चार घंटे के लिए सीरिया के राष्ट्रपति बशर अल असद रूस आए. असद से मुलाकात के बाद पुतिन ने सीरिया के लिए नया राजनीतिक समाधान खोजने की मांग की.
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सीरिया में इस्लामिक स्टेट के खिलाफ सैन्य कार्रवाई में शामिल रूस के राष्ट्रपति व्लादिमीर पुतिन ने कहा कि सेना का अभियान खत्म होने के करीब है. लेकिन अभी काफी लंबा रास्ता बाकी है. रूस सीरिया में दो साल से हवाई हमले कर रहा है. रूसी सेना की वजह से सीरियाई राष्ट्रपति को बड़ी सहायता मिली. इस्लामिक स्टेट और असद विरोधी कमजोर हो चुके हैं. सीरिया में 2011 में असद के खिलाफ विद्रोह भड़का, जो बाद में आतंकवाद और गृह युद्ध में तब्दील हो गया. हिंसा में अब तक चार लाख से ज्यादा लोग मारे जा चुके हैं.
सीरिया के मुद्दे पर रूस, ईरान और तुर्की की भी बातचीत होनी है. रूस और ईरान बशर अल असद के समर्थक हैं तो तुर्की विद्रोहियों का समर्थन कर रहा है. इस बातचीत से पहले ही मॉस्को जाकर असद ने पुतिन से मुलाकात की. माना जा रहा है कि दोनों नेताओं ने भविष्य की बातचीत की रूपरेखा तैयार की है.
सोमवार शाम असद से मुलाकात करने के बाद पुतिन ने रूसी टेलिविजन से बात की. पुतिन ने बताया कि वह सीरिया संकट के समाधान के लिए अमेरिकी राष्ट्रपति डॉनल्ड ट्रंप और कतर के अमीर से बात करने की कोशिश करेंगे. रूसी राष्ट्रपति ने कहा, "आतंकवादियों पर पूरी तरह जीत पाने से पहले हमें काफी लंबा रास्ता तय करना है. लेकिन जहां तक सीरिया की जमीन पर आतंकवाद के खिलाफ हमारी साझा कार्रवाई और सैन्य अभियान की बात है, तो वह खत्म होने जा रही है." सीरिया और रूस दोनों विद्रोहियों को आतंकवादी मानते हैं. इससे पहले असद 2015 में रूस आए थे. असद के उस दौरे के बाद ही रूस ने सीरिया में सैन्य अभियान छेड़ा.
रूसी टेलिविजन से बात करते हुए सीरियाई राष्ट्रपति ने कहा, "आतंकवादियों के खिलाफ जीत हासिल करने के बाद राजनीतिक प्रक्रिया के जरिये आगे बढ़ना हमारे हित में है."
पुतिन पहले भी कह चुके हैं कि सीरिया में उनकी सैन्य कार्रवाई अपना लक्ष्य हासिल कर चुकी है. लेकिन रूस पर सैकड़ों आम नागरिकों को मारने के आरोप भी लगते हैं. मॉस्को अब तक इन आरोपों को खारिज करता रहा है. अमेरिका, यूके, जर्मनी, फ्रांस और यूरोपीय संघ के नेता असद से कई बार पद छोड़ने की मांग कर चुके हैं. लेकिन रूस द्वारा असद का समर्थन करने के बाद यह साफ हो गया है कि असद अपनी शर्तों पर ही कोई फैसला लेंगे.
सीरिया के विद्रोही गुटों ने भी एक बैठक बुलाई है. बैठक सऊदी अरब की राजधानी रियाद में होगी. विद्रोही एक धड़ा बनाकर संयुक्त राष्ट्र के झंडे तले होने वाली बातचीत में शरीक होना चाहते हैं. वार्ता नवंबर के आखिर में जेनेवा में होनी है.
(खत्म हो गयी है इस्लामिक स्टेट की खिलाफत)
खत्म हो गयी है इस्लामिक स्टेट की खिलाफत
मानवता के खिलाफ संगीन अपराधों के लिए जिम्मेदार इस्लामिक स्टेट की कथित खिलाफत ढह गयी है. कई मोर्चों पर लगातार मिली शिकस्त के रक्का से भी उसके लड़ाकों के पांव उखड़ गये हैं. इस्लामिक स्टेट पर चारों तरफ से मार पड़ी है.
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खत्म हुई खिलाफत
इराक में अल कायदा के अवशेषों से बन कर उभरे इस्लामिक स्टेट का 2014 की शुरुआत में फलूजा और रामादी के इलाकों में उभार हुआ. इसके बाद इस्लामिक स्टेट ने सीरियाई विद्रोहियों को भगाकर रक्का पर भी कब्जा कर लिया. जून 2014 में इराक के दूसरे सबसे बड़ा शहर मोसुल भी इस्लामिक स्टेट के चंगुल में था. यहीं से इस्लामिक स्टेट के नेता अबू बकर अल बगदादी ने खिलाफत का एलान किया.
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खिलाफत का खौफ
इस्लामिक स्टेट ने न्याय, समानता और इस्लामी धार्मिक मान्यताओँ के आधार पर एक आदर्श राज्य की बात की लेकिन अपने कुछ ही दिनों के शासन में इसने अपने ही लोगों भयभीत कर दिया. इराक के यजीदी समुदाय की हत्या, महिलाओं और लड़कियों को सेक्स गुलाम बनाने के लिए अपहरण, पश्चिमी पत्रकारों और सहायताकर्मियों की गला रेतकर हत्या और मध्यपूर्व की बेहद शानदार स्मारकों को मिटाने का कलंक इस्लामिक स्टेट पर है.
