प्रधानमंत्री के रूप में नरेंद्र मोदी चार साल पूरे कर चुके हैं. इस दौरान उनके कारोबार-अनुकूल रुख ने कभी प्रशंसा बटोरी तो कभी आलोचना. लेकिन ये चार साल महज मोदी ही नहीं, बल्कि योग गुरू बाबा रामदेव के लिये भी बहुत अहम रहे.
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योग गुरू रामदेव अब देश का एक बड़ा चेहरा बन चुके हैं और पारंपरिक खाद्य पदार्थ और स्वास्थ्यवर्धक वस्तुओं को बनाने वाली उनकी कंपनी पतंजलि भी देश का बड़ा ब्रांड बन चुकी है. सत्ताधारी दल भाजपा के साथ उनकी नजदीकियां किसी से छिपी नहीं है. साल 2014 में आम चुनाव के दौरान भाजपा के लिये वोट जुटाने में रामदेव की भी अहम भूमिका थी, जिसके बदले भाजपा के बड़े नेताओं ने भारत पर रामदेव के दृष्टिकोण का खूब प्रचार भी किया. दृष्टिकोण, जो लोकलुभावन हिंदू प्रधानता के दावों से जुड़ा है और जिसमें प्राचीन महिमा के बखान के साथ विदेशी प्रभाव पर संदेह व्यक्त किया जाता है.
समाचार एजेंसी रॉयटर्स का दावा है कि मोदी के सत्ता संभालने के बाद भूमि अधिग्रहण में रामदेव की कंपनी को अब तक करीब 4.6 करोड़ डॉलर की छूट प्राप्त हुई है. इतना ही नहीं, कहीं तो जमीन मुफ्त में दे दी गयी है. निकटता का आलम ये है कि योगगुरू की कंपनी को सरकार के एक मंत्रालय और पार्टी के कई नेताओं से प्रोत्साहन भी मिल रहा है. सरकार और पतंजलि की यह साझेदारी भारत में प्रभाव और धन के अंदरुनी कामकाज का खुलासा करती है.
120 साल के हैं स्वामीजी!
नाम: स्वामी शिवानंद. पता: बनारस. उम्र: 120 साल. इतने दिन तक जिंदा रहने की वजह: योग और ब्रह्मचर्य. जानिए, इस शख्स के बारे में जो अब का दुनिया का सबसे लंबे समय तक जीने वाला इंसान होने का दावा करता है.
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120 वर्ष
भारत में अब तक के सबसे उम्रदराज व्यक्ति का दावा है कि उनकी उम्र 120 वर्ष हो चुकी है. उनका कहना है कि मसालों और सेक्स से दूरी और रोजाना योग के बूते पर ही वह इतने लंबे समय तक जी सके हैं.
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तीसरी सदी
हिंदू सन्यासी स्वामी शिवानंद की जन्म की तारीख लिखी है 8 अगस्त 1896. अगर यह तारीख सच्ची है तो वह तीन सदियां देख चुके हैं. और अगर यह उम्र सच्ची है तो फिर आप निश्चित तौर पर कह सकते हैं कि उनकी त्वचा से उनकी उम्र का पता ही नहीं चलता.
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गिनेस बुक की चाह
शिवानंद गिनीज बुक ऑफ वर्ल्ड रिकॉर्ड्स में नाम दर्ज कराने के लिए अर्जी दे रहे हैं. वह चाहते हैं कि उन्हें दुनिया के सबसे उम्रदराज व्यक्ति के रूप में दर्ज किया जाए. अब तक यह रिकॉर्ड जापान के जीरोमॉन किमूरा के नाम है. किमूरा की जून 2013 में मौत हो गई थी. तब वह 116 वर्ष और 54 दिन के थे.
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पासपोर्ट में एंट्री
भारतीय पासपोर्ट अधिकारियों ने शिवानंद की आयु की पुष्टि एक मंदिर के रजिस्टर की एंट्री से की थी. बहुत से भारतीयों के लिए तो जन्म के रिकॉर्ड यही एकमात्र दस्तावेज होता है. लेकिन इसके अलावा, वास्तविकता में उनकी आयु की पुष्टि आसान नहीं होगी.
