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फेसबुक पोस्ट के कारण मणिपुरी पत्रकार को हुई जेल

१९ दिसम्बर २०१८

भारत के पूर्वोत्तर राज्य मणिपुर में एक टीवी पत्रकार किशोरचन्द्र वांखेम को अपने फेसबुक वीडियो में राज्य के मुख्यमंत्री को प्रधानमंत्री नरेंद्र मोदी की "कठपुतली" कहने के आरोप में एक साल के लिए जेल भेज दिया गया है.

Myanmar Facebook
तस्वीर: Getty Images/AFP/Y. A. Thu

सोशल मीडिया पर बीजेपी सरकार की आलोचना को राष्ट्रीय सुरक्षा कानून के तहत अपराध बताते हुए वांखेम को 27 नवंबर को हिरासत में लिया गया था. तीन हफ्ते में ही वांखेम को इस कानून के अंतर्गत दी जाने वाली अधिकतम सजा सुनाते हुए एक साल के लिए जेल भेज दिया गया है. इस घटना को लेकर राजधानी दिल्ली में कुछ लोग विरोध प्रदर्शन कर रहे हैं.

नवंबर में फेसबुक पर ऐसे कई वीडियो अपलोड करने वाले वांखेम ने एक वीडियो में बीजेपी शासित मणिपुर राज्य के मुख्यमंत्री एन बीरेन सिंह को नरेंद्र मोदी-नीत केंद्र सरकार के हाथों की "कठपुतली" कहा था. वांखेम के वकील एन विक्टर ने समाचार एजेंसी रॉयटर्स से बातचीत में कहा, "यह सरकार की शक्तियों और कानून के खुले दुरुपयोग के अलावा कुछ नहीं है." विक्टर ने बताया कि उनकी वांखेम की एक साल जेल की सजा के खिलाफ अपील करने की योजना है.

भारत में दुनिया की सबसे बड़ी और सबसे विविध मीडिया इंडस्ट्री सक्रिय है. लेकिन भारतीय पत्रकारों को अक्सर उत्पीड़न और हिंसा झेलनी पड़ती है. विश्व की प्रेस की आजादी की सबसे हालिया रैंकिंग में भारत को 138वें स्थान पर रखा गया. इस मामले में भारत अफगानिस्तान, म्यांमार और जिम्बाब्वे जैसे देशों से भी पीछे है. देश में कई तरह के सेंसरशिप के कानून लागू हैं और हाल के सालों में कई पत्रकारों की हत्या के मामले भी सामने आते रहे हैं.

मणिपुर के मुख्यमंत्री एन बीरेन सिंहतस्वीर: IANS

वांखेम को इससे पहले 21 नवंबर को देशद्रोह के आरोप में हिरासत में लिया गया, लेकिन तीन दिन बाद उन्हें छोड़ दिया गया. फिर दोबारा 27 नवंबर को राष्ट्रीय सुरक्षा कानून के उल्लंघन के आरोप में हिरासत में लिए जाने के बाद से उन्हें राजधानी इम्फाल की एक जेल में ही बंद रखा गया है. इस कानून के अंतर्गत किसी व्यक्ति को अधिकतम एक साल तक बिना मुकदमा चलाए जेल में बंद रखा जा सकता है. वांखेम मामले पर जजों के एक बोर्ड ने उन्हें अधिकतम सजा दिए जाने पर मुहर लगाई है.

वांखेम ने अपनी एक फेसबुक पोस्ट में ऐतराज जताया था कि कि ब्रिटिश राज के खिलाफ संघर्ष के प्रतीक के रूप में राज्य में झांसी की रानी को क्यों प्रचारित किया जा रहा है. उन्होंने सवाल उठाते हुए कहा था, "हमें धोखा मत दो. मणिपुर के स्वतंत्रता सेनानियों का ऐसे अपमान मत करो."

आरपी/एमजे (रॉयटर्स, डीपीए)

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