सीमा पर हो रही गोलीबारी में आम नागरिकों की जान जा रही है. डॉयचे वेले के महेश झा का मानना है कि पूरा मामला विदेश मंत्रालय और सेना तथा पुलिस पर छोड़ने के बदले प्रधानमंत्री नरेंद्र मोदी को लगाम अपने हाथों में लेनी होगी.
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भारत के प्रधानमंत्री नरेंद्र मोदी की विदेशनीति के परखचे उड़ रहे हैं. चार महीने पहले पड़ोस के देशों के सरकार प्रमुखों को अपने शपथग्रहण में बुलाकर उन्होंने जो पहल की थी उसका लाभ पाकिस्तान के साथ संबंधों में नहीं दिख रहा है. सीमा पर गोलियां चल रही हैं, आम नागरिक मारे जा रहे हैं और दोनों ही देशों में नागरिक सरकार का कोई भी तंत्र सक्रिय नहीं दिख रहा है. अधिकारियों के बीच किसी भी स्तर पर गोलाबारी को रोकने या उसके पीछे की समस्याओं पर बात करने की कोशिश नहीं हो रही है.
दोनों ही देशों में युद्ध की, करारा जवाब देने और मजा चखाने की भाषणबाजी हो रही है. और इसमें वे बड़े अधिकारी भी शामिल हैं जिनका काम देशवासियों की रक्षा करना तो है ही, लेकिन उनका ही काम है राजनीतिक स्तर पर बातचीत के जरिए तनाव को कम करने और शांतिपूर्ण माहौल की नींव रखने का.
सभी जानते हैं कि पाकिस्तान में रक्षा और विदेश नीति की जिम्मेदारी नागरिक सरकार के पास न होकर सेना के पास है. भारत के मामले में भी पाकिस्तान सेना और उसके तहत काम करने वाली खुफिया एजेंसी आईएसआई अपनी मनमानी करती रही है. ऐसे में भारत के पास दो ही विकल्प हैं. या तो वह पाकिस्तान की नागरिक सरकार को इतना मजबूत करे कि वह अपनी सेना पर काबू कर सके. या फिर भारत को पाकिस्तान की सेना के साथ समझौते का आधार बनाना होगा.
दोनों ही मोर्चों पर भारतीय कूटनीति विफल रही है. न तो भारतीय सेना पाकिस्तान की सेना को इस जगह पर ला सकी है कि वह उकसावे की कार्रवाईयों का विकल्प छोड़े और न ही भारतीय राजनीतिज्ञ पाकिस्तान को शांति के फायदों से आश्वस्त करा पाए हैं. जब तक यह नहीं होता है अघोषित युद्ध जारी रहेगा और लोगों की जानें जाती रहेंगी. पूरा मामला विदेश मंत्रालय के अधिकारियों और सेना तथा पुलिस पर छोड़ने के बदले प्रधानमंत्री नरेंद्र मोदी को लगाम अपने हाथों में लेनी होगी.
पाकिस्तान के प्रधानमंत्री नवाज शरीफ ने मोदी के शपथग्रहण में आकर हिम्मत और उम्मीद का परिचय दिया था. यह वक्त है दोनों प्रधानमंत्रियों के बीच बने आपसी रिश्तों का फायदा उठाने का. मोदी शरीफ को फोन उठाकर गोलीबारी रुकवाने के लिए कह सकते हैं और यही काम नवाज शरीफ भी कर सकते हैं. लेकिन लोकतांत्रिक रूप से चुने गए दोनों प्रधानमंत्रियों में कोई यह कदम नहीं उठा रहा है. आखिर इंतजार किस बात का है? भारत पाक संबंधों को ऐसे ही कदमों की जरूरत है.
अमेरिका में मोदी
भारतीय प्रधानमंत्री ने अपने अमेरिका दौरे पर अमेरिकी प्रशासन और प्रवासी भारतीय दोनों को लुभाया. ओबामा प्रशासन को उनसे मिलने और उन्हें जानने का इंतजार था तो मोदी को अपने सपनों को पूरा करने के लिए समर्थन का.
