जर्मन चांसलर अंगेला मैर्केल ने व्लादीमिर पुतिन के फिर से राष्ट्रपति चुने जाने के बाद उनसे पहली बार मुलाकात की. ये मुलाकात ईरान, सीरिया और यूक्रेन विवादों के साए में हुई.
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चांसलर मैर्केल और रूसी राष्ट्रपति पुतिन की मुलाकात ऐसे समय में हुई है जब ईरान परमाणु डील से बाहर निकलने के बाद अमेरिका ने यूरोपीय कंपनियों को भी प्रतिबंधों की धमकी दी है, सीरिया में हालात बिगड़ रहे हैं और यूक्रेन के साथ रूस का झगड़ा अभी तक नहीं सुलझा है. साथ ही रूस के पूर्व जासूस स्क्रिपाल को जहर दिए जाने का मसला अभी भी उलझा हुआ है. चीन जाते हुए सोची में हुई मैर्केल की इस मुलाकात का मकसद इन सारे संकटों की रोशनी में रूस के साथ विचारों का आदान प्रदान था. यूक्रेन और स्क्रिपाल पर भले ही मतभेद बने हुए हों, लेकिन ईरान के मामले में जर्मनी और रूस दोनों ही परमाणु डील को बचाना चाहते हैं.
पुतिन से बातचीत के इन कई मुद्दों में एक बात पर दोनों के बीच सहमति रही. अमेरिकी दबाव के बावजूद दोनों देश विवादास्पद पाइपलाइन परियोजना नटर्ड स्ट्रीम 2 को जारी रखेंगे. यूक्रेन भी इसका विरोध कर रहा है क्योंकि उसे डर है कि रूस से यूरोप जाने वाले तेल के ट्रांजिट रूट के रूप में उसका महत्व कम होगा और उसकी आय भी गिरेगी. दोनों नेताओं ने यूक्रेन की चिंताओं को दूर करने की कोशिश की और पुतिन ने कहा कि ट्रांजिट को नुकसान नहीं पहुंचेगा. उन्होंने कहा, "सप्लाई जारी रखी जाएगी यदि यह आर्थिक रूप से उचित हो और सभी भागीदारों के लिेए सार्थक हो." मैर्केल ने ट्रांजिट को रणनैतिक महत्व का बताते हुए कहा कि इसे जारी रखा जाना चाहिए.
इन चुनौतियों से इनकार नहीं कर सकते पुतिन
इन चुनौतियों को नकार नहीं सकते पुतिन
व्लादिमीर पुतिन साल 2024 तक रूस के राष्ट्रपति रहेंगे. स्टालिन के बाद रूस में पुतिन सबसे ज्यादा समय तक राष्ट्रपति रहने वाले नेता बन गए हैं. लेकिन बतौर राष्ट्रपति पुतिन, आर्थिक मोर्चे पर इन चुनौतियों को नकार नहीं सकेंगे.
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कुशल कामगारों की कमी
वर्तमान में रूस की जनसंख्या तकरीबन 14.6 करोड़ है. साल 1991 में सोवियत संघ के विघटन के बाद देश की जनसंख्या में 50 लाख की कमी आई. इसके बाद के सालों में जन्म दर भी कम रही. लेकिन अब साल 1991 के दौर के बाद की पहली पीढ़ी बाजार में प्रवेश कर रही है जिसे काबिल श्रमशक्ति की कमी झेलनी पड़ सकती है. विशेषज्ञों की राय मे इसका नजर देश के आर्थिक विकास पर भी दिख सकता है.
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रिटायरमेंट की उम्र
रूस में रिटायरमेंट की उम्र महिलाओं के लिए 55 वर्ष तो पुरुषों के लिए 60 वर्ष है. यह दुनिया में सबसे कम है. लेकिन देश में पेंशन भी कम है. जनसंख्या में आ रही कमी ने देश के फेडरल बजट पर बोझ बढ़ा दिया है. पुतिन कई मौकों पर सुधारों की बात कहते रहे हैं. हालांकि देश का एक उदारवादी धड़ा रिटायरमेंट की उम्र को बढ़ा कर 63 साल करने की वकालत करता है. बढ़ती महंगाई के बीच कम पेंशन यहां एक बड़ा मुद्दा है.
