भारत सरकार ने चर्चित लेखक और पत्रकार आतिश तासीर का ओवरसीज सिटीजन ऑफ इंडिया यानी ओसीआई कार्ड रद्द कर दिया है. गृह मंत्रालय के मुताबिक, तासीर ने अपने आवेदन में जरूरी सूचनाएं छिपाई थीं इसलिए ऐसा किया गया है.
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लोकसभा चुनाव से पहले आतिश तासीर का अमरीकी पत्रिका ‘टाइम' में एक लेख छपा था जिसमें भारत के प्रधानमंत्री नरेंद्र मोदी को उन्होंने ‘डिवाइडर ऑफ इंडिया' बताया था. हालांकि गृह मंत्रालय का कहना है कि पत्रिका में छपे लेख और ओसीआई कार्ड रद्द करने की कार्रवाई का एक-दूसरे से कोई संबंध नहीं है.
गृह मंत्रालय के प्रवक्ता के मुताबिक, आतिश तासीर ने ओसीआई के लिए दिए आवेदन में अपने पिता के नाम का जिक्र नहीं किया है जो अति आवश्यक सूचना होती है. प्रवक्ता का कहना है कि इसके लिए उन्हें 21 दिन का समय भी दिया गया जबकि आतिश तासीर के मुताबिक, उन्हें इस भूल को सुधारने के लिए सिर्फ चौबीस घंटे दिए गए.
38 वर्षीय आतिश तासीर ब्रिटिश मूल के पत्रकार और लेखक हैं. उनकी मां चर्चित भारतीय पत्रकार तवलीन सिंह हैं जबकि उनके पिता पाकिस्तान के राजनेता और बड़े व्यवसायी थे. तासीर नई दिल्ली में पले-बढ़े हैं और उन्होंने तमिलनाडु के कोडईकनल से अपनी स्कूली पढ़ाई की है. अमरीकी पत्रिका टाइम के लिए वह स्वतंत्र पत्रकार के तौर पर काम करते हैं. प्रधानमंत्री नरेंद्र मोदी पर लेख लिखने की वजह से वह चर्चा में आए थे जिसे पत्रिका ने अपनी कवर स्टोरी बनाया था.
बताया जा रहा है कि आतिश तासीर ने कथित तौर पर यह तथ्य छिपाया कि उनके पिता पाकिस्तानी थे. तासीर के पिता सलमान तासीर पाकिस्तान के पंजाब सूबे के गवर्नर थे जिनकी साल 2011 में उन्हीं के अंगरक्षक ने गोली मारकर हत्या कर दी थी. गृह मंत्रालय के प्रवक्ता के मुताबिक, नागरिकता अधिनियम 1955 के अनुसार, तासीर ओसीआई कार्ड के लिए अयोग्य हो गए हैं क्योंकि ओसीआई कार्ड किसी ऐसे व्यक्ति को जारी नहीं किया जाता है जिसके माता-पिता या दादा-दादी पाकिस्तानी हों.
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प्रेस फ्रीडम इंडेक्स 2019
पत्रकारों के लिए भारत से ज्यादा सुरक्षित अफगानिस्तान है. दक्षिण एशिया में पत्रकारों के लिए सबसे अच्छा देश भूटान है. जानिए रिपोर्टर्स विदाउट बॉर्डर्स के प्रेस फ्रीडम इंडेक्स 2019 में कौन सा देश कहां खड़ा है?
तस्वीर: People Daily China
180. तुर्कमेनिस्तान
तस्वीर: DW/S. Tanka Shokran
179. उत्तर कोरिया
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178. इरीट्रिया
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177. चीन
तस्वीर: People Daily China
172. सऊदी अरब
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172. सऊदी अरब
तस्वीर: picture-alliance/dpa
142. पाकिस्तान
तस्वीर: picture-alliance/AA/M.S. Ugurlu
140. भारत
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121. अफगानिस्तान
तस्वीर: dapd
106. नेपाल
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80. भूटान
तस्वीर: Reuters/C. McNaughton
48. अमेरिका
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13. जर्मनी
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3. स्वीडन
तस्वीर: Reuters/Pontus Lundahl/TT News Agency
2. फिनलैंड
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1. नॉर्वे
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प्रवक्ता ने ट्वीट करके कहा है कि तासीर ने स्पष्ट रूप से बहुत बुनियादी जरूरतों को पूरा नहीं किया और जानकारी को छिपाया है. कानून के अनुसार, अगर किसी व्यक्ति ने धोखे से, फर्जीवाड़ा करके या तथ्य छिपा कर ओसीआई कार्ड हासिल किया है तो कार्ड धारक का पंजीकरण रद्द कर दिया जाएगा और उसे काली सूची में डाल दिया जाएगा. इसकी वजह से भविष्य में भी उसके भारत में प्रवेश करने पर रोक लगा दी जाएगी.
