बूंद बूंद से घड़ा भरे, नरेंद्र मोदी का दो साल का कार्यकाल कुछ ऐसा ही है. उनकी छोटी और बारीक कोशिशें आम लोगों की जिंदगी में वाकई बड़ा बदलाव करती दिख रही हैं.
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अगर केंद्र ऊपर से एक रुपया भेजता है तो जरूरतमंदों तक पहुंचते पहुंचते 10 पैसा ही बचता है. यह बात पूर्व प्रधानमंत्री राजीव गांधी ने कही थी. हम सब इसके साक्षी है कि कैसे भ्रष्टाचार ने देश की तमाम योजनाओं और संस्थानों को आखिल भारतीय असाध्य बीमारी की तरह जकड़ लिया.
नरेंद्र मोदी ने दो साल के भीतर छोटे छोटे कदमों से इस भ्रष्टाचार को रोकने में बहुत हद तक सफलता पाई है. सरकारी दुकान का राशन हो या गैस का सिलेंडर अब सुविधाएं ग्राहकों तक पारदर्शी तरीके से पहुंच रही हैं. मझोले शहरों या कस्बों में रहने वाले 65 के बुजुर्ग को या घर पर अकेली रहने वाली महिला को अब गैस सिलेंडर भरवाने के लिए घंटों तक लाइन में नहीं लगना पड़ता. गैस एजेंसी वाला भी सिलेंडर की कालाबाजारी करने के बजाए असली होम डिलीवरी करने लगा है. लिहाजा ग्राहकों का झंझट कम हुआ है और एजेंसी वाले भी लाइन पर आए हैं.
रेलवे में भी सुधार साफ दिख रहे हैं. हर दिन सबसे ज्यादा यात्रियों को इधर से उधर ले जाने वाली भारतीय रेल बीते दो साल से जवाबदेह दिख रही है. ट्रैवल एजेंटों के गैंग पर सरकार ने नकेल कसी है. यह पहली बार हो रहा है कि ट्वीट या एसएमएस के जरिए ट्रेनों में अतिआवश्यक सेवाएं मुहैया कराई जा रही हैं. हादसों में भी कमी आई है. महामना एक्सप्रेस जैसी ट्रेन चलाकर सरकार ने साफ कर दिया कि वह भविष्य में यात्री सुविधा को कैसे बढ़ाना चाहती है. हालांकि एक महीने बाद उस ट्रेन का जो हाल हुआ, उसे देखकर यही कहा जा सकता है कि देश चलाना नागरिकों की भी जिम्मेदारी है.
मोदी सरकार ने भले ही रॉकेट साइंस जैसे कारनामे न किये हों, लेकिन बुनियादी स्तर पर सरकार ने हालात बेहतर जरूर किये हैं. चाहे वह पासपोर्ट बनाना हो या स्टाम्प पेपर से मुक्ति या फिर सी ग्रेड नौकरियों के लिए इंटरव्यू खत्म करना. सब जानते हैं कि इन कामों में किस तरह रिश्वतखोरी चलती थी. सरकार ने छोटे छोटे कदम उठाकर आम लोगों की जिंदगी आसान की है.
बीते दो साल में सरकार ने 1000 से ज्यादा गैरजरूरी कानून खत्म कर दिये. योजना आयोग जैसे जर्जर हो चुके ढांचे को बंद कर नीति आयोग बनाना भी ताजा हवा की तरह रहा. यह वाकई अच्छी बात थी कि 68 साल बाद किसी प्रधानमंत्री ने लाल किले से आह्वान किया कि देश के सारे स्कूलों में बच्चों के लिए टॉयलेट बनाए जाएंगे. अब गांव गांव में लोग अपने घरों में टॉयलेट बनाने लगे हैं. स्वच्छ भारत अभियान की सफलता भले ही अभी दूर हो, लेकिन सफाई और सुरक्षा को लेकर जागरुकता दिख रही है.
जनधन योजना हो या बेटी बचाओ बेटी पढ़ाओ या फिर फसल बीमा योजना मोदी सरकार ने वाकई उन मूलभूत समस्याओं को दुरुस्त करने की कोशिश की है जहां सबसे ज्यादा भ्रष्टाचार और सामाजिक असुरक्षा थी. गांव गांव तक बिजली पहुंचाने का काम भी बिजली जैसी गति से आगे बढ़ रहा है.
