1. कंटेंट पर जाएं
  2. मेन्यू पर जाएं
  3. डीडब्ल्यू की अन्य साइट देखें

मोदी का मुकाबला राहुल से

Priya Esselborn१७ मार्च २०१२

भारत के चुनावी पंडितों की भविष्यवाणी भले ही बार बार फेल हो जाती हो, अमेरिका की टाइम पत्रिका ने दो साल पहले भारत के आम चुनाव का भविष्यवाणी कर दी है. इसका कहना है कि मुकाबला नरेंद्र मोदी और राहुल गांधी में हो सकता है.

तस्वीर: AP

बेहद प्रतिष्ठित समझी जाने वाली टाइम पत्रिका के कवर पेज पर इस बार नरेंद्र मोदी की तस्वीर छपी है. इसमें उन्हें शानदार बिजनेसमैन कहा गया है. साथ ही सवाल उठाया गया है कि क्या वह भारतीय राजनीति में भी इतने कामयाब हो सकते हैं. कयास लगाया गया है कि उत्तर प्रदेश में कांग्रेस की हार के बाद नरेंद्र मोदी कांग्रेस के राहुल गांधी को सीधा मुकाबला दे सकते हैं.

टाइम ने लिखा है, "भारत में अगला आम चुनाव 2014 में होना है और कांग्रेस को अध्यक्ष सोनिया गांधी के बेटे और उनके उत्तराधिकारी समझे जाने वाले राहुल गांधी पर काफी भरोसा है. लेकिन हाल में उत्तर प्रदेश में चुनाव के बाद उनकी स्थिति बहुत अच्छी नहीं रह गई है."

मोदी मीन्स बिजनेस

कवर पेज पर हेडलाइन लगाई गई है, "मोदी मीन्स बिजनेस. बट कैन ही लीड इंडिया." (मोदी का मतलब बिजनेस है लेकिन क्या वह भारत का नेतृत्व कर सकते हैं.) साथ में मोदी की एक गंभीर मुद्रा में ली गई तस्वीर पूरे पन्ने पर छापी गई है, जिसमें हल्की दाढ़ी के साथ मोदी की चश्मे वाली फोटो है. मोदी पिछले एक दशक से ज्यादा से गुजरात के मुख्यमंत्री हैं. इस साल गुजरात में विधानसभा चुनाव होने हैं और उनकी जीत की संभावना पहले ही जताई जा चुकी है.

पत्रिका में मोदी का इंटरव्यू भी है. ज्योति टोटम की स्टोरी में लिखा गया है, "शायद 61 साल के नरेंद्र मोदी का नाम और रिकॉर्ड ही ऐसा है, जो राहुल गांधी को मुकाबला दे सकते हैं."

तस्वीर: Time

हालांकि इसमें सवाल भी उठाए गए हैं, "कई भारतीय 2002 के गुजरात दंगों का नाम सुन कर ही भड़क उठते हैं. उनका मानना है कि भारत की धर्मनिरपेक्ष राजनीति की परंपरा में मोदी ठुकरा दिए जाएंगे. और अगर वह आगे आते हैं तो पड़ोसी राष्ट्र पाकिस्तान के साथ तनाव बढ़ सकता है. लेकिन अगर ऐसे सोचा जाए कि कौन सा नेता भारत को भ्रष्टाचार और कामचोरी से मुक्त करा कर उसे चीन के रास्ते पर ला सकता है, तो मोदी का ही नाम जहन में आता है."

आगे बढ़ता गुजरात

इस रिपोर्ट में मुख्यमंत्री रहते हुए गुजरात के विकास की तस्वीर दिखाई गई है, "जो बात पक्की है, वह यह कि पिछले 10 साल में मोदी के शासनकाल के दौरान गुजरात भारत का सबसे ज्यादा औद्योगिक विकास वाला राज्य बन गया है. यह उद्योग जगत के लिए दोस्ताना प्रदेश है, जहां भ्रष्टाचार की वैसी समस्या नहीं है, जैसी दूसरी जगहों पर है. गुजरात की 85 अरब डॉलर की अर्थव्यवस्था भले ही भारत में सबसे बड़ी न हो लेकिन बिना उपजाऊ भूमि और दूसरे संसाधनों या मुंबई और बैंगलोर जैसे किसी महानगर के बगैर भी यह संपन्न होता गया है. यहां तक कि मोदी के विरोधी भी इसे सुनियोजित बताते हैं."

लेकिन रिपोर्ट में 2002 के दंगों का भी जिक्र है और कहा गया है कि इसके पीड़ित आज भी इंसाफ का इंतजार कर रहे हैं. इसमें कहा गया है, "दंगों के एक दशक बाद कुछ साजिशकर्ताओं को जरूर सजा मिल रही है लेकिन राज्य ने कभी भी इस आरोप का जवाब नहीं दिया कि वह दंगे रोकने में नाकाम रही. कोई भी वरिष्ठ अधिकारी इसके लिए जिम्मेदार नहीं बताया गया और उनके खिलाफ कोई भी साजिश साबित नहीं हो पाई." गुजरात दंगों में एक हजार से ज्यादा लोग मारे गए थे.

दंगों का जिन्न

रिपोर्ट में मोदी के शामिल होने के आरोपों का भी जिक्र है, "एक मामले में मोदी पर भी आरोप है, जहां 200 लोगों की हत्या कर दी गई. वे लोग एक मुस्लिम नेता अहसान जाफरी के घर पर शरण लिए हुए थे. वहां भीड़ ने आक्रमण कर दिया और बार बार अधिकारियों को फोन करने के बाद भी कोई मदद को नहीं आया."

साप्ताहिक पत्रिका ने मोदी के हवाले से कहा है कि वह इस आरोप को सिरे से खारिज करते हैं. अगर गुजरात के मुख्यमंत्री के खिलाफ यह मामला भी गिर जाता है, तो उनके लिए सत्ता की राह आसान हो जाएगी.

टाइम पत्रिका की इस रिपोर्ट ने लगभग उन्हीं तथ्यों को दोहराया है, जो पिछले महीने गुजरात दंगों के 10 साल पूरे होने पर भारतीय मीडिया में आए थे. मोदी के बारे में दी गई जानकारी भारत के बाहर के लोगों के लिए दिलचस्पी भरी हो सकती है. लेकिन भारतीय राजनीति को समझने वालों के लिए यह औसत जानकारी है. इसके अलावा मोदी और राहुल की जिस तरह से तुलना की गई है, वह बहुत ज्यादा संभावना पर आधारित है क्योंकि भारत में चुनाव के पहले तक यह तय नहीं रहता कि कौन सा नेता आखिरी वक्त में क्या गुल खिला देगा. यहां तक कि उत्तर प्रदेश के चुनावों ने भारत के माहिर चुनावी पंडितों की भी दुकान बंद करा दी है.

पर चूंकि रिपोर्ट अंतरराष्ट्रीय स्तर की पत्रिका में छपी है, इसलिए अंतरराष्ट्रीय स्तर पर इसकी चर्चा जरूर होगी. खास तौर पर नरेंद्र मोदी की वजह से, जिन्हें कवर पेज पर जगह मिली है.

रिपोर्टः पीटीआई/ए जमाल

संपादनः एन रंजन

इस विषय पर और जानकारी को स्किप करें
डीडब्ल्यू की टॉप स्टोरी को स्किप करें

डीडब्ल्यू की टॉप स्टोरी

डीडब्ल्यू की और रिपोर्टें को स्किप करें

डीडब्ल्यू की और रिपोर्टें