भारतीय प्रधानमंत्री नरेंद्र मोदी पर अपनी नेपाल यात्रा में घरेलू सियासी हितों को साधने के आरोप लगे. बातें दोतरफा रिश्तों को बेहतर बनाने पर हुई, लेकिन कुलदीप कुमार सवाल करते हैं इनमें पूरी कितनी होगीं?
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भारतीय प्रधानमंत्री नरेंद्र मोदी की दो-दिवसीय नेपाल यात्रा को स्वाभाविक रूप से अलग-अलग नजरिये से देखा जा रहा है. कुछ विश्लेषकों का विचार है कि इस बात की परवाह किये बगैर कि नेपाल में इस समय कम्युनिस्ट सत्ता में हैं, नरेंद्र मोदी ने अपनी यात्रा का फोकस अपने हिन्दू होने को रेखांकित करने और नेपाली जनता के बजाय भारतवासियों---और शायद कर्नाटक के चुनावों के मद्देनजर उस राज्य के वोटरों---को संबोधित करने पर ही केंद्रित रखा. इसके विपरीत कुछ का मानना यह भी है कि इस यात्रा से भारत-नेपाल संबंधों में सुधरने की गति तेज होगी और दोनों देशों के बीच कई अनसुलझी और जटिल समस्याओं के सुलझने का रास्ता खुलेगा. स्वयं मोदी ने यह जुमला बोला है कि इस समय भारत-नेपाल संबंध सबसे नीचे के आधार शिविर पर हैं. भारत शेरपा की भूमिका निभाकर पर्वतारोहियों को आधार शिविर से सीधे माउंट एवरेस्ट तक ले जाने के लिए तैयार है. लेकिन भारत में बोले गए अनेक जुमलों की जो गति बनी, उसे देखकर अनेक लोगों के मन में संशय है कि क्या मोदी इस बार वास्तव में गंभीर हैं?
मोदी ने अपनी यात्रा सीता की मायके जनकपुर से शुरू की और वहां आने वालों के लिए रखी गई पुस्तिका में "सीया राम" लिख कर अपनी उपस्थिति दर्ज कराई. लोगों ने इस पर भी कटाक्ष किया क्योंकि अयोध्या आंदोलन के समय से ही पिछले तीस वर्षों में संघ परिवार ने केवल "जय श्री राम" का नारा लगाया है और "जय सिया राम" के पारंपरिक अभिवादन और उद्घोष को नकारा है. वहां से वे हवाई जहाज से सीधे काठमांडू गए और जोमसोम में मुक्तिनाथ मंदिर में दर्शन के लिए गए. वहां के स्थानीय लोग इस यात्रा से नाराज बताए जाते हैं क्योंकि परंपरा तोड़ कर उन्हें मंदिर के गर्भगृह में ले जाया गया और इस सबको टीवी पर प्रसारित भी किया गया. इससे लगा कि नेपाल में होते हुए भी मोदी कर्नाटक के हिन्दू मतदाता को प्रभावित करने की कोशिश कर रहे हैं.
ट्रंप के पास आईफोन और नरेंद्र मोदी के पास?
मोबाइल फोन आज हर किसी की जरूरत हैं तो फिर बड़े नेताओं का काम फोन के बगैर कैसे चलेगा. दुनिया के कई नेता तो मोबाइल फोन के इस्तेमाल को लेकर सुर्खियों में रहते हैं. डॉनल्ड ट्रंप से लेकर नरेंद्र मोदी तक किसके पास कौन फोन है?
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डॉनल्ड ट्रंप
मार्च 2017 में डॉनल्ड ट्रंप के सहयोगी डान स्केविनो ने ट्विटर पर इस बात की पुष्टि की कि बीते कई हफ्तों से ट्रंप आईफोन के नए मॉ़डल का इस्तेमाल कर रहे हैं.
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टेरीजा मे
ब्रिटेन की प्रधानमंत्री पहले ब्लैकबेरी फोन का इस्तेमाल करती थीं लेकिन अब उन्होंने आइफोन को अपना लिया है.
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इमानुएल माक्रों
फ्रांस के राष्ट्रपति को एक वीडियो में बीते साल दो मोबाइल फोन के साथ देखा गया. दोनों फोन एक दूसरे के ऊपर रखे थे और ऊपर वाला फोन एप्पल जैसा दिखा.