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विदेशी लड़ाके
इस्लामिक स्टेट ने अपनी फौज में शामिल करने के लिए दुनिया भर से मुसलमानों को बुलाया इनमें यूरोपीय और दूसरे देशों के युवा थे जिन्होंने इस्लामिक स्टेट को अपना आदर्श मान लिया. इसकी सोच ने मुख्यधारा के सु्न्नी मुसलमानों को इससे अलग कर दिया. सुन्नी मुसलमान इस्लामिक स्टेट के इस्लाम की विचारधारा को नहीं पचा पाये. खास इलाके में बनी खिलाफत पर चारों तरफ से हमला हुआ और बहुत जल्द इसके दुश्मन संगठित हो गये.
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हर तरफ से हमला
अमेरिका ने अपना अभियान 2014 में इराक से शुरू किया और एक महीने बाद सीरिया में. अमेरिका ने इराक में शिया लड़ाकों से गठजोड़ किया और इराकी कुर्द लड़ाकों से. सीरिया में स्थानीय कुर्द लड़ाकों और सीरियाई लोकतांत्रिक बल यानी एसडीएफ को साथ मिलाया. अमेरिकी हवाई हमलों के साये में इन सेनाओं ने इस्लामिक स्टेट को उसके गढ़ से एक एक कर उखाड़ना शुरू किया. बड़ा झटका इस साल जुलाई में लगा जब मोसूल को छुड़ा लिया गया.
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सीरिया में सफाया
सीरिया में इस्लामिक स्टेट के सफाये का दावा किया जा रहा है.वहां आईएस पर दोहरी मार पड़ी है. एक तरफ अमेरिका और उसकी समर्थित सेनाएं हैं तो दूसरी तरफ सीरियाई शासक बशर अल असद जिन्होंने अपने रूसी सहयोगियों के साथ मिल कर बेहद आक्रामक रुख अपनाया है. आईएस लड़ाके इधर उधर छिपते फिर रहे हैं और आम लोगों के साथ वहां से निकल रहे हैं. फुरात नदी घाटी में मायादीन के पास उनका आखिरी पड़ाव होने की बात पता चली है.
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इराक में अब बस अंबार
अक्टूबर के शुरुआत में इस्लामिक स्टेट के हाथ से इराक का हविजा शहर भी जाता रहा और उनके पास उत्तरी इराक में कोई शहर नहीं है. इराक की सेना अब इस्लामिक स्टेट के आखिरी ठिकाने अंबार पर हमले की तैयारी में जुटी है. इस रेगिस्तानी इलाके का फैलाव पूरे सीरियाई सीमा के साथ है. सीरियाई इलाके में मौजूद बोउकमाल पर जरूर इस्लामिक स्टेट कायम है साथ ही पूर्व की तरफ कुछ छिटपुट इलाकों में उसके लड़ाके अब भी डटे हुए हैं.
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भारी कीमत
इस्लामिक स्टेट की भारी कीमत सीरिया और इराक ने चुकाई है. एक तरफ धूल धूसरित हुई इमारतें, बस्तियां, सड़कें दिखती हैं तो दूसरी तरफ सामूहिक कब्रें, शरणार्थी, शव, यातना से जिंदा लाश बन चुके लोग. रमादी, मोसुल, रक्का जिधर नजर दौड़ाइये यही मंजर दिखाई देता है. तीन साल के शासन में इस्लामिक स्टेट की खिलाफत ने हजारों लोगों को मारा है, लाखों लोगों को बेघर किया और अनगिनत मासूम बच्चों में जेहादी विचार भर दिया.
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राजनीतिक असर
इस्लामिक स्टेट के उदय और पतन ने सीरिया और इराक में जातीय हिंसा की लकीरों को और गहरा कर दिया है. कुर्द सरकार उखड़ गयी है इसके साथ ही ईरान और तुर्की में भी कुर्द अलगाववादियों के खिलाफ जंग तेज हो गयी. तेल से लबालब किरकुक कुर्दों के कब्जे में था लेकिन अब इराक ने उसे छुड़ा लिया है. इसके साथ कुर्द राष्ट्र का सपना तो मटियामेट हो गया है और शिया, सुन्नी, कुर्द और दूसरे गुटों के बीच जंग तेज होगी.
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कौन जीता कौन हारा
एक तरफ सीरिया में असद की सरकार विद्रोहियों को निशाना बना रही हैं तो दूसरी तरफ इराक कुर्दों के सपने कुचल रहा है. इस इलाके में अपनी चौधराहट कायम करने की तमन्ना रूस और अमेरिका में भी है. सीरिया के पड़ोसी देशों को भी इस जंग में आहुति देनी पड़ी है उधर ईरान और सऊदी अरब भी अपनी भूमिका तलाश रहे हैं. इस्लामिक स्टेट की खिलाफत ध्वस्त हो गयी है लेकिन इस जंग में कौन हारा या कौन जीता यह बताना मुश्किल है.
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अनिश्चित भविष्य
इस्लामिक स्टेट से अपने इलाकों को छुड़ाने के बाद भी सारी सेनायें निरंतर सजग और सक्रिय हैं. वास्तव में अब उनके सामने ज्यादा बड़ी चुनौती है. बड़ी संख्या में इस्लामिक स्टेट के लड़ाके आम आबादी के साथ मिल गये हैं और हमला करने की ताक में हैं. आईएस के सहयोगी मिस्र और लीबिया में भी हमले कर रहे हैं, ऐसे में जाहिर है कि हिंसा और अनिश्चितता का वातावरण अभी लंबे समय बना रहेगा.