जब दुनिया भर में नरेंद्र मोदी की सरकार से विकास के ठोस कदमों की उम्मीद की जा रही है, भारत धर्मांतरण विवाद के कारण सुर्खियों में है. निवेश के लिए आसान कायदे कानून और राजनीतिक स्थिरता जरूरी है.
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विदेशों में उम्मीद की जा रही है कि नरेंद्र मोदी निवेश की प्रक्रिया को आसान बनाएंगे और अपने मेक इन इंडिया अभियान के लिए उचित माहौल पैदा करेंगे. लेकिन पिछले दिनों आरएसएस से जुड़ी संस्था के धर्मांतरण अभियान से शक पैदा हो रहा है.
नरेंद्र मोदी ने चुनाव के दौरान विकास और बेहतरी का वादा किया था. पूरे भारत में लोगों ने इस वादे को गंभीरता से लिया और जाति तथा धर्म के हितों को दरकिनार कर 20 साल बाद पहली बार किसी पार्टी को पूरा बहुमत दिया. बहुमत जिम्मेदारी देता है. पार्टी भले ही अपने सदस्यों और विचारधारा का प्रतिनिधित्व करती हो, सरकार जनता की होती है, सारे देश की होती है. बीजेपी के पहले प्रधानमंत्री अटल बिहारी वाजपेयी ने कभी मोदी से ही "राजधर्म" निभाने की बात की थी. नरेंद्र मोदी पर एक बार फिर राजधर्म निभाने का दायित्व है. अब वे हर नागरिक के प्रधानमंत्री हैं, उन्हें सुरक्षा देना और उनकी बेहतरी के लिए काम करना उनका नैतिक और संवैधानिक कर्तव्य है.
संपूर्ण विकास के लिए सामाजिक समरसता की जरूरत होती है, सामाजिक विवाद और हिंसा विकास के गले में हड्डी बनते हैं. आरएसएस का घरवापसी अभियान इसी समरसता को खतरे में डाल रहा है. डर का अपना मनोविज्ञान होता है - डर डर पैदा करता है, वह लगातार नए लोगों को अपना शिकार बनाता जाता है और डरे हुए लोग विकास के बारे में नहीं, अपनी सुरक्षा के बारे में सोचते हैं. किसी भी सरकार की प्रमुख जिम्मेदारी है लोगों को सुरक्षा देना और उसके बाद उनकी आर्थिक बेहतरी के लिए आधार बनाना और मूलभूत सुविधाएं उपलब्ध कराना. मोदी सरकार को भी अपनी जिम्मेदारी को गंभीरता से लेना होगा और नागरिकों की सुरक्षा के लिए खतरा पैदा करने वाले तत्वों पर लगाम कसनी होगी, भले ही वे अपनी ही पार्टी के क्यों न हों.
लोगों ने शासन की कुव्यवस्था के खात्मे के लिए नरेंद्र मोदी को चुना और उन लोगों को सबक सिखाया जो शासन में होने का इस्तेमाल अपने या अपने गुट के फायदे के लिए कर रहे थे. यदि बीजेपी भी यही करती है तो वह भी लोगों का भरोसा खो देगी. राजनीतिक दलों में भरोसा लोकतंत्र में भरोसे की निशानी है. इस भरोसे को बनाए रखना उनकी भी जिम्मेदारी है. जरूरी है कि बीजेपी अपने सदस्यों को अनुशासन में लाए और उनका इस्तेमाल उन लक्ष्यों के लिए करे जो नरेंद्र मोदी ने अपने शासन के सात महीनों में तय किए हैं - मसलन स्वच्छता अभियान, विकास पर आधारित मॉडल गांव बनाना, ग्रामीण युवाओं का प्रशिक्षण. इन लक्ष्यों को पूरा करने के लिए किसी भी सरकार को नागरिकों के समर्थन और भागीदारी की जरूरत होगी. मोदी सरकार को भी है. उनकी पार्टी को समझना होगा कि उसका प्रभाव इस लक्ष्यों को पूरा कर बढ़ेगा, धर्मांतरण का बखेड़ा खड़ाकर नहीं.
ब्लॉग: महेश झा
स्वच्छ भारत के लिए अभियान
कूड़ेदान बनते भारत के शहरों को साफ करने में नगर निगम या स्थानीय प्रशासन जितना जिम्मेदार है उतना ही कर्तव्य शहर में रहने वाले हर नागरिक का भी है. तभी स्वच्छ भारत का सपना पूरा हो सकता है.
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मन से सफाई
प्रधानमंत्री नरेंद्र मोदी की तरफ से शुरू किया गया स्वच्छ भारत जमीनी स्तर पर काम करता नजर आ रहा है. फिल्मी कलाकार, बड़े कारोबारी ही नहीं आम लोग भी स्वच्छ भारत के सपने को साकार करने में लग गए हैं. कुछ कैमरों की चमक के बीच स्वच्छ भारत से जुड़कर सफाई अभियान में शामिल हो रहे हैं तो कुछ चुपचाप ही इसमें अपना योगदान दे रहे हैं.