हालांकि प्रवक्ता ने इस बात से साफ इनकार किया है कि सरकार टाइम पत्रिका में लेख लिखने के बाद से तासीर के ओसीआई कार्ड को रद्द करने पर विचार कर रही थी. दरअसल, इस बारे में एक दिन पहले एक न्यूज वेबसाइट ने इस तरह की खबर प्रकाशित की थी जिसका प्रवक्ता ने पूरी तरह से खंडन किया.
वहीं आतिश तासीर ने गृह मंत्रालय की बातों को गलत बताते हुए कहा है, "मंत्रालय ने मुझे सिर्फ एक दिन का समय दिया जबकि मैंने कुछ और समय मांगा." उनके मुताबिक, उसके बाद मंत्रालय की ओर से उन्हें कोई सूचना नहीं प्राप्त हुई. अपने जवाब के साथ आतिश तासीर ने अपने ईमेल की एक तस्वीर भी ट्वीट की है.
इस ईमेल के कुछ घंटों बाद ही आतिश तासीर ने अपने ओसीआई कोर्ड के रद्द होने की जानकारी दी और इस संबंध में मिली सूचना वाले ईमेल का स्क्रीनशॉट शेयर किया है. गृह मंत्रालय के ईमेल में नियमों का हवाला देते हुए ओसीआई पंजीकरण को रद्द करने की सूचना दी गई है और आतिश तासीर को अपना ओसीआई कार्ड न्यूयॉर्क स्थित भारत के महावाणिज्य दूतावास में जमा करने के लिए कहा गया है.
ओसीआई कार्ड भारतीय मूल के विदेशी लोगों को भारत आने, यहां रहने और काम करने का अधिकार देता है लेकिन इस कार्ड की वजह से उन्हें वोट देने और संवैधानिक पद प्राप्त करने जैसे नागरिक अधिकार नहीं मिलते. आतिश तासीर का कहना है कि उनके पास कई साल पीआईओ यानी पीपल ऑफ इंडियन ओरिजिन कार्ड है जिसे बाद में ओसीआई कार्ड में बदल दिया गया. उनका कहना है कि उनके पास भारत में बैंक खाते भी हैं और वो भारत में टैक्स भी भरते रहे हैं.
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51 देशों में आराम से घूम सकते हैं भारतीय पासपोर्ट धारक
भारतीय पासपोर्ट धारकों को 24 देशों में वीजा की जरूरत नहीं पड़ती. इनके अलावा 27 दूसरे देश भी वीजा ऑन अराइवल देते हैं. एक नजर इनमें से कुछ अहम देशों पर.
तस्वीर: AFP/Getty Images
बोलिविया
90 दिन के लिए वीजा ऑन अराइवल.
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केप वेर्डे
30 दिन के लिए वीजा ऑन अराइवल.
तस्वीर: Divulgação
फिजी
4 महीने तक वीजा की जरूरत नहीं.
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इक्वाडोर
90 दिन के लिए वीजा ऑन अराइवल.
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इथियोपिया
30 दिन के लिए वीजा ऑन अराइवल.
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इंडोनेशिया
30 दिन के लिए वीजा की जरूरत नहीं, लेकिन यात्रा का मकसद पर्यटन होना चाहिए.
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जॉर्डन
वीजा ऑन अराइवल, दो हफ्ते की होटल बुकिंग और पर्याप्त बैंक बैलेंस का सबूत.
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केन्या
तीन महीने के लिए वीजा ऑन अराइवल.
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मिक्रोनेशिया
30 दिन के लिए वीजा ऑन अराइवल.
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मलेशिया
30 दिन के लिए वीजा ऑन अराइवल
तस्वीर: Imago/Zumapress/C. Jung
कतर
वीजा ऑन अराइवल, 30 दिन की अवधि के हिसाब से शुल्क.
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सर्बिया
वीजा का जरूरत नहीं.
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सूरीनाम
90 दिन के लिए वीजा ऑन अराइवल.
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यूक्रेन
15 दिन के लिए वीजा ऑन अराइवल, टूरिज्म या बिजनेस डॉक्यूमेंट्स के साथ.
'विजिटर्स परमिट' लेकर भारतीय यात्री सेशल्स में तीन महीने तक रह सकते हैं. सुंदर समुद्री किनारों के अलावा सेशल्स में ईको टूरिज्म भी जोर पकड़ रहा है.
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थाईलैंड
शॉपिंग के गढ़ के रूप में काफी मशहूर हो चुके थाईलैंड में खूबसूरत द्वीप, गुफाएं और साफ नीले रंग के समुद्र वाले तट भी हैं. थाईलैंड के एयर पोर्ट पर उतरने के बाद वीसा ले सकते हैं.
तस्वीर: Getty Images
भूटान
भारतीयों के अलावा बांग्लादेश और मालदीव के नागरिकों को भी भूटान जाने के लिए वीसा की कोई जरूरत नहीं है. हिमालय की ऊंचाईयों पर बसे इस छोटे से देश में कई हजार मीटर की ऊंचाई पर स्थित टाइगर्स नेस्ट बौद्ध मठ बहुत पवित्र स्थल माना जाता है.