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ओबामा से मुलाकात
नरेंद्र मोदी ने अमेरिकी राष्ट्रपति बराक ओबामा के साथ निजी और शिखर स्तरीय वार्ता की. परस्पर संबधों की मिठास को उजागर करने के लिए दोनों नेताओं ने मिलकर अमेरिकी अखबार वॉशिंगटन पोस्ट के लिए एक साझा संपादकीय भी लिखा.
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राष्ट्रपति का भोज
प्रधानमंत्री नरेंद्र मोदी के सम्मान में राष्ट्रपति बराक ओबामा ने रात्रिभोज का आयोजन किया. जहां दोनों नेताओं ने भारत और अमेरिका के द्विपक्षीय संबंधों की समीक्षा की. ओबामा ने व्हाइट हाउस के द्वार पर गुजराती भाषा में "केम छो मिस्टर प्राइम मिनिस्टर" कहकर मोदी का स्वागत किया.
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मजबूत होते रिश्ते
नरेंद्र मोदी ने वॉशिंगटन में अमेरिकी राष्ट्रपति बराक ओबामा के साथ मुलाकात में उन्हें भारत के बेहतर भविष्य के प्रति अपनी सोच से अवगत कराने के साथ ही दोनों देशों के परस्पर संबधों को मजबूत बनाने की अपनी प्रतिबद्धता से भी अवगत कराया. व्हाइट हाउस में मोदी के सम्मान में सोमवार को रात्रि भोज का आयोजन हुआ. यह ऐसा मौका था जब दोनों नेताओं को पहली बार काफी करीब से एक दूसरे को समझने का मौका मिला.
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आम लोगों का उत्साह
अमेरिका में रह रहे भारतीय मूल के लोगों ने मोदी का दौरा खास बनाया. मोदी जहां भी गए वहां लोग उन्हें देखने और सुनने के लिए टूट पड़े. मैडिसन स्क्वायर में उन्होंने 18 हजार भारतीयों को संबोधित किया.
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वॉशिंगटन में स्वागत
वॉशिंगटन में मोदी की अगवानी करने के लिए अमेरिकी डिप्टी सेक्रेटरी ऑफ स्टेट विलियम बर्न्स और दक्षिण एशिया के लिए असिस्टेंट सेक्रेटरी ऑफ स्टेट निशा बिस्वाल एंड्रयूज वायुसेना बेस पर उपस्थित थे. करीब 100 मोदी समर्थक उनसे मिलने के लिए वहां पहुंचे. ब्लेयर हाउस छोड़ने से पहले मोदी ने समर्थकों से हाथ मिलाकर उनका अभिवादन स्वीकार किया.
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पीएम का भाषण
नरेंद्र मोदी ने मेक इन इंडिया अभियान को अमली जामा पहनाने और विदेशी निवेशकों को इसके लिए प्रेरित करने के लिए दिग्गज अमेरिकी कारोबारियों के साथ बैठक की. मोदी ने गूगल, सिटीग्रुप पेप्सिको जैसी कंपनियों के सीईओ से मुलाकात की और उनसे भारत में निवेश और उत्पादन करने की अपील
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क्लिंटन से मुलाकात
नरेंद्र मोदी ने अमेरिका के पूर्व राष्ट्रपति बिल क्लिंटन और उनकी पत्नी हिलेरी क्लिंटन से भी मुलाकात की. मोदी और क्लिंटन दंपति के बीच 45 मिनट तक बातचीत चली. मोदी ने क्लिंटन दंपति को नाना नानी बनने पर बधाई भी दी.
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मेडिसन स्क्वायर गार्डेन के स्टार
रविवार को मोदी ने मेडिसन स्क्वायर गार्डेन में 18000 की भीड़ को संबोधित किया. ऐसा पहली बार है जब किसी भारतीय नेता ने इतनी बड़ी संख्या में भारतीयों को अमेरिका में संबोधित किया हो.