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सफाई की लगन
प्रधानमंत्री ने अभियान की शुरुआत करते हुए नौ लोगों को इस काम के लिए नामित किया था और इस अभियान को आगे बढ़ाने के लिए उन्होंने इन नौ में से प्रत्येक से नौ-नौ अन्य लोगों को नामित करने को कहा था. नामित लोगों ने अपना काम बखूबी किया और आगे नौ और लोगों को नामित किया. उद्योगपति अनिल अंबानी ने पिछले दिनों मुंबई में सफाई अभियान चलाया. अब उनकी कंपनी के बोर्ड सदस्य भी इस अभियान में शामिल हो गए हैं.
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छोटे शहरों का बुरा हाल
गंदगी सिर्फ बड़े शहरों तक ही सीमित नहीं है छोटे शहरों में भी उतनी ही गंदगी मिल जाएगी. सफाई को रोजमर्रा का हिस्सा बनाने से ही देश चमक पाएगा. टीवी कलाकर मोनिका भदौरिया ने भी अलीगढ़ में सफाई अभियान में शामिल होकर शहर को साफ करने की प्रतिबद्धता दिखाई.
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नदी भी हो साफ
हरिद्वार में हर की पौड़ी की सफाई में लगीं महिला स्वयंसेवक. शहरों में गंदगी के अलावा गंदी नदियों का मामला भी उठता रहता है. वक्त बेवक्त सरकार को कोर्ट की तरफ से नदियों की सफाई को लेकर फटकार पड़ती रहती हैं.
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सबका सहयोग
नरेंद्र मोदी ने स्वच्छता अभियान की शुरुआत करते हुए कहा कि सफाई के लिए सिर्फ सफाई कर्मचारी जिम्मेदार नहीं हैं. इसके लिए देश की सोच बदलनी होगी. मोदी ने कहा, "साफ इंडिया का लक्ष्य हम पा सकते हैं. अगर हम मंगल तक पहुंच सकते हैं तो क्या हम अपना पड़ोस साफ नहीं रख सकते."
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प्लास्टिक की समस्या
भारत की सड़कों पर प्लास्टिक का पड़ा होना और प्लास्टिक में फेंका गया कचरा बहुत बड़ी समस्या है. एक तो इस प्लास्टिक के नालों, नदियों में जाने की आशंका होती है, वहीं खुले आम घूम रहे पशुओं के पेट में इस प्लास्टिक का जाना जानलेवा बन जाता है.
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सामाजिक समस्या
खुले में शौच जाना स्वास्थ्य के लिए सबसे बड़े खतरों में से एक है. महिलाओं के लिए यह मुद्दा बीमारियों से तो जुड़ा है ही, साथ ही यह असुरक्षित भी है. 2020 तक भारत सरकार खुले में शौच से निजात पा लेना चाहती है.
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कचरा प्रबंधन
अक्सर सभी तरह का कचरा एक साथ फेंक दिया जाता है. बारिश धूप में वह खुले में पड़ा सड़ता रहता है और मच्छर मक्खियों को आमंत्रण देता है. अगर जैविक कचरा एक साथ डाला जाए और प्लास्टिक, इलेक्ट्रिक और अन्य तरह का कचरा अलग करें तो हर कचरे का दोबारा इस्तेमाल हो सकता है.
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साफ जोधपुर
15 अगस्त 2014 को अभिनेता आमिर खान ने जोधपुर में स्वच्छ जोधपुर स्वस्थ जोधपुर का अभियान शुरू किया था. और इसके लिए आमिर खान ने खुद 11 लाख रुपये भी दिए. साल भर बाद आमिर एक बार फिर इसी दिन जाकर जोधपुर का जायजा लेंगे.
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एक तिहाई के पास नहीं
दुनिया की एक तिहाई जनसंख्या शौचालयों के अभावों में जी रही है. यूरोपीय संघ के भी दो करोड़ लोगों के पास अच्छे शौचालयों का अभाव है. कई पूर्वी यूरोपीय देशों में अभी भी पुराने तरह के शौचालय हैं जो जमीनी पानी को प्रदूषित करते हैं.
तस्वीर: picture-alliance/CTK
जैविक टॉयलेट
सुलभ शौचालयों ने भारत में एक नई क्रांति लाई थी. ऐसी ही एक और कोशिश की जा रही है जैविक टॉयलेटों के जरिए. ये बायो डाइजेस्टर टॉयलेट ऐसी जगहों पर भी लगाए जा सकते हैं जहां मल निकासी की सुविधा नहीं है.
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जागरूकता जरूरी
स्वच्छ भारत के इस अभियान में जितनी भूमिका सामाजिक गतिविधि की है उतनी ही आवश्यकता इसके बारे में जागरूकता फैलाने की है. हर व्यक्ति का हाथ जब इस अभियान में जुड़ेगा तभी भारत साफ हो सकेगा.