मैर्केल: सैनिकों की वापसी की मांग ग़ैरज़िम्मेदाराना
२२ अप्रैल २०१०जर्मन संसद के निचले सदन बुंडेसटाग में अफ़ग़ानिस्तान की स्थिति पर नीतिगत बयान देते हुए जर्मन चांसलर ने कहा, "जो आज फ़ौरी वापसी की मांग कर रहा है वह ग़ैरज़िम्मेदाराना व्यवहार कर रहा है."
मैर्केल ने कहा कि न सिर्फ़ अफ़ग़ानिस्तान अव्यवस्था और अराजकता में डूब जाएगा बल्कि अंतरराष्ट्रीय समुदाय और सहबंधों के लिए भी , जिनमें जर्मनी ज़िम्मेदार है, उसके नतीजे अपरिकल्पनीय होंगे.
अपने भाषण में चांसलर मैर्केल ने लड़ाई और हमलों में मारे गए जर्मन सैनिकों की सराहना करते हुए कहा कि उन्होंने जर्मनी में अपने देशवासियों को संभावित आतंकी हमलों से बचाने के लिए उच्चतम क़ीमत चुकाई है. जर्मन चांसलर ने कहा कि सैनिक अफ़ग़ानिस्तान में अपना जीवन खोने के स्थायी भय में जी रहे हैं ताकि हमें जर्मनी में भय में न जीना पड़े.
पिछले सप्ताह अफ़ग़ानिस्तान में चार जर्मन सैनिक मारे गए थे, जबकि तीन सप्ताह पहले गुड फ़्रायडे के दिन एक हमले में तीन जर्मन सैनिकों की मौत हो गई थी. उसके बाद विपक्षी सोशल डेमोक्रैटिक पार्टी में सैनिकों की वापसी की मांग ज़ोर पकड़ने लगी थी.
संसदीय बहस में एसपीडी के प्रमुख जीगमार गाब्रिएल ने फिर से सरकार को युद्ध शब्दावली के प्रयोग ख़िलाफ़ चेतावनी दी. उन्होंने सरकार पर युद्ध शब्दावली के प्रयोग पर स्पष्ट रुख नहीं होने का आरोप लगाया. गाब्रिएल ने कहा कि रक्षा मंत्री युद्ध की बात करते हैं लेकिन विदेशमंत्री का कहना है कि अफ़ग़ानिस्तान में युद्ध नहीं है. उन्होंने चांसलर से मांग की कि सरकार को एक शब्दावली का प्रयोग करना चाहिए.
वामपंथी विपक्षी पार्टी डी लिंके हमेशा से जर्मन सैनिकों की तैनाती के ख़िलाफ़ रहा है. उसके संसदीय दल के नेता ग्रेगोर गीज़ी ने संसद में बहस में हिस्सा लेते हुए कहा, "युद्ध से आतंकवाद का मुक़ाबला नहीं होता, नए पैदा होते हैं." उन्होंने अफ़ग़ानिस्तान से जर्मन सैनिकों की वापसी की मांग दुहराई.
रिपोर्ट: एजेंसियां/महेश झा
संपादन: आभा मोंढ़े