नदियों को साफ करने के लिए जर्मनी और इस्राएल जैसे देशों के साथ बहुत ही गहरे स्तर पर काम चल रहा है. भारत के आईटीआई जैसे संस्थानों में वॉटर ट्रीटमेंट का पाठ्यक्रम शुरू किया जा रहा है. हर शहर में वॉटर ट्रीटमेंट प्लांट लगाने की योजना ठोस रूप से आगे बढ़ रही है.
बीते दो सालों में भारत में विदेशी निवेश बढ़ा है, लेकिन जमीन पर उसका असर दिखना बाकी है. अंतरराष्ट्रीय मंच पर भारत की प्रतिष्ठा बढ़ी है. लेकिन ऐसा नहीं है कि सब कुछ हरा ही हरा है. कमियां भी हैं. पुलिस सुधार और न्यायिक सुधार जैसे जरूरी बदलाव फैसलों का इंतजार कर रहे हैं. सामाजिक समरसता को छेड़ने वालों पर सख्ती अपरिहार्य हो चुकी है. लेकिन ये काम सिर्फ केंद्र का नहीं है. पुलिस राज्य सरकारों के पास है, वे चाहें तो राजनीति कर लें, चाहे तो कानून व्यवस्था की नजीर पेश करें.
बहुमत के साथ सत्ता में आए नरेंद्र मोदी से यह उम्मीद अब भी है कि वह आने वाले तीन साल में कड़े फैसले करेंगे. जनता ने 2014 में 282 सीटें जीताकर उन्हें इसका जिम्मा दिया है.
हवा में मोदी, कब कब कहां कहां गए
प्रधानमंत्री पद संभालने के पहले साल में नरेंद्र मोदी ने 365 में से 55 दिन विदेश में बिताए. साल भर में उन्होंने कुल 18 देशों का दौरा किया. यह संख्या अब 28 हो चुकी है. गिनती जारी है..
तस्वीर: Imago/Xinhua
भूटान
जून 2014 में बतौर प्रधानमंत्री अपनी पहली विदेश यात्रा के लिए मोदी ने भूटान को चुना. पड़ोसी देश भूटान के साथ भारत के दशकों से अच्छे संबंध रहे हैं.
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ब्राजील
इसके बाद जुलाई में मोदी ब्रिक्स शिखर सम्मलेन के लिए ब्राजील पहुंचे. यहां चीन, ब्राजील, रूस और दक्षिण अफ्रीका के राष्ट्राध्यक्षों से उनकी मुलाकात हुई.
तस्वीर: Reuters
नेपाल
अगस्त 2014 में मोदी नेपाल पहुंचे. संसद में भाषण देने के बाद वे पशुपतिनाथ मंदिर के दर्शन करने पहुंचे. नवंबर में वे सार्क शिखर सम्मलेन के लिए एक बार फिर नेपाल आए. नेपाल एकमात्र ऐसा देश है जहां प्रधानमंत्री मोदी दो बार जा चुके हैं.
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जापान
अगस्त के अंत ने मोदी ने जापान का दौरा किया. राजधानी टोक्यो के अलावा वे क्योटो भी गए और दो बुद्ध मंदिरों के दर्शन करने भी पहुंचे.
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अमेरिका
सितंबर में मोदी ने अमेरिका का रुख किया, जहां ना केवल उन्होंने राष्ट्रपति ओबामा से मुलाकात की, बल्कि संयुक्त राष्ट्र महासभा को भी संबोधित किया. अमेरिका में मोदी का किसी रॉकस्टार जैसा स्वागत हुआ.
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म्यांमार
अक्टूबर में मोदी भारत में ही रहे लेकिन नवंबर में उनके कई दौरे हुए. म्यांमार में वे आसियान शिखर सम्मलेन के लिए पहुंचे. यहां से वे ऑस्ट्रेलिया, फिर फिजी और उसके बाद नेपाल गए.
तस्वीर: Reuters/Soe Zeya Tun
ऑस्ट्रेलिया
मोदी 28 साल में पहली बार ऑस्ट्रेलिया पहुंचने वाले भारतीय प्रधानमंत्री हैं. यहां उन्होंने जी20 शिखर सम्मलेन में शिरकत की और सिडनी क्रिकेट ग्राउंड भी गए.
तस्वीर: Reuters/R. Stevens
श्रीलंका
दिसंबर और जनवरी भी मोदी का समय घर पर ही बीता. मार्च 2015 में सेशेल्स और मॉरिशस होते हुए वे श्रीलंका पहुंचे. 1987 में राजीव गांधी के बाद श्रीलंका जाने वाले वे पहले प्रधानमंत्री हैं. मार्च के अंत में वे सिंगापुर भी गए.
