मोटापे जैसी महामारी की चपेट में कैसे आए सबसे गरीब देश
१३ सितम्बर २०१९लंबे समय से अफ्रीका का चित्रण एक भूखे महाद्वीप के तौर पर किया जाता था. वह तस्वीर अब बहुत तेजी से बदल रही है. अब तो मोटापा पूरे अफ्रीका महाद्वीप के सामने बड़ी समस्या बन कर खड़ा है. खासकर इसके तमाम देशों के शहरों में रहने वाली निम्न और मध्यवर्गीय आबादी की सेहत बहुत खराब है. वयस्कों में सबसे तेजी से बढ़ते मोटापे के मामले में विश्व के शीर्ष के 20 देशों में अफ्रीका के ही 8 देश शामिल हैं. विश्व स्वास्थ्य संगठन ने मोटापा या ओवरवेट इस तरह से परिभाषित किया है, "शरीर में अत्यधिक और असामान्य फैट इकट्ठा होने की स्थिति जिससे इंसान की सेहत को खतरा पैदा हो जाए."
कमर, हाथों या पैरों पर वसा की अतिरिक्त मात्रा लिए घूमने से व्यक्ति को डायबिटीज, दिल की बीमारियां और स्ट्रोक जैसी गैरसंक्रामक बीमारियां होने का खतरा बढ़ जाता है. इससे ब्रेस्ट, कोलन, किडनी और अंडाशय के कैंसर जैसे तमाम रोग होने की संभावना भी बढ़ जाती है.
पेट निकलना समृद्धि की निशानी नहीं
कई अफ्रीकी देशों में लंबे समय से किसी व्यक्ति का निकला हुआ पेट उसके खाते पीते घर का होने का प्रतीक माना जाता रहा है, जो कि बिल्कुल गलत है. कई बार तो यह पेट के ट्यूमर या किसी दूसरी बीमारी का लक्षण होता है. असल में किसी का निकला हुआ पेट और अधिक वजन वाला होना उसके शरीर में पोषण और व्यायाम की कमी को दिखाता है.
अंडरवेट होने के मुकाबले दुनिया भर में मोटे या ओवरवेट होने के कारण ज्यादा लोगों की जान जाती है. अफ्रीका में इसका दोहरा भार महसूस हो रहा है क्योंकि इन देशों में स्वास्थ्य सेक्टर पहले से ही मजबूत नहीं है और उस पर तमाम संक्रामक बीमारियों को संभालने का भारी बोझ भी है.
डायबिटीज से सीधा संबंध
टाइप 2 डायबिटीज का भी बड़ा कारण मोटापा ही है. कई अफ्रीकी देशों में इसके मामलों में काफी बढ़ोत्तरी आ रही है. 2018 में लैंसेट जर्नल ऑन डायबिटीज एंड एंडोक्राइनोलॉजी में लिखा था कि 1980 से अफ्रीका में डायबिटीज के मामले 129 फीसदी बढ़े हैं. इनसे निपटने के आर्थिक बोझ का अनुमान केवल उप-सहारा अफ्रीका में ही 60 अरब डॉलर के आसपास होने का अनुमान है.
पेट के आसपास अत्यधिक फैट जमा होने के कारण इंसुलिन के प्रभाव पर सीधा असर पड़ता है. अग्नाशय से निकलने वाले इस हार्मोन की शरीर में शुगर को नियंत्रित रखने में बड़ी भूमिका होती है. ओवरवेट होने से शरीर के पूरे मेटाबोलिज्म यानी उपापचय तंत्र पर बुरा असर पड़ता है और डायबिटीज का जोखिम बढ़ जाता है.
कई विशेषज्ञ अफ्रीका में फैलते जा रहे सुपरमार्केटों को भी मोटापे के लिए जिम्मेदार बता रहे हैं. कई अफ्रीकी देशों में मिडल क्लास लोग ताजे खाने के बजाए इन सुपरमार्केटों में बिकने वाले प्रोसेस्ड फूड को तरजीह देने लगे हैं जो कि शुगर और फैट से भरे होते हैं.
सरकार क्या कर सकती है
एक तरीका बहुत प्रभावी हो सकता है अगर सरकारें नीतियों के जरिए मोटापे से लड़ने की ओर ध्यान दें. दक्षिण अफ्रीका को ही देखिए, हाल ही में लोगों को चीनी और कैलोरी से भरी ड्रंक्स पीने से हतोत्साहित करने के लिए सरकार ने एक कानून पास कर इन पर टैक्स बढ़ा दिया. केवल इसी एक कदम के कारण भी वहां बहुत बदलाव आया और ऐसे ड्रिंक्स की खपत में कमी आई.
विश्व स्वास्थ्य संगठन का कहना है कि 2 अरब से भी ज्यादा लोग इस समय ओवरवेट हैं. इनमें से 65 करोड़ मोटापे के शिकार हैं. संगठन दुनिया भर की सरकारों से आग्रह कर रहा है कि जल्दी इस बारे में जरूरी कदम उठाएं ताकि इसे खतरनाक महामारी का रूप लेने से रोका जा सके. जाहिर है कि लोगों को खुद भी स्वस्थ खानपान और व्यायाम वाली जीवनशैली अपनानी होगी.
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