मोटापे से लड़ता मेक्सिको
५ अप्रैल २०१३स्वस्थ खाना सेहतमंद शरीर के लिए जरूरी है. लेकिन भागदौड़ भरी जिंदगी में लोग सेहत पर कम और फास्ट फूड के स्वाद पर ज्यादा ध्यान देने लगे हैं. यही कारण है कि दुनिया भर में मोटापे की समस्या बढ़ती जा रही है.
भारत की तरह मेक्सिको में भी सड़कों के किनारे ठेलों पर खूब खाना खाया जाता है. लेकिन रोजाना ऐसे खाने से सेहत को नुकसान हो रहा है. लोग मोटापे के शिकार हो रहे हैं. असल में कामकाज की वजह से कई बार युवाओं को खाना बनाने का वक्त नहीं मिलता. खाना खरीदना उन्हें ज्यादा आसान विकल्प लगता है. मेक्सिको सिटी में डाइटीशियन रोजी तारात्स बताती हैं, "मेक्सिको के पारंपरिक खाने में वैसे ही खूब तेल, चीनी और नमक होता है. फिर यहां फास्ट फूड का भी चलन है. हम सड़कों पर खाते हैं, जो मिलता है, वह खाते हैं, और कसरत नहीं करते."
सरकार की पहल
मेक्सिको में दस में से सात लोग मोटापे का शिकार हैं. अब सरकार इसे नियंत्रित करना चाहती है. हाल ही में मोटापे के खिलाफ एक प्रचार अभियान चलाया गया. लेकिन यह कितना सफल हुआ, इसके नतीजे देर से पता चलेंगे. जगह जगह विज्ञापन लगाकर उम्मीद की जा रही है कि लोग मोटापे के खिलाफ कुछ करेंगे. कुछ पोस्टर तो ठेलों के बिलकुल पास लगाए गए हैं. हर दिन एक मोबाइल स्वास्थ्य केंद्र शहर की सड़कों पर घूमता है. गाड़ी में बैठे सलाहकार लोगों तक जानकारी पहुंचाना चाहते हैं.
जो कोई भी अपने शरीर में मोटापे के खिलाफ कुछ करना चाहता है वह क्लीनिक गाब्रिएल मानसेरा जा सकता है. इस अस्पताल में एक सार्वजनिक स्वास्थ्य क्लीनिक है. मेक्सिको शहर में ऐसे कुल दस स्वास्थ्य केंद्र हैं. मानसेरा क्लीनिक की मारिया दे लूर्देस रीवेरा बताती हैं, "मोटापे से सेहत को खतरा हो सकता है क्योंकि इससे कॉलेस्टरॉल और खून में चर्बी बढ़ती है, जिससे हाई ब्लड प्रेशर, डायबिटीज और यहां तक कि बच्चा पैदा करने तक में परेशानी हो सकती है."
सन 2000 के बाद से मेक्सिको मोटापे को कम करने के लिए सरकारी योजनाएं चला रहा है. अब तक सरकार ने योजना का बजट 60 फीसदी बढ़ाया है. बारह से बीस साल के युवाओं को कोल्ड ड्रिंक्स और मोटा करने वाले स्नैक्स के प्रति जागरुक किया जा रहा है.
मुकाबला भागदौड़ भरी जिंदगी में आलसी हो चुके शरीर, चटपटा खाने की आदी हो चुकी जीभ और सेहत के बीच है. मेक्सिको की हालत दूसरे देशों के लिए भी एक सीख है.
रिपोर्ट: ओ सिंह
संपादन: ईशा भाटिया