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नरेंद्र मोदी
भारतीय प्रधानमंत्री को 2014 के चुनाव अभियान के दौरान आइफोन से सेल्फी लेते देखा गया. वह सोशल मीडिया और फोन का अत्यधिक इस्तेमाल करने वाले नेता माने जाते हैं.
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अंगेला मैर्केल
जर्मन चांसलर का फोन 2013 में सुर्खियों में आया जब पता चला कि अमेरिकी खुफिया एजेंसी उनके फोन की निगरानी कर रही है. उनके पास दो फोन हैं एक नोकिया 6260 और दूसरा ब्लैकबेरी जेड10
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किम जोंग उन
उत्तर कोरियाई नेता का फोन भी 2013 में सुर्खियों में आया, जब सुरक्षा अधिकारियों के साथ एक बैठक में उनके पास ताइवान की कंपनी एचटीसी का मोबाइल दिखा.
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बराक ओबामा
पूर्व अमेरिका राष्ट्रपति बराक ओबामा ब्लैकबेरी फोन का इस्तेमाल करते थे जिसे अमेरिकी खुफिया एजेंसी एनएसए ने और बेहतर बनाया था.
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नवाज शरीफ
पाकिस्तान के पूर्व प्रधानमंत्री और प्रमुख नेता नवाज शरीफ आईफोन का इस्तेमाल करते हैं और उन्हें इसका बड़ा मुरीद बताया जाता है.
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फ्रांसुआ ओलांद
फ्रांस के पूर्व राष्ट्रपति आईफोन के जबर्दस्त दीवाने हैं. कहा जाता है कि उन्हें उनके फोन-5 से अलग नहीं किया जा सकता.
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व्लादिमीर पुतिन
रूसी राष्ट्रपति शायद दुनिया के अकेले राष्ट्रप्रमुख हैं जिनके पास कोई मोबाइल फोन नहीं है. आमतौर पर वो लैंडलाइन फोन का इस्तेमाल करते हैं और चलते चलते बात करनी हो तो अपने किसी सहयोगी का फोन इस्तेमाल कर लेते हैं.
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मोदी की नेपाल यात्रा में केवल एक ही ठोस काम हुआ है और वह है 6000 करोड़ रुपये की लागत से बन रही 900 मेगावॉट बिजली की उत्पादन क्षमता वाली परियोजना अरुण-3 का शिलान्यास जो मोदी और नेपाल के प्रधानमंत्री के पी ओली ने किया. इसके अलावा मोदी ने वे सभी वादे दुहराए हैं जो भारत पिछले वर्षों में करता आया है लेकिन जिन पर समयबद्ध तरीके से अमल नहीं किया गया. मसलन भारत नेपाली विमानों को अधिक वायुमार्ग उपलब्ध कराएगा, तराई में सड़कों के निर्माण का काम पूरा किया जाएगा और महाकाली परियोजना की विस्तृत रिपोर्टों पर काम शुरू करने में तेजी लाई जाएगी. यहां यह याद दिलाना अप्रासंगिक न होगा कि दोनों देशों ने महाकाली परियोजना पर 1996 में यानी 22 वर्ष पहले हस्ताक्षर किए थे. फिलहाल जिस योजना पर काम होता नजर आ रहा है वह रक्सौल और काठमांडू को रेल लाइन से जोड़ने की है.
नेपाल अभी तक 2015-16 में भारत द्वारा थोपी गई आर्थिक नाकेबंदी को भूला नहीं है. ओली खुद भी चीन-परस्त माने जाते हैं. यदि इस यात्रा के परिणामस्वरूप वे चीन और भारत के साथ एक-सी दूरी बनाकर चलने पर भी राजी हो जाते हैं, तो इसे यात्रा की सफलता ही माना जाएगा. अवसर के अनुरूप ओली ने भी बहुत-सी बातें कही हैं, मसलन लोग आते-जाते रहते हैं लेकिन भारत-नेपाल तो हमेशा बने रहेंगे, लेकिन कितनी बातों पर वे टिकते हैं, इसे अभी देखा जाना है. मोदी की नेपाल यात्रा समाप्त होने के एक दिन बाद ही ओली को अपने देश में हो रही आलोचना के मद्देनजर यह मानना पड़ा कि यात्रा के दौरान कुछ बातें ऐसी हुईं जो "राष्ट्रीय हितों" के दायरे में नहीं आतीं. शायद उनका इशारा अतिवामपंथी नेताओं और कार्यकर्ताओं को गिरफ्तार किए जाने की ओर था. इन्हें इसलिए गिरफ्तार किया गया था ताकि मोदी की यात्रा निर्विघ्न समाप्त हो जाए. दोनों देशों के अधिकारियों ने यात्रा को बेहद सफल बताया है. देखना है कि आने वाले वर्षों में ये आशाएं किस हद तक पूरी होती हैं.