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त्वचा से पता नहीं चलता
शिवानंद भारतीय मीडिया में खबरों में बने रहे हैं. अंग्रेजी दैनिक टाइम्स ऑफ इंडिया ने तो लिखा था कि वह अपनी आयु से 50 वर्ष कम के लगते हैं. लेकिन उनकी आयु का दावा अभी दावा ही है, कोई तथ्य नहीं.
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दाल, चावर और मिर्ची
शिवानंद वाराणसी के रहने वाले हैं. योग, अनुशासन और ब्रह्मचर्य को ही उन्होंने अपना जीवन बना लिया. वह कहते हैं, "मैं बहुत ही सादा और अनुशासित जीवन जीता हूं. बहुत साधारण खाना खाता हूं. उबला हुआ, जिसमें ना तेल होता है ना मसाले. जैसे उबली हुई दाल के साथ चावल और साथ में दो हरी मिर्च." यह बातचीत करने से पहले शिवानंद ने दो घंटे तक योग किया था.
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दूध और फल भी नहीं
मात्र पांच फुट दो इंच के कद वाले स्वामीजी जमीन पर एक चटाई बिछा कर सोते हैं. लकड़ी की एक पटरी को तकिया बनाते हैं. वह बताते हैं, "मैं दूध या फल लेने से भी बचता हूं क्योंकि मुझे लगता है कि यह मजेदार किस्म के खाने होते हैं. बचपन में तो अक्सर भूखा ही सोया करता था."
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क्यों चाहिए नाम
शिवानंद का कहना है कि उन्होंने अब तक ऐसा कोई दावा नहीं किया क्योंकि उन्हें यश का लोभ नहीं है. लेकिन अब उनके अनुयायी चाहते हैं कि उनका नाम वर्ल्ड रिकॉर्ड में दर्ज हो जाए.
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खुश रहो, स्वस्थ रहो
नई और बदलती दुनिया को देखकर वह कहते हैं कि लोग पहले कम चीजों में ज्यादा खुश रहते थे, अब बेइमानी बढ़ गई है जिससे मुझे दुख होता है. मैं चाहता हूं कि लोग खुश, स्वस्थ और शांत रहें.
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'सबका साथ, सबका विकास'
रॉयटर्स ने उस "शपथ पत्र" की भी समीक्षा की है जिसका वीडियो रामदेव के एक ट्रस्ट ने यूट्यूब पर जारी किया था और जिस पर भाजपा के वरिष्ठ नेताओं ने दस्तखत किये हैं. इस वीडियो में हिंदू धर्म में पवित्र माने जाने वाली गाय की सुरक्षा, भारतीयों की जिंदगी में सुधार लाकर इसे और भी स्वदेशी बनाना और असली भारतीय जैसी कई बातें शामिल थीं. वीडियो में जिन नेताओं को दस्तखत करते हुये दिखाया गया है वे आज विदेश मंत्रालय, वित्त मंत्रालय, आंतरिक सुरक्षा और परिवहन आदि मंत्रालयों से जुड़े हैं. हालांकि जब इन मंत्रियों से इस बारे में पूछा गया तो उन्होंने कोई प्रतिक्रिया नहीं दी.
रामदेव का कारोबार भाजपा के सत्ता में आने के बाद से खूब फला-फूला है. वित्त वर्ष 2013 में कंपनी का उपभोक्ता वस्तुओं में राजस्व 15.6 करोड़ डॉलर था, जो साल 2015 तक 32.2 करोड़ डॉलर के आसपास पहुंच गया. कंपनी टूथपेस्ट से लेकर घी और दैनिक उपभोग की लगभग सभी वस्तुएं तैयार कर रही है. यहां तक कि अब इस कंपनी के चावल, बिस्कुट, और चटनी भारतीय सुरक्षा बलों की कैंटीनों में बेचे जा रहे हैं और कई बार ये ब्रांड संसद में भी नजर आते हैं. पतंजलि अपने उत्पादों को आयुर्वेद से जुड़ा कहता है. इसके विज्ञापनों में भी उपभोक्ताओं को देशभक्ति जैसे संदेश देते हुये विदेशी कंपनियों से दूरी बनाये रखने को कहा जाता है.
