्मनी की रक्षा मंत्री उरसुला फॉन डेअ लाएन ने कहा है कि अमेरिका का घटनाक्रम उनके लिए एक बड़ा धक्का है. अमेरिकी चुनाव नतीजों में रिपब्लिकन उम्मीदवार डॉनल्ड ट्रंप की बढ़त के बाद उनका ये बयान आया है. जर्मन टीवी चैनल एआरडी से बातचीत में उन्होंने कहा, "मुझे लगता है कि ट्रंप इस बात को जानते हैं कि ये वोट उनके लिए नहीं हैं, बल्कि वॉशिंगटन के खिलाफ है, वहां के प्रतिष्ठान के खिलाफ हैं."