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आकर्षक विदेशी निवेश
विशेषज्ञों की राय में रूस के सामने विदेशी निवेश का आकर्षक ठिकाना बनना एक बड़ी चुनौती है. आकर्षक निवेश पाने के लिए सरकार को देश के भीतर कारोबारी माहौल बेहतर करना होगा साथ ही नौकरशाही में भी कमी लानी होगी. कुछ लोग तो यह भी मान रहे हैं अमेरिका के प्रतिबंधों का रूस ने अब तक इसलिए कोई जवाब नहीं दिया है क्योंकि वह विदेशी निवेशकों को कोई गलत संदेश नहीं देना चाहता.
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तलाशने होंगे नए मौके
रूस के अल्फा बैंक मुताबिक, "देश की अर्थव्यवस्था बुनियादी रूप से कमोडिटी सेक्टर पर निर्भर करती है, जो विकास दृष्टिकोण के लिए स्पष्ट रूप से नकारात्मक है." लेकिन अब इस निर्भरता को कम करने के लिए छोटे और नए कारोबारों में निवेश को बढ़ाना होगा. विशेषज्ञों के मुताबिक रूस को रोबोटिक्स, स्मार्ट तकनीकों समेत आर्टिफिशियल इंटेलिजेंस को भी प्रोत्साहित करना चाहिए.
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ठोस आर्थिक तंत्र
निवेश सलाहकार कंपनी मेक्रो एडवाजरी के संस्थापक क्रिस वेफर के मुताबिक देश की अर्थव्यवस्था बेहद कमजोर है. जिसका एक कारण सोवियत संघ के विघटन के बाद आई कमजोरी है तो दूसरा देश को तेल क्षेत्र में होने वाली आसान कमाई. लेकिन अब देश के आर्थिक तंत्र को ठोस बनाए जाने पर जोर दिया जा रहा है. हालांकि सरकार ने बड़ी कंपनियों के आधुनिकीकरण के लिए कई योजनाओं को लॉन्च किया है लेकिन यह पर्याप्त नहीं है.
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जर्मनी रूस और यूक्रेन के बीच मध्यस्थ की भूमिका निभा रहा है. इस हफ्ते पाइपलाइन पर बातचीत करने के लिए अर्थनीति मंत्री पेटर अल्टमायर कीव और मॉस्को गए थे. उसके पहले विदेश मंत्री हाइको मास भी मॉस्को गए थे. इस पाइपलाइन के जरिए जर्मनी रूस से होने वाली गैस सप्लाई को पूर्वी यूरोप के देशों के साथ होने वाले विवादों से मुक्त करना चाहता है. लेकिन पाइपलाइन के विरोधियों में अमेरिका भी है जो यूरोपीय देशों के मॉस्को पर निर्भर होने की चिंता कर रहा है. पुतिन ने कहा कि वे डॉनल्ड ट्रंप के रुख को समझ सकते हैं, "वे अपने उद्यमों के हितों का बचाव कर रहे हैं और वे अपना उत्पाद यूरोप में बेचना चाहते हैं." लेकिन पुतिन के अनुसार अमेरिका की तरल गैस पाइपलाइन से सप्लाई की जाने वाली रूसी गैस से 30 फीसदी महंगी है.
पिछले एक साल में ये मैर्केल का पहला रूस दौरा था. 2014 में रूस द्वारा यूक्रेन के क्रीमिया का अधिग्रहण किए जाने के बाद से जर्मन-रूसी संबंध बिगड़े हुए हैं. इसके अलावा पूर्वी यूक्रेन में रूस अलगाववादियों का समर्थन कर रहा है. 2015 में मैर्केल और फ्रांसीसी राष्ट्रपति फ्रांसोआ ओलांद ने पुतिन और यूक्रेनी राष्ट्रपति पेत्रो पोरोशेंको के साथ पूर्वी यूक्रेन के लिए शांति योजना तय की थी लेकिन उस पर अभी तक पूरी तरह अमल नहीं हुआ है. मैर्केल ने स्थिति को असंतोषजनक बताते हुए कहा कि अमल में प्रगति के बाद चार देशों के सरकार प्रमुखों की भेंट का कोई औचित्य है.
मैर्केल ने पुतिन के साथ सीरिया के मुद्दे पर भी बातचीत की. पुतिन सीरिया के राष्ट्रपति बशर अल असद के सबसे बड़े समर्थक हैं. मैर्केल के लिए सीरिया से भागे लोगों की संपत्ति जब्त किए जाने का मामला अत्यंत महत्वपूर्ण है. इसके साथ यूरोप आए शरणार्थियों की वापसी का सवाल भी जुड़ा है. सीरिया की सरकार ने घोषणा की है कि जो लोग आने वाले हफ्तों में अपने शहरों में रजिस्ट्रेशन नहीं कराएंगे वे अपनी संपत्तियों से हाथ धो बैठेंगे. मैर्केल ने पुतिन से अपने प्रभाव का इस्तेमाल करने को कहा ताकि लोगों की संपत्तियां जब्त न हों. गुरुवार को असद ने सोची में पुतिन से मुलाकात की थी.