अरे ये असली नहीं, उनके हमशक्ल हैं
कहते हैं कि दुनिया में एक जैसी शक्ल कम से कम सात लोग मौजूद होते हैं. तो चलिए आज मिलते हैं दुनिया भर के नेताओं के हमशक्लों से.
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हम साथ साथ हैं
अमेरिकी राष्ट्रपति डॉनल्ड ट्रंप और उत्तर कोरिया के नेता किम जोंग उन की सिंगापुर में मुलाकात के मौके पर उनके हमशक्ल भी वहां पहुंचे हैं. वैले यह फोटो दक्षिण कोरिया में हुए शीत ओलंपिक खेलों के समय की है जहां उन्होंने लोगों का खूब मनोरंजन किया.
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किम का जलवा
उत्तर कोरियाई नेता किम जोंग उन की तरह दिखने वाले कई लोग इन दिनों सोशल मीडिया पर मशहूर हो रहे हैं. ये लोग अपने बाल और पहनावा भी बिल्कुल उन्हीं के जैसा रखते हैं.
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मोदी और रामदेव
भारत में प्रधानमंत्री नरेंद्र मोदी और योग गुरु रामदेव से मिलते जुलते चेहरों वाले भी कई लोग मिल जाते हैं. खास कर चुनावी मौसम में होने वाली रैलियों में उन्हें खास तौर से देखा जाता है.
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यस वी कैन
आ गए ना पूर्व अमेरिकी राष्ट्रपति बराक ओबामा याद. वैसे इन जनाब का नाम इल्हाम अनास है और वे इंडोनेशिया के हैं. पेशे से फोटोग्राफर हैं, लेकिन कई लोग उनके साथ फोटो खिंचवाने के लिए उतावले रहते हैं.
तस्वीर: AP
स्टालिन, क्लिंटन और मैर्केल
रूसी शासक स्टालिन, पूर्व अमेरिकी राष्ट्रपति बिल क्लिंटन और जर्मन चांसलर अंगेला मैर्केल. तीनों एक साथ. नहीं. ये तो (बाएं से) लोथार वंडरलिश, स्टेफान टोमासी और सुजाने क्नोल हैं. तस्वीर 2005 की है.
तस्वीर: picture-alliance/dpa/F. Rumpenhorst
फिर से मैर्केल
जर्मन शहर ल्यूबेक की रहने वाली और चांसलर मैर्केल की हमशक्ल सुजाने क्नोल राजनीति में दिलचस्प भी रखती हैं. हालांकि वह मैर्केल की पार्टी सीडीयू नहीं, बल्कि सोशल डेमोक्रेटिक पार्टी एसपीडी की सदस्य हैं.
तस्वीर: picture-alliance/dpa/W. Langenstrassen
व्लादिमीर पुतिन
रूसी राष्ट्रपति व्लादिमीर पुतिन ताकत और दबंगई के प्रतीक हैं. वैसे यहां आप उन्हें नहीं, बल्कि उनके एक हमशक्ल को देख रहे हैं. तस्वीर रूस में 2013 में हुई वर्ल्ड एथलेटिक्स चैंपियनशिप के दौरान ली गई.
तस्वीर: Getty Images
क्वीन एलिजाबेथ?
17 जून 2000 को यूरो कप में इंग्लैड और जर्मनी के बीच फुटबॉल मुकाबला था. तभी वहां ब्रिटेन की महारानी क्वीन एलिजाबेथ की एक हमशक्ल ने पहुंच कर कई लोगों को हैरान कर दिया.
तस्वीर: picture-alliance/dpa/M. Limina
पोप जॉन पॉल द्वितीय
यह है इटली का एक स्ट्रीट आर्टिस्ट जिसने खुद को पोप जॉन पॉल द्वितीय के रंग रूप में ढाला हुआ है. यह तस्वीर अप्रैल 2014 की है जब पोप जॉन पॉल और पोप जॉन 23वें को संत घोषित किया गया था.