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मालदीव
यहां के लिए भी भारतीयों को पहले से वीसा लेने की कोई जरूरत नहीं. अपना होटल बुक कीजिए, बैंक अकाउंट की कुछ जानकारी जमा कीजिए और बाकी काम हवाई जहाज में बैठने के बाद कर सकते हैं. सफेद रेतीले समुद्री किनारे आपका मन मोहने को तैयार मिलेंगे.
तस्वीर: haveseen - Fotolia
मॉरिशस
हिंद महासागर में बसे इस ज्वालामुखी द्वीप देश के ट्रॉपिकल नजारों का आनंद उठाने पहुंचिए. बिना वीसा की चिंता किए तैयारी कीजिए सफेद रेत पर पीना कोलाडा पीते हुए सुस्ताने की.
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कंबोडिया
अंगकोरवाट के प्राचीन स्मारक या फिर टोन्ले सैप के तैरते हुए गांव - वीसा पाने के चक्करों में पड़े बिना ये आपको कंबोडिया में अपनी छुट्टियां बिताने का निमंत्रण देते हैं.
तस्वीर: picture alliance/CPA Media
मैडागास्कर
घने वर्षा वनों वाले इस देश में पहुंचने वाले भारतीयों को आसानी से वीसा मिल जाता है. दुनिया में केवल इसी विशाल द्वीप पर प्राइमेट प्रजाति लीमर मिलती है. कई अनोखे अनुभवों के लिए करें इस विदेश यात्रा की तैयारी.
तस्वीर: AP
श्रीलंका
दो दिनों की ट्रिप के लिए भारतीयों को कोई वीसा फीस नहीं देनी पड़ती. सीधे हवाई जहाज से पहुंचिए और श्रीलंका के समृद्ध वन्य जीवन, खूबसूरत समुद्री तटों और बहुरंगी संस्कृति का लुत्फ उठाइए. लंबे समय तक घूमना चाहें तो कुछ वीसा फीस भरनी पड़ेगी.
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लाओस
यहां पहुंच कर वीसा लीजिए और अगले 30 दिनों तक लाओस के खूबसूरत नजारों का आनंद लीजिए. फ्रांसीसी उपनिवेश की याद दिलाने वाली वास्तुकला, पहाड़ी आदिवासी बस्तियां और बौद्ध मठों की सैर करें.
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कैरेबियन द्वीप समूह
क्रिकेट प्रेमियों के लिए त्रिनिदाद और टोबैगो की यात्रा जरूरी है. यह वेस्ट इंडीज की टीम में शामिल प्रमुख देश है. इसके अलावा पास ही स्थित अल सल्वाडोर और सेंट लूसिया में भी भारतीयों को वीसा ऑन अराइवल की सुविधा है.
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नेपाल
हिमालय पर्वत की श्रृंखलाएं, बौद्ध मठ, मंदिर, घने जंगलों की सैर - हर तरह के टूरिस्ट के लिए यहां कुछ ना कुछ मिलेगा. वीसा की चिंता किए बिना भारतीय सीधे निकल सकते हैं नेपाल की यात्रा पर.
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भारतीय संसद ने साल 2003 में नागरिकता संशोधन विधेयक पारित कर विदेशों में बसे भारतीय मूल के लोगों को भारत की नागरिकता प्रदान करने का प्रावधान किया था जिसे ओवरसीज सिटीजनशिप ऑफ इंडिया के नाम दिया गया है.
इसके अनुसार भारतीय मूल का कोई भी व्यक्ति जो संविधान लागू होने के बाद भारत या उसके किसी राज्य क्षेत्र का नागरिक रहा हो और जिसने पाकिस्तान और बांग्लादेश के अलावा किसी अन्य देश की नागरिकता ग्रहण कर ली है, नागरिकता अधिनियम 1955 के अधीन पंजीकरण करा सकता है, यदि उसके देश में दोहरी नागरिकता का प्रावधान है.
इस नए कानून के मुताबिक, पंजीकरण के बाद अगर व्यक्ति पांच साल में से एक साल भारत में रहता है तो उसे भारत की नागरिकता मिल सकती है. वर्तमान में अमेरिका, ब्रिटेन, कनाडा, फ्रांस, ऑस्ट्रेलिया सहित 16 देशों में बसे भारतीय मूल के लोगों को ओसीआई कार्ड के तहत दोहरी नागरिकता प्रदान की जा सकती है क्योंकि इन देशों में दोहरी नागरिकता का प्रावधान है.
पहले पीआईओ कार्ड और ओसीआई कार्ड अलग-अलग जारी किए जाते थे और दोनों में कुछ बुनियादी अंतर भी थे लेकिन साल 2015 से प्रधानमंत्री नरेंद्र मोदी की घोषणा के बाद पीआओ कार्ड को ओसीआई कार्ड में बदल दिया गया.