करीबी दोस्त मोदी
रामदेव प्रधानमंत्री मोदी को अपना करीबी दोस्त बताते आये हैं लेकिन प्रधानमंत्री कार्यालय की ओर से इस विषय पर कोई टिप्पणी नहीं की गयी.
अधिकारियों के मुताबिक साल 2014 के बाद पतंजलि ने कारखानों, शोध केंद्र आदि के लिये लगभग 2,000 एकड़ जमीन का अधिग्रहण किया. 100 एकड़ जमीन के जो चार अधिग्रहण किये गये इनमें से दो भाजपा सरकार वाले राज्यों में है. भाजपीनीतराज्यों में पतंजलि को जमीन पर बाजार कीमतों के मुकाबले 77 फीसदी की छूट दी गयी. महाराष्ट्र और मध्यप्रदेश में कंपनी को काफी छूट मिली. सबसे बड़ा लेन-देन साल 2014 के दौरान असम में 1,200 एकड़ अविकसित भूमि का था. सरकारी कागजातों के मुताबिक यह भूमि पतंजलि योगपीठ को नि:शुल्क इस शर्त के साथ दी गई है कि इसका इस्तेमाल गायों के संरक्षण को लिए किया जायेगा. पंतजलि योगपीठ, पंतजलि के प्रबंध निदेशक बालकृष्ण और रामदेव द्वारा नियंत्रित एक ट्रस्ट है. उत्तर प्रदेश में पतंजलि को साल 2016 में 300 एकड़ जमीन बाजार की कीमत से 25 फीसदी कम पर बेची गयी. पतंजलि का बाजार में बढ़ता दखल अब इसके विदेशी प्रतिद्वंदियों पर दबाव बना रहा है.
सरकार का सहयोग
मोदी के सत्ता में आने के छह महीने के अंदर ही प्रशासन ने पारंपरिक भारतीय चिकित्सा विभाग को एक स्थायी मंत्रालय में बदल दिया. अन्य बातों के इतर यह मंत्रालय योग अभ्यास और आयुर्वेदिक उत्पादों के उपयोग के लिए समर्पित है और इसमें पतंजलि एक बड़ा ब्रांड है. इतना ही नहीं मंत्रालय पतंजलि के कई उत्पादों का नियमन भी करता है. साल 2015 में वित्त मंत्रालय ने योगा को "धर्मार्थ उद्देश्य" के रूप में परिभाषित किया, और इसे कर बोझ को कम करने से जोड़ा गया.
इन सारे तथ्यों से एक बात तो साफ है कि मोदी कार्यकाल में जिस तरह का लाभ पतंजलि को हुआ है वह शायद ही किसी अन्य कंपनी को हुआ हो.
10 भारतीय चीजें जिनसे दुनिया को है प्यार
भारत दूसरी सबसे ज्यादा आबादी वाला देश है. लोकतांत्रिक भारत तेज आर्थिक विकास की राह पर है. अर्थव्यवस्था में दिलचस्पी के अलावा उसे ताज महल, बॉलीवुड और योग के लिए जाना जाता है.
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विविध संस्कृति
विदेशियों में भारत की विविध और रंगीन संस्कृति के बारे में जानने की काफी जिज्ञासा रहती है. यहां के नृत्य, पारंपरिक पोशाकें, गहने और त्योहार हमेशा उनका ध्यान खींचते हैं. भारतीय संस्कृति की लोकप्रियता का अंदाजा इससे लगाया जा सकता है कि जर्मनी के कई शहरों में धूमधाम से रंगों का त्योहार होली मनाया जाता है.