एमजे/एके (डीपीए)
मदद मांगते पुतिन, तो रिफ्यूजी बने ट्रंप
मदद मांगते पुतिन, तो रिफ्यूजी बने ट्रंप
अब्दुल्ला अल-आमरी की पेंटिंग में अमेरिकी राष्ट्रपति डॉनल्ड ट्रंप बेघर हैं, तो रूस के राष्ट्रपति पुतिन मदद मांग रहे हैं. दुनिया के नेताओं को कैनवास पर उतारने वाले सीरियाई कलाकार आमरी अपनी पेटिंग्स से बहुत कुछ कह जाते हैं.
तस्वीर: Abdalla Al Omari
डॉनल्ड ट्रंप
अमेरिका के राष्ट्रपति डॉनल्ड ट्रंप की आक्रामक नीतियों के चलते उन्हें कैनवास पर जगह मिली है. इसमें ट्रंप अपने बोरिया-बिस्तर समेटे, परिवार समेत बेघर नजर आ रहे हैं.
तस्वीर: Abdalla Al Omari
व्लादिमीर पुतिन
कैनवास पर मदद का कटोरा लेकर लिए नजर आ रहे हैं रूस के राष्ट्रपति. पुतिन अब साल 2024 तक रूस के राष्ट्रपति पद पर काबिज रहेंगे.
तस्वीर: Abdalla Al Omari
बशर अल असद
इस पेटिंग में सीरिया के राष्ट्रपति बशर अल असद को एक नाव के साथ जूझते हुए दिखाया गया है. शरणार्थियों ने बड़ी संख्या में नावों के सहारे समंदर पार किए हैं. लेकिन कई नावें डूबीं और हजारों जानें गईं.
तस्वीर: Abdalla Al Omari
अंगेला मैर्केल
लाखों शरणार्थियों को जर्मनी में जगह देने का निर्णय लेने वाली चांसलर अंगेला मैर्केल को इस मुद्दे पर भारी राजनीतिक आलोचना झेलनी पड़ी है. तस्वीर में मैर्केल डरी हुई और कंफ्यूज नजर आ रहीं हैं.
तस्वीर: DW/A. Drechsel
किम जोंग उन
उत्तर कोरिया आम तौर पर दुनिया के नेताओं से दूर रहता है. लेकिन मिसाइल परीक्षण और आक्रामक बयानों के चलते सुर्खियों में बने रहने वाले उत्तर कोरियाई नेता किम जोंग उन को भी कैनवास पर उतारा गया है, वो भी मिसाइल के साथ.
तस्वीर: Abdalla Al Omari
खाने का इंतजार
इस पेटिंग में दुनिया के ये नेता लाइन बनाकर खाना मिलने का इंतजार कर रहे हैं. आर्टिस्ट आमरी कहते हैं कि जब ये लोग इस स्थिति में होंगे, तभी आम लोगों की तकलीफों को समझेंगे.
तस्वीर: Abdalla Al Omari
आम आदमी
आमरी कहते हैं, "मैं चाहता हूं कि ये लोग स्वयं को आइने में देंखे और खुद को एक कमजोर व्यक्ति, एक शरणार्थी की तरह देंखे. इस पेटिंग में एक आम व्यक्ति को दिखाया गया है."
तस्वीर: Abdalla Al Omari
भागते शरणार्थी
ओमारी ने अपनी जिंदगी सीरिया के कैंपों में बिताई है. उन्होंने बताया कि तस्वीरों में भागते हुए जब उन्होंने लोगों को देखा, तो महसूस किया कि यह दुनिया को परेशान करता एक मानवीय संकट है.
तस्वीर: Abdalla Al Omari
न भूले नेता
इन नेताओं को आम व्यक्तियों की इस परेशानी से जोड़कर आमरी चाहते हैं कि ये नेता उन आम लोगों को याद रखें जिनके फैसले इनकी जिंदगियों को प्रभावित करते हैं. यहां सब नेता रिफ्यूजी बन कर भाग रहे हैं.