तस्वीर: Reuters/D. Liyanawatte
फ्रांस
अप्रैल में मोदी तीन देशों की यात्रा पर निकले. सबसे पहले फ्रांस में उन्होंने राफाल लड़ाकू विमानों का सौदा तय किया. फ्रेंच स्पेस एजेंसी में उन्होंने भारतीय छात्रों के साथ सेल्फी ली.
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जर्मनी
इसके बाद वे जर्मनी पहुंचे जहां उन्होंने चांसलर अंगेला मैर्केल के साथ हनोवर मेले का उद्घाटन किया. राजधानी बर्लिन में उन्होंने जर्मनी में रह रहे भारतीयों को संबोधित किया. यहां से वे कनाडा गए.
तस्वीर: AFP/Getty Images/T. Schwarz
चीन
मई में मोदी ने एक और तीन देशों का दौरा किया. चीन के म्यूजियम में चश्मा लगाए पुतलों के बीच खड़े मोदी की तस्वीरों ने सबका ध्यान खींचा. मोदी ने अपना दौरा राष्ट्रपति शी जिनपिंग के शहर शियान से शुरू किया.
तस्वीर: picture-alliance/ZUMA Press
दक्षिण कोरिया
चीन के बाद वे मंगोलिया और फिर दक्षिण कोरिया पहुंचे. दक्षिण कोरिया के साथ उन्होंने सात समझौतों पर हस्ताक्षर किए.
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बांग्लादेश
जून की शुरुआत में मोदी बांग्लादेश पहुंचे. प्रधानमंत्री शेख हसीना के अलावा वे राष्ट्रपति अब्दुल हामिद से भी मिले. इस दौरान मोदी की शेख हसीना पर महिला होने "के बावजूद" सफल होने की टिप्पणी आलोचनाओं में घिरी रही.
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रूस
जुलाई में वे रूस और पांच अन्य एशियाई देशों का दौरे पर गए. इनमें कजाकिस्तान, किर्गिस्तान, तुर्कमेनिस्तान, ताजिकिस्तान और उज्बेकिस्तान शामिल हैं. मोदी ने रूस में सातवें ब्रिक्स सम्मलेन में भाग लिया.
तस्वीर: Reuters/S. Karpukhin
यूएई
अगस्त के मध्य में प्रधानमंत्री ने संयुक्त अरब अमीरात का दो दिवसीय दौरा किया. यात्रा के पहले दिन वे शेख जायद मस्जिद गए. यह दुनिया की तीसरी सबसे बड़ी मस्जिद है. माना जाता है कि मोदी ने जीवन में संभवत: पहली बार किसी मस्जिद में कदम रखा.
तस्वीर: UNI
संयुक्त राष्ट्र
सितंबर में संयुक्त राष्ट्र के दौरे पर प्रधानमंत्री मोदी ने जी-4 शिखर सम्मेलन में हिस्सा लिया. यह ब्राजील, जापान, जर्मनी का भारत का संगठन है जो संयुक्त राष्ट्र सुरक्षा परिषद में स्थायी सदस्यता के दावेदार हैं.
तस्वीर: Agencia Brasil
ब्रिटेन
प्रधानमंत्री नरेंद्र मोदी का चिरप्रतीक्षित ब्रिटेन दौरा. इस दौरे पर प्रधानमंत्री ने महारानी एलिजाबेथ और शाही परिवार के साथ भोजन किया, प्रधानमंत्री डेविड कैमरन के साथ बातचीत की और बेंबली स्टेडियम में भारतीय मूल के हजारों लोगों को संबोधित किया.
तस्वीर: Reuters/D. Lipinski
तुर्की
तुर्की के अंताल्या में प्रधानमंत्री नरेंद्र मोदी ने जी-20 देशों के शिखर सम्मेलन में हिस्सा लिया. इस सम्मेलन को मुख्यतः पर्यावरण सम्मेलन होना था लेकिन पेरिस पर आतंकी हमले के बाद मुख्य ध्यान आतंकवाद और आईएस से लड़ने पर रहा.
तस्वीर: picture-alliance/AP Photo/S. Walsh
अब आगे क्या?
अमेरिका, ब्रिटेन और तुर्की के बाद रिपोर्टों के अनुसार नवंबर में ही प्रधानमंत्री मोदी की इस्राएल, फलीस्तीन और सिंगापुर जाने की भी योजना है.