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आईटी
सूचना प्रौद्योगिकी या आईटी के क्षेत्र में सारी दुनिया में भारत के इंजीनियरों ने अपना लोहा मनवाया है. दुनिया के लगभग हर देश में भारतीय आईटी कंपनियां अपनी सेवाएं दे रही हैं. भारत के इंजीनियर पूरे विश्व में इतना फैल गए हैं कि विदेशों में हर भारतीय पेशेवर को पहले आईटी इंजीनियर ही समझ लिया जाता है.
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ताज महल
शाहजहां द्वारा निर्मित मोहब्बत की यह नायाब निशानी आज भी विदेशियों के बीच सबसे लोकप्रिय भारतीय पर्यटन स्थल है. शायद विदेशों में रहने वाले कुछ ही भारतीय या प्रवासी भारतीय होंगे जिससे किसी विदेशी ने ताज महल का जिक्र ना किया हो.
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रॉयल बंगाल टाइगर
ऐसा कहना गलत नहीं होगा कि भारतीय बाघों की दहाड़ पूरे विश्व में गूंजती है. दुनिया भर से पर्यटक इस शाही जानवर की एक झलक पाने के लिए भारत जाते हैं. दुनिया भर के करीब 60 प्रतिशत जंगली बाघ भारत में पाए जाते हैं.
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भव्य शादियां
भारत की शादियां अपनी भव्यता के कारण "द बिग फैट इंडियन वेडिंग" के नाम से मशहूर हैं. लंबे चौड़े रिवाजों और मेहमानों की भीड़ के कारण भारतीय शादियां हमेशा से पश्चिमी देशों में आकर्षण का केंद्र रही हैं. पश्चिमी देशों की शादियों में तड़क-भड़क कम होती है और उनमें कुछ खास रिश्तेदार व मित्र ही आमंत्रित होते हैं.
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मसालेदार जायके
सादा भोजन करने वाले विदेशियों को भारत के मसालेदार व्यंजन काफी पसंद आते हैं. आप विश्व के लगभग हर बड़े शहर में कोई ना कोई भारतीय रेस्तरां जरूर पाएंगे. भारतीय व्यंजनों की लोकप्रियता का अनुमान इससे भी लगा सकते हैं कि मात्र 3 लाख आबादी वाले जर्मनी के बॉन शहर में 7 दक्षिण एशियाई रेस्तरां हैं.
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बॉलीवुड
कई देशों में आज बॉलीवुड भारत की पहचान बन चुका है. तड़क-भड़क और मनोरंजन से भरपूर बॉलीवुड संगीत एवं नृत्य की दीवानगी पश्चिमी देशों में लगातार बढ़ रही है. और शायद इसी वजह से शाहरुख खान, सलमान खान और आमिर खान की फिल्में विदेशों में भी करोड़ों का कारोबार करती हैं.
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क्रिकेट फीवर
भारतवासियों की क्रिकेट के लिए दीवानगी जगजाहिर है. जर्मनी में फुटबॉल बहुत लोकप्रिय है और लोग क्रिकेट को समझ नहीं पाते हैं लेकिन उन्हें भी पता है कि भारत में लोग क्रिकेट को धर्म और खिलाड़ियों को भगवान मानते हैं.
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योग
भारत की विश्व को एक महत्वपूर्ण देन है योग. विगत कुछ सालों में विदेशों में इस प्राचीन जीवन पद्धति की लोकप्रियता और भी बढ़ी हैं. 21 जून को पूरे विश्व ने अंतराष्ट्रीय योग दिवस मनाया जाता है. मेग रायन, मडोना और रिकी मार्टिन जैसी मशहूर हस्तियां नियमित योग करती हैं.
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चाय
दुनिया भर में भारतीय चाय चाव से पी जाती है. उसकी लोकप्रियता का हिसाब आप इससे लगा सकते हैं कि भारत विश्व के सबसे बड़े चाय निर्यातकों में से एक है. खासकर दार्जिलिंग चाय की गिनती दुनिया के सबसे लोकप्रिय